Pradosh Vrat 2023 : सोम प्रदोष व्रत : 28 अगस्त 2023 को
-ज्योर्तिवद् विमल जैन
तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान शिवजी को देवाधिदेव महादेव माना गया है। भगवान भोलेनाथ की आराधना अपने-अपने तरीके से हर आस्थावान धर्मावलम्बी पुण्य अर्जित करने के लिए करते हैं। भगवान शिवजी की विशेष कृपा-प्राप्ति के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है, जिसमें प्रदोष एवं शिवरात्रि व्रत प्रमुख हैं।
प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि जो प्रदोष बेला में मिलती हो, उसी दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोषकाल का समय सूर्यास्त से 48 मिनट या 72 मिनट तक माना गया है, इसी अवधि में भगवान शिवजी की पूजा प्रारम्भ करने की परम्परा है।
प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार 28 अगस्त, सोमवार को ( Pradosh Vrat) प्रदोष व्रत रखा जाएगा। द्वितीय (शुद्ध) श्रावण मास के शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अगस्त, सोमवार को सायं 6 बजकर 23 मिनट पर लगेगी जो कि 29 अगस्त, मंगलवार को दिन में 2 बजकर 49 मिनट तक रहेगी।
प्रदोष बेला में त्रयोदशी तिथि का मान 21 नवम्बर, सोमवार 28 अगस्त, सोमवार को होने के फलस्वरूप प्रदोष व्रत इसी दिन रखा जाएगा। 27 अगस्त, रविवार को दिन में 1 बजकर 26 मिनट से 28 अगस्त, सोमवार को दिन में 9 बजकर 56 मिनट तक आयुष्मान योग रहेगा, तत्पश्चात् सौभाग्य योग प्रारम्भ हो जाएगा जो कि 29 अगस्त, मंगलवार को प्रात: 6 बजकर 01 मिनट तक रहेगा।
श्रावण मास के अन्तिम सोमवार को प्रदोष व्रत होने से यह व्रत अधिक फलदायी हो गया है। इस दिन आयुष्मान एवं सौभाग्य योग का अनुपम संयोग बना हुआ है। प्रदोष व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली मिलती है, साथ ही जीवन के समस्त दोषों का शमन भी होता है।
Pradosh Vrat Puja : प्रदोष व्रत का विधान
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त हो, स्वच्छ वस्त्र धारण करके अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुन: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर प्रदोषकाल में भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। भगवान शिवजी का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि जो भी सुलभ हो, अर्पित करके शृंगार करना चाहिए। तत्पश्चात् धूप-दीप प्रज्वलित करके आरती करनी चाहिए।
धार्मिक परम्परा के अनुसार जगतजननी माता पार्वतीजी की भी पूजा-अर्चना करने का विधान है। आस्थावान शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलित होती है।
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Pradosh Vrat : प्रदोष व्रत : विशेष
भगवान् शिवजी की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए प्रदोष स्तोत्र का पाठ एवं स्कन्दपुराण में वॢणत प्रदोष व्रत कथा का पठन या श्रवण अवश्य करना चाहिए साथ ही व्रत से सम्बन्धित कथाएँ भी सुननी चाहिए। प्रदोष व्रत महिलाएँ एवं पुरुष दोनों के लिए समानरूप से फलदायी बतलाया गया है। व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। अपनी दिनचर्या को नियमित संयमित रखते हुए व्रत को विधि-विधानपूर्वक करना लाभकारी रहता है।
अपनी सामथ्र्य के अनुसार ब्राह्मणों को उपयोगी वस्तुओं का दान करना चाहिए, साथ ही गरीबों व असहायों की सेवा व सहायता करनी चाहिए। प्रदोष व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली मिलती है, साथ ही जीवन के समस्त दोषों का शमन भी होता है।
कार्य विशेष के लिए किस दिन करें प्रदोष व्रत
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि प्रत्येक दिन के प्रदोष व्रत का अलग-अलग प्रभाव है। वारों (दिनों) के अनुसार सात प्रदोष व्रत बतलाए गए हैं, जैसे-रवि प्रदोष-आयु, आरोग्य, सुख-समृद्धि, सोम प्रदोष-शान्ति एवं रक्षा तथा आरोग्य व सौभाग्य में वृद्धि, भौम प्रदोष-कर्ज से मुक्ति, बुध प्रदोष-मनोकामना की पूॢत, गुरु प्रदोष-विजय व लक्ष्य की प्राप्ति, शुक्र प्रदोष-आरोग्य, सौभाग्य एवं मनोकामना की पूर्ति, शनि प्रदोष-पुत्र सुख की प्राप्ति।
अभीष्ट की पूर्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष के समस्त त्रयोदशी तिथियों का व्रत अथवा मनोकामना पूर्ति होने तक प्रदोष व्रत रखने की मान्यता है।
(हस्तरेखा विषेशज्ञ, रत्न-परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिषी एवं वास्तुविद्, एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टैगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी -221002)
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