होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होली का रंगारंग पावन पर्व फाल्गुन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हर्ष, उमंग व उल्लास के साथ मनाने की परम्परा है।
प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च 2024 रविवार को प्रात :9 बजकर 56 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 25 मार्च, सोमवार को दिन में 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगी।
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र 24 मार्च, रविवार को प्रात: 7 बजकर 34 मिनट से 25 मार्च, सोमवार को प्रात: 10 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। व्रत की पूर्णिमा 24 मार्च, रविवार को जबकि स्नान-दानादि की पूर्णिमा 25 मार्च, सोमवार को मनाया जाएगा।
वृद्धियोग 24 मार्च, रविवार को रात्रि 8 बजकर 34 मिनट से 25 मार्च, सोमवार को रात्रि 9 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। सर्वार्थसिद्धि योग 24 मार्च, रविवार को प्रात: 7 बजकर 34 मिनट से 25 मार्च, सोमवार को प्रात: 6 बजकर 01 मिनट तक रहेगा।
मान्यता है कि होलिकादहन भद्रा के समय नहीं किया जाता है। इस बार 24 मार्च, रविवार को भद्रा दिन में 9 बजकर 56 मिनट से रात्रि 11 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। भद्रा के पश्चात् शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करना शुभ फलदायी रहेगा।
Holi Puja : होली पर पूजा का विधान
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि होलिका दहन के पूर्व स्थापित की गई होलिका की पूजा की जाती है। होलिका पूजन में रोली-अक्षत-पुष्प-ऋतुफल, साबूत हल्दी गाँठ, नारियल, बताशा, कच्चा सूत, गोबर के उपले, देशी घी एवं पूजन की अन्य सामग्री का समावेश रहता है। होलिका दहन के समय होलिका की परिक्रमा करने का विधान है। होलिका दहन के पश्चात् होलिका के ज्वाला की परिक्रमा करने से अनिष्ट का निवारण बताया गया है।
होलिकादहन के पश्चात होलिका की भस्म लगाने पर आरोग्य लाभ मिलता है साथ ही सुख-समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है। होलिका की भस्म अत्यन्त चमत्कारिक मानी गई है।
इस 25 मार्च 2024 , सोमवार को होली (धुरड्डी) का पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन एक-दूसरे को लोग अबीर-गुलाल भी लगाएंगे। काशी में चौसट्टी घाट पर विराजमान भगवती चौसट्टी देवी का दर्शन करने का विधान है। फाल्गुन शुक्लपक्ष की पूॢणमा तिथि को ही श्री चैतन्य महाप्रभु की जयन्ती भी मनाई जाती है।
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