भादरा। श्री कुल्दे दादी अतिथि भवन में चल रही (Shrimad Bhagwat Katha) श्रीमद भागवत कथा कथाव्यास मारूतिनंदन शास्त्री ने पंचम दिवस की कथा श्रवण कराई गई, जिसमे (Nandotsav ) श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया।
श्रीमद भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव वर्णन
मारूतिनंदन शास्त्री ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए बताया कि जब भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर जन्म लेना था, तो पृथ्वी को इस बात की खुशी थी, कि भगवान कृष्ण के पांव उस पर पड़ने वाले है, पहले नदियों में बाढ़ आती है, लेकिन उस दिन समुंदर में बाढ़ आ गई, कोयल गाने लगीं, हर तरफ खुशी का माहौल है, क्योंकि हर जीव को पता है कि हमारे कृष्ण गोपाल का जन्म होने वाला है, इसलिए चारों तरफ खुशी की लहर है।
नंदोत्सव पर कथा व्यास द्वारा मैं तो नंद बाबा के घर जाऊंगी बधाई लेके आऊंगी., भज गोविंद गोविंद गोपाला३, मेरे लाला पे डोरा कर गई कोई ग्वालन मस्तानी३, उस बांसुरी वाले की, नीले घोड़े वाले की गोदी में खो जांऊ, मेरा जी करता है श्याम के भजनों में खो जाऊं, जीवन बने रसीला भगवान को भजै जो३ व छठा तेरी तीन लोक से न्यारी है गौवर्धन महाराज भजन सुनाकर सभी श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
भगवान कृष्ण के भजनों पर झूम उठे भक्त
इस अवसर पर सभी श्रद्धालुओं ने भगवान कृष्ण के भजनों पर नाच झूम कर आनंद लिया।
उन्होंने ज्ञान यज्ञ कथा में पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर उसका कल्याण किया।
यह भी पढ़ें : योग का अध्यात्म में अहम योगदान : मारूतिनंदन शास्त्री महाराज
माता यशोदा जब भगवान श्रीकृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती है उसके बाद पंचगव्य गाय के गोबर, गोमूत्र से भगवान को स्नान कराती है। सभी को गौमाता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए।
गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी देवताओं की सेवा
गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी देवताओं की सेवा हो जाती है। भगवान व्रजरज का सेवन करके यह दिखला रहे हैं कि जिन भक्तों ने मुझे अपनी सारी भावनाएं व कर्म समर्पित कर रखें हैं वे मेरे कितने प्रिय हैं। भगवान स्वयं अपने भक्तों की चरणरज मुख के द्वारा हृदय में धारण करते हैं।
शास्त्री ने कहा कि जन्म-मृत्यु का जो खेल है उसकी श्रीमद भागवत कथा औषधि है। जो कोई इसका पान करेगा वो इस रोग से मुक्त हो जाएगा। बच्चों की झांकी ने सबका मोह लिया। छप्पन भोग का प्रसाद वितरित किया गया।
भागवत कथा के छठे दिन श्री महारास कथा, मथुरा गमन, उद्धव चरित्र प्रसंग व रुकमणि विवाह का प्रसंग वर्णन किया जाएगा। इस अवसर देवेंद्र व सुरेश महिपाल परिवार की ओर से कई प्रबुद्धजनों का सम्मान किया गया।
यह भी पढ़ें : कलश यात्रा में शामिल होने से आत्मा होती है पवित्र : मारूतिनंदन शास्त्री
Tags : Nandotsav, Shrimad Bhagwat Katha , Bhadra,