विनम्रता मनुष्य के व्यक्तित्व का आभूषण- मारूतिनंदन शास्त्री
भादरा। मारूतिनंदन शास्त्री महाराज (Maruti Nandan Shastri Maharaj) ने कहा कि योग (Yoga) का आध्यात्मिक जीवन में बहुत महत्व है, इसलिए आज सभी की जिंदगी में इसका अहम् योगदान बन गया है। मारूतिनंदन शास्त्री महाराज श्री कुलदे दादी अतिथि भवन में चल रही (Shrimad Bhagwat) श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को प्रवचन दे रहे थे।
Important contribution of Yoga to Spirituality : योग हमारी जीवन शैली का अहम हिस्सा
मारूतिनंदन शास्त्री महाराज ने कहा कि प्राचीन काल से ही योग हमारी जीवन शैली का अहम हिस्सा रहा है। यह हमारे अंतःकरण को निर्मल और मजबूत बनाने में सहायक रहा है। इस कारण हमारा आध्यात्मिक विकास तो हुआ ही, भावनात्मक स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहा जिसका लाभ हमें शारीरिक रूप से स्वस्थ बने रहने में भी मिला ।
विनम्रता ही गुणी की पहचान
उन्होंने विदुर के गृह त्याग का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि विनम्रता ही गुणी की पहचान है। विनम्रता मनुष्य के व्यक्तित्व का आभूषण है। इसके माध्यम से हमारा व्यक्तित्व खूबसूरत बनता है, क्योंकि विनम्र होकर ही हम पात्रता अर्जित कर सकते हैं।
विनम्र होकर हम ग्रहण करना सीखते हैं और विनम्रता के कारण ही हम दूसरों से जुड़ पाते हैं। भारतीय संस्कृति में इसी विनम्रता को व्यक्त करने के लिए प्रणाम और अभिवादन करने की परंपरा है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य कर्म सुख के लिए करता है। उन्होंने कहा कि कर्म ही सुख-दुःख देते हैं। सुख-दुख का मूल कारण हमारे स्वयं के ही कर्म है। अनुचित कर्म मनुष्य में विभिन्न विकृतियों को जन्म देते हैं। हम अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाए तो जीवन सुखमय ही होगा।
यह भी पढ़ें : कलश यात्रा में शामिल होने से आत्मा होती है पवित्र : मारूतिनंदन शास्त्री
मारूतिनंदन जी शास्त्री ने विदुर के गृह त्याग व उद्धव चरित्र का प्रसंग सुनाते हुए महाराज जी ने कहा कि त्याग एवं संमर्पण का जीवन में महत्व बताया। जो विनम्र होगा वही ज्ञान प्राप्त करेगा। जो वृक्ष फल से भरा होगा वही झुका होगा, जबकि फलहीन वृक्ष तना रहता है यही विनम्र व्यक्ति की पहचान है।
उन्होंने संत सेवा, ब्राह्मण सेवा की मिसाल देते हुए महिपाल परिवार की तारीफ की। संगीतमय कथा के दौरान पूज्य गुरूजी ने हर देश में तू, हर वेश में तू३, हे गोपाल राधे कृष्ण गोविंद गोविंद३, चली जा रही हैं अनमोल सांसें३., हरि बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी३ भजन सुनाए। साथ ही कथाव्यास ने राजा परीक्षित व सुखदेव जी का प्रसंग भी सुनाया।
उन्होंने भक्तों को सनातन धर्म का महत्व बताया। साथ ही अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
श्रीमद भागवत कथा में हुआ अतिथियों का सम्मान
अंत में पूज्य गुरुजी ने भागवत कथा श्रवण करने आए धर्मसंघ महाविद्यालय प्राचार्य विदिशदत शास्त्री, गोविंद सर्राफ, संजीव सीसवालिया, महेंद्रपाल रावतसर, दिनेश कुमार हिसार, लीलाधर, सत्यनारायण, मोहित चाचाण, शिवशंकर गोल्याण, कालूराम गोस्वामी, देवकीनंदन महिपाल, वेदप्रकाश महिपाल, रतन महिपाल, चरणजीत परमार, केवल शर्मा का दुपटटा ओढाकर व फूल मालाएं पहनाकर सम्मान किया।
ख्वाहिश अग्रवाल व समायरा अग्रवाल के बांके बिहारी की मनमोहक झांकी देखकर श्रद्धालु गदगद हो गए। श्यामसुंदर घिराइया, देवेंद्रप्रकाश महिपाल, सुरेश कुमार महिपाल, दीपेंद्र कुमार महिपाल, सिपेंद्र महिपाल एवं विख्यात महिपाल ने अतिथियों का अभिनंदन किया।
यह भी पढ़ें : Best Loan Apps : आसान लोन लेने के लिए ये हैं बेस्ट ऐप्स, मिलेगा 5 से 10 लाख रुपये का लोन
Tags : Yoga , spirituality , Shrimad Bhagwat, Maruti Nandan Shastri Maharaj