Sakat Chauth 2022 : विशेष योगों मे मनाई जायेगी संकट चौथ
माघ मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को समर्पित सकट चौथ का त्योहार मनाया जाता है। शुक्रवार 21 जनवरी को माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। इस त्योहार को संकष्टी चतुर्थी, लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट चौथ, तिलकुट चतुर्थी, संकट चौथ, माघी चौथ, तिल चौथ आदि नामों से भी जाना जाता है।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता है कि इस व्रत को धारण करने से संतान निरोगी, दीर्घायु और सुख-समृद्धि से परिपूर्ण होती है।
सकट चौथ (Sakat Chauth ) पर श्रीगणपति की उपासना से सारे संकट दूर हो जाते हैं। इस चतुर्थी का महत्व काफी अधिक है। इस दिन गणेश जी के लिए व्रत-उपवास करें, पूजा करें और तिल-गुड़ का दान जरूर करें। इस व्रत में माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना के लिए उपवास रखती हैं।
मान्यता है कि सकट चौथ (Sakat Chauth Vrat) का व्रत रखने और भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करने से संतान के ऊपर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार सकट चौथ पर सौभाग्य योग बन रहा है, जो बहुत शुभ माना जाता है। इस योग में किया गया कोई भी कार्य सफल होता है।
सकट चौथ पर सौभाग्य योग दोपहर 3:06 बजे तक रहेगा और उसके बाद शोभन योग शुरू होगा। शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाले अभिजीत मुहूर्त भी 21 जनवरी को दोपहर 12:11 मिनट से शुरू होकर 12:54 मिनट तक रहेगा। सकट चौथ के दिन सुबह से दोपहर 3.06 बजे तक सौभाग्य योग है। इसके बाद शोभन योग शुरू होगा जो 22 जनवरी को दोपहर तक है। संकष्टी चतुर्थी तिथि पर व्रत रखने के बाद चंद्रमा का दर्शन अवश्य करना चाहिए। पूजा के उपरांत चंद्रमा के दर्शन करते हुए जल अर्पित करें।
Sakat Chauth : तिल चतुर्थी के योग में गणेश जी के साथ ही महालक्ष्मी और शुक्र ग्रह की भी विशेष पूजा करनी चाहिए
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शुक्रवार और तिल चतुर्थी के योग में गणेश जी के साथ ही महालक्ष्मी और शुक्र ग्रह की भी विशेष पूजा करनी चाहिए।
चतुर्थी की सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्यदेव को जल चढ़ाएं।
इसके लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए।
सूर्य को अर्घ्य देते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
इसके बाद घर के मंदिर में गणेश जी के सामने पूजा और व्रत करने का संकल्प लें।
गणेश प्रतिमा पर जल चढ़ाएं।
जनेऊ, हार-फूल, वस्त्र आदि अर्पित करें।
दूर्वा अर्पित करें। भोग लगाएं।
धूप-दीप जलाएं।
आरती करें।
पूजा के अंत में जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगे।
पूजा के बाद अन्य भक्तों को प्रसाद वितरीत करें और खुद भी ग्रहण करें।
पूजा में गणेश जी मंत्रों का जाप करें। गणेश पूजा के बाद देवी लक्ष्मी की भी पूजा करें।
दक्षिणावर्ती शंख से देवी का अभिषेक करें।
इसके लिए केसर मिश्रित दूध का उपयोग करें।
दूध से अभिषेक करने के बाद जल से स्नान कराएं।
वस्त्र अर्पित करें।
हार-फूल चढ़ाएं।
पूजन सामग्री अर्पित करें।
तुलसी के साथ भोग लगाएं।
धूप-दीप जलाकर आरती करें।
देवी लक्ष्मी के मंत्र ऊँ महालक्ष्मयै नम: मंत्र का जाप करें।
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान पर आई सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
यह व्रत संतान की उम्र लंबी और दांपत्य जीवन में कोई संकट न आए इसके लिए किया जाता है।
मान्यता है कि भगवान गणपति किसी को खाली हाथ नहीं जाने देते हैं।
संकष्ठी चतुर्थी के दिन भगवान श्रीगणेश की उपासना करने से समस्त संकटों का नाश होता है।
सकट चौथ के दिन व्रत रखने से संतान निरोगी, दीर्घायु और सुख-समृद्धि से परिपूर्ण होती है।
यह व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूर्ण माना जाता है।
इस दिन भगवान श्रीगणेश के कम से कम 12 नामों का भी ध्यान करना चाहिए।
इस व्रत में चंद्रदेव की पूजा में महिलाएं संतान के दीर्घायु और निरोगी होने की कामना करती हैं।
चंद्रमा को अर्घ्य देने से सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस व्रत में सुबह सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए।
बिना नहाए कुछ नहीं खाना चाहिए।
झूठ नहीं बोलना चाहिए।
दिन में नहीं सोना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
विघ्नहर्ता को दूर्वा, फूल और लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
सकट चौथ को तिल के लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
दिनभर अन्न नहीं खाना चाहिए और फलाहार करें।
इस दिन दान देना शुभ माना जाता है।
भगवान श्रीगणेश को लाल रंग के पुष्प अर्पित करें।
तिल का लड्डू या मोदक का भोग लगाने से भगवान श्रीगणेश प्रसन्न होते हैं।
भगवान श्रीगणेश की पूजा में जल, अक्षत, दूर्वा, लड्डू, पान, सुपारी का उपयोग करें लेकिन तुलसी के पत्ते का भूलकर भी इस्तेमाल न करें।
पूजा के बाद शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है।
सकट चौथ पर गणपति की पूजा से सारे संकट दूर हो जाते हैं।
इस दिन भूलकर भी जमीन के अंदर उगने वाले खाद्य सामग्रियों का सेवन नहीं करना चाहिए।
भगवान श्रीगणेश की पूजा में काले वस्त्र धारण करने से बचें। पूजा के दौरान पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।
इस दिन भगवान श्रीगणेश का व्रत और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें।
संकष्टी चतुर्थी पर योग संयोग
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि संकष्टी चतुर्थी शुक्रवार 21 जनवरी को है। इस दिन सुबह 8:52 मिनट तक तृतीया तिथि है। इसके बाद चतुर्थी तिथि लग रही है। इस दिन 9:43 मिनट तक मघा नक्षत्र होगा इसके बाद पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र प्रभाव में आ जाएगा। जबकि 10:30 मिनट से 12 बजे तक राहुकाल रहेगा।
ऐसे दिन में संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ समय 9:43 मिनट से 10:30 मिनट तक रहेगा। हलांकि चतुर्थी व्रत में संध्या काल में गणपति पूजन और चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है।
रात 8:3 मिनट पर दिल्ली में इस दिन चंद्रदर्शन का समय रहेगा जबकि मुंबई में 8:27 मिनट पर चंद्रदर्शन किया जा सकेगा।
संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर सौभाग्य योग भी रहेगा। ऐसे में इस योग में गणपति पूजन से सौभाग्य की भी प्राप्ति होगी।
Sakat Chauth Pujan : संकष्टी चतुर्थी पर गणपति पूजन
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 21 जनवरी संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के वक्रतुंड रूप की पूजा करें।
गणपतिजी को स्नान कराएं और ऊनी वस्त्र गणेशजी को भेंट करें।
तिलकूट चतुर्थी के अवसर पर गणेशजी को दुर्वाए सिंदूर अर्पित करें।
इस चतुर्थी के अवसर पर गणेशजी को तिल से निर्मित सामग्री तिलकूट, तिल के लड्डू अर्पित करें।
इस दिन व्रती को प्रसाद रूप में तिल और गुड़ ग्रहण करें।
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(विश्वविख्यात भविष्यवक्ता एवं कुण्डली विश्ल़ेषक पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर (राजस्थान) Ph.- 9460872809)
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