Sawan Somwar 2023 : श्रावण का चतुर्थ सोमवार : 31 जुलाई 2023
-ज्योर्तिर्विद विमल जैन
भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान शिवजी देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत हैं। भगवान शिवजी की विशेष कृपा-प्राप्ति के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है, जिसमें श्रावण मास के सोमवार का व्रत प्रमुख हैं।
इस बार दो श्रावण मास (अधिक मास) के होने के कारण कुल आठ सोमवार के व्रत का योग बन रहा है। श्रावण मास के सभी सोमवार को व्रत रखा जाता है।
श्रावण मास में प्रदोष व्रत, शिव चतुर्दशी के व्रत की भी विशेष महिमा
प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार प्रथम (अधिक) श्रावण मास का चतुर्थ सोमवार 31 जुलाई को पड़ रहा है। श्रावण मास में प्रदोष व्रत, शिव चतुर्दशी के व्रत की भी विशेष महिमा है।
श्रावण मास में स्वच्छ मिट्टी, गंगाजल से पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर विधि-विधानपूर्वक पूजा किया जाता है। वैसे तो कभी भी भगवान शिवजी की पूजा की जा सकती है। इन दिनों शिवालय में नियमित रूप से दर्शन-पूजन करना भी लाभकारी रहता है।
अधिक मास का पहला सोमवार बन रहा अद्भुत संयोग, राशि के अनुसार करें मन्त्रों का जप एवं दान
लेकिन सोमवार के साथ ही अधिक मास के श्रावण की सोमवार को की गई पूजा विशेष फलीभूत होती है। श्रावण मास में शिवभक्त काँवड़ यात्रा करके भगवान शिवजी को जलापूर्ति कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे देवाधिदेव महादेव अपने भक्तों को श्रावण के पावन महिने में अपनी कृपा-प्रसाद से सराबोर कर देते हैं।
श्रावण मास में अधिक मास पडऩे के कारण श्रीपुरुषोत्तम भगवान का दर्शन-पूजन कर उन्हें 33 मालपुआ अर्पित करने का विधान है।
Sawan Somwar Puja Vidhi : सोमवार के दिन ऐसे होगी शिवजी की पूजा
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रात:काल सूर्योदय के समय ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त हो स्नानकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
तत्पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुन: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पूजा करनी चाहिए।
भगवान शिवजी का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि जो भी सुलभ हो, अर्पित करके शृंगार करना चाहिए। तत्पश्चात् धूप-दीप प्रज्वलित करके आरती करनी चाहिए।
पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। धार्मिक परम्परा के अनुसार जगतजननी माता पार्वतीजी की भी पूजा-अर्चना करने का विधान है। शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलित होती है।
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सोमवार का व्रत समस्तजनों के लिए मान्य
सोमवार का व्रत समस्तजनों के लिए मान्य है। व्रतकर्ता को दिन के समय शयन नहीं करना चाहिए। व्रत के दिन अपने परिवार के अतिरिक्त कहीं कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। व्रतकर्ता को अनर्गल वार्तालाप नहीं करना चाहिए।
यथासम्भव मौन रहते हुए भगवान शिवजी का मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जप करना चाहिए। अपनी दिनचर्या को नियमित संयमित रखते हुए व्रत करके लाभान्वित होना चाहिए। अपनी सामथ्र्य के अनुसार ब्राह्मण एवं असहायों की सेवा व सहायता करते रहना चाहिए। श्रावण मास के सोमवार का व्रत-पूजन करने से मिलता है जीवन में सुख-समृद्धि का वरदान।
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चतुर्थ प्रहर-भगवान शिव जी का शहद से अभिषेक करें एवं ॐ हृीं सध्योजाताय नम:-मन्त्र का जाप करें।
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