Sawan 2023 Last Somvar : सावन का अंतिम सोमवार : 28 अगस्त 2023
भारतीय संस्कृति के हिन्दू सनातन धर्म में भगवान् शिवजी की महिमा अनन्त है। हमारे यहां तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं में भगवान शिवजी ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिन्हें देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत किया गया है। भगवान आशुतोष की विशेष कृपा-प्राप्ति के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है, जिसमें श्रावण मास के सोमवार का व्रत प्रमुख हैं।
वैसे तो हिन्दू धार्मिक परम्परा के मुुताबिक भगवान शिव की आराधना किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन श्रावण मास के सोमवार के दिन की विशेष महिमा है। 59 दिनों के सावन का संयोग 19 साल बाद बना है।
प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार द्वितीय (शुद्ध) सावन-श्रावण मास का अन्तिम सोमवार 28 अगस्त को पड़ रहा है। सोमवार शिव का प्रिय दिन है। इस दिन आयुष्मान योग व सौभाग्य योग का अनुपम संयोग बन रहा है। प्रदोष व्रत भी आज के दिन ही किया जाएगा।
श्रावण मास में शिवभक्त काँवड़ यात्रा करके उन्हें जल अर्पित करते हैं। श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। स्वच्छ मिट्टी व गंगाजल से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करके विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है।
Sawan 2023 Last Somvar Vrat : व्रत का विधान
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त हो स्नानकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
तत्पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुन: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर भगवान शिवजी की विधि-विधानपूर्वक पूजा की जाती है।
भगवान शिवजी का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि जो भी सुलभ हो, अर्पित करके शृंगार करना चाहिए। तत्पश्चात् धूप-दीप प्रज्वलित करके आरती करनी चाहिए। पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
धार्मिक परम्परा के अनुसार जगतजननी माता पार्वती की भी पूजा-अर्चना करने का विधान है। शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलित होती है।
ज्योतिषर्विद् विमल जैन ने बताया कि भगवान् शिवजी की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए सोमवार व्रत कथा, श्री शिव चालीसा, शिव-स्तुति, शिव-सहस्रनाम, शिव अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र, शिव महिम्नस्तोत्र, शिवताण्डव स्तोत्र, दारिद्रयहन शिवस्तोत्र, रुद्राष्टक, शिवपुराण एवं भगवान शिव से सम्बन्धित मन्त्रों का जप एवं पाठ करना चाहिए साथ ही व्रत से सम्बन्धित कथाएँ भी सुननी चाहिए। अपनी दिनचर्या को नियमित संयमित रखते हुए व्रत को पूर्ण श्रद्धा व आस्था के साथ करना लाभकारी रहता है।
व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। अपनी सामथ्र्य के अनुसार ब्राह्मणों को उपयोगी वस्तुओं का दान करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। साथ ही गरीबों व असहायों की सेवा व सहायता करने से जीवन में सुख-शांति एवं खुशहाली मिलती है।
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