JCB Prize for Literature 2023 : जयपुर। भारत में सबसे प्रतिष्ठित फिक्शन पुरस्कारों में से एक जेसीबी प्राइस फॉर लिटरेचर के छठे संस्करण की शॉर्टलिस्ट की घोषणा जय महल पैलेस, जयपुर में की गई। नवंबर 2023 में होने वाले पुरस्कार समारोह से पहले आयोजित इस कार्यक्रम में लेखकों, अनुवादकों और शहर के पुस्तक प्रेमियों के समुदाय ने हिस्सा लिया।
इस दौरान निर्णायक मंडल के सदस्य श्रीनाथ पेरूर, सोमक घोषाल और कावेरी नांबिसन ने 5 किताबों की शॉर्टलिस्ट की घोषणा की, जिनमें बंगाली, हिंदी और तमिल भाषाओं के तीन अनुवाद समेत कुल 5 किताबें हैं।

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प्रतिष्ठित भारतीय लेखक को 25 लाख रुपये इनाम वाला अवॉर्ड
जेसीबी प्राइस फॉर लिटरेचर 25 लाख रुपये इनाम वाला अवॉर्ड है और यह हर साल किसी प्रतिष्ठित भारतीय लेखक को उनकी फिक्शन, यानी काल्पनिक कृतियों के लिए दिया जाता है। हर साल साहित्य निदेशक सामाजिक और बौद्धिक जगत से जुड़े प्रतिष्ठित लोगों को जूरी के रूप में नियुक्त करते हैं।
निर्णायक मंडल का हर सदस्य प्राइस के लिए दर्ज किए गए हर उपन्यास को गहनता से पढ़ता है और उसे लॉन्गलिस्ट (10 में से), शॉर्टलिस्ट (5 में से) और विजेता चयनित करने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार होता है।
जेसीबी प्राइस फॉर लिटरेचर 2023 की शॉर्टलिस्ट की घोषणा के बाद अभिनेत्री दिव्या सेठ शाह के साथ ही कवयित्री और शोधार्थी वामिक सैफी ने शॉर्टलिस्टेड किताबों को पढ़ा। नाटकीय पाठन के दरमियां सारंगी पर दायम अली और सितार पर पंडित हरिहर शरण भट्ट की संगीतमय प्रस्तुति भी चलती रही। इस दौरान दर्शकों का भरपूर मनोरंजन होता रहा और उन्हें विविधताओं का आभास होता रहा।
2023 की शॉर्टलिस्ट में शामिल
तेजस्विनी आप्टे-रहम द्वारा लिखी गई द सीक्रेट ऑफ मोर (एलेफ बुक कंपनी, 2022)
मनोरंजन ब्यापारी द्वारा लिखी और वी. रामास्वामी द्वारा बंगाली से अनुवादित की गई द नेमेसिस (वेस्टलैंड बुक्स, 2023)
पेरुमल मुरुगन द्वारा लिखी गई और जननी कन्नन द्वारा तमिल भाषा से अनुवादित फायर बर्ड, (पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया, 2023)
विक्रमजीत राम द्वारा लिखी गई मंसूर (पैन मैकमिलन इंडिया, 2022)
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मनोज रूपडा द्वारा लिखी गई और हंसदा सोवेंद्र शेखर द्वारा हिंदी से अनुवादित आई नेम्ड माय सिस्टर साइलेंस (वेस्टलैंड बुक्स, 2023)
2023 ज्यूरी के अध्यक्ष श्रीनाथ पेरुर ने कहा कि हमारी शार्टलिस्ट मीटिंग में 10 में से किन्हीं 5 किताबों को सेलेक्ट करना मुश्किल था, क्योंकि हर किताब अपने आप में बेहतरीन थी। इस 10 की लंबी लिस्ट में हर एक बुक गंभीर शार्टलिस्ट में शामिल होने की हकदार थी, जिसे ज्यूरी के कम से कम एक सदस्य ने शार्टलिस्ट किया था, लेकिन आखिरकार एक कलेक्टिव फैसले में हमने वो 5 किताबों का सेलेक्शन किया, जिसे ज्यूरी मेंबर अंतिम 5 में चाहते थे। किसी भी एक बुक को लिस्ट से हटाने का फैसला आसान नहीं था।
जैसे ही विनर के ऐलान का वक्त नजदीक आया, तो साहित्यिक निदेशक, मीता कपूर ने कहा कि साहित्य के लिए जेसीबी प्राइस 2023 की 5 शार्टलिस्ट बुक भारत की साहित्यिक परिदृश्य की विविधता के हर पहलू को दर्शाती हैं। हर कहानी अपने आप में एक मनमोहन शब्दों का नृत्य है, जो हमारी समृद्ध साहित्यिक विरासत का परिचय कराती है। हमारी पब्लिशर्स, बुकस्टोर्स और ऑनलाइन कम्यूनिटी का इन तरह की आवाजों को आगे बढ़ान में अमूल्य योगदान रहा है। जैसे आप इन बुक्स की गहराई में उतरेंगे, तो आपको अपनी साझा इंसानी यात्रा की खोज की झलकियां दिखेंगी और आप बेशुमार भावनाओं और प्रतिध्वनित कहानियों को पाएंगे।
जेसीबी प्राइस फॉर लिटरेचर 2023 के विजेताओं की घोषणा 18 नवंबर को की जाएगी और उन्हें 25 लाख रुपये कैश प्राइस दिया जाएगा। विजेता के लिए प्रविष्टि अगर अनुवादित है, तो अनुवादक को 10 लाख रुपये का अतिरिक्त कैश प्राइस दिया जाएगा। इसके साथ ही शॉर्टलिस्ट में शामिल पांचों लेखकों को एक-एक लाख रुपये देकर सम्मानित किया जाएगा और शॉर्टलिस्टेड पीस अगर अनुवादित है तो फिर अनुवादक को 50,000 रुपये मिलेंगे।
शॉर्टलिस्ट की गई किताबें : ज्यूरी के कमेंट्स, सारांश और लेखक और अनुवादक के बायोडेटा :
तेजस्विनी आप्टे-रहम द्वारा लिखी गई द सीक्रेट ऑफ मोर (एलेफ बुक कंपनी, 2022) को लेकर निर्णायक मंडल
का कहना है-
एक पारिवारिक गाथा, जो बंबई और वहां बसे व्यापारियों के सामाजिक इतिहास को बखूबी पेश करती है और इतनी कल्पनाशीलता, सटीकता और बारीकी से इसके बारे में शायद ही कभी कहा गया है। सदी के अंत में मुलजी जेठा कपड़ा बाजार, पहले फिल्म के निर्माण में नायक की निडर यात्रा, थिएटर में ओरिएंटल ऑर्गन का बजाना और फिर नायक और उसकी फिल्म के स्टार के बीच का अवास्तविक रिश्ता… ये सभी किताबी घटनाक्रम चमेली की मादक खुशबू की तरह लंबे समय तक हमारे साथ रहते हैं और आखिरी पन्ना पलटने के बाद भी काफी देर तक और ज्यादा रहस्यों के साथ छोड़ देते हैं।
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सारांश
बंबई के धड़कते दिल में, एक ऐसा शहर जो कपास को सोना बना देता है, तात्या नाम का एक युवक रोजी-रोटी कमाने इस शहर में आता है। महत्वाकांक्षी और कड़ी मेहनत करके तात्या धीरे-धीरे इस शहर के प्रसिद्ध कपड़ा बाजार में अपनी पैठ मजबूत करता है और नाम बनाता है। इस बीच, उसकी नई दुल्हन राधा सासांरिक खुशियों और चुनौतियों के साथ परिवार को आगे बढ़ाने की कोशिश में लगी है। एक ऐसे शहर में, जो पारंपरिक होने के साथ ही तेजी से आधुनिकीकरण को आत्मसात कर रहा है, वहां कपड़ा उद्योग में सफलता का स्वाद चखने के बाद तात्या को कई संभावनाएं दिखती हैं।
मोशन पिक्चर्स, यानी फिल्मों की दुनिया धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी और तात्या शुरुआती झिझक के बावजूद इस दुनिया में अपनी किस्मत बनाने की कोशिश में डूबने लगा। कहते हैं कि मेहनत का फल मीठा होता है और तात्या के साथ भी ऐसा ही हुआ। उसके द्वारा बनाई गई मूक फिल्में भीड़ को आकर्षित करती हैं और उसकी नई फिल्में भी थिएटर में चमत्कार करती रही। लेकिन कमल नाम की ऐक्ट्रेस के साथ दोस्ती और आकर्षण उसकी दुनिया को झकझोर देता है और उसकी ईमानदारी पर सवाल उठाने की वजह बनता है।
कोलाहल और हलचल से भरे औपनिवेशिक बॉम्बे की पृष्ठभूमि पर आधारित द सीक्रेट ऑफ मोर एक अथक महत्वाकांक्षा, दृढ़ प्रेम और गहरे विश्वासघात की यात्रा है। तात्या ज्यादा पाने और अपना नाम बनाविने के रहस्य को उजागर करने की कोशिश करता है। एक ऐसी कहानी, जिसमें कपड़ा मिलों की खड़खड़ाहट से लेकर साइलेंट फिल्म इंडस्ट्री का ग्लैमर तक है, गिरगांव की भीड़ भरी चॉल से लेकर सी-फेसिंग हवेली तक का बखूबी जिक्र है और यह रोमांचित करता है। यह कहानी एक ऐसे शख्स और उसके परिवार की है, जिसे सीख मिलती है कि बंबई शहर में आप उड़ तो सकते हैं, लेकिन अगर गिरते हैं, तो यह आपको और नीचे दबा देता है।
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लेखिका के बारे में
तेजस्विनी आप्टे-रहम मुंबई की लेखिका हैं। वह शॉर्ट स्टोरी कलेक्शन- दिज सर्कसेज दैट स्वीप थ्रू द लैंडस्केप की लेखिका होने के साथ ही बच्चों के एनवायरनमेंटल एजुकेशन बुक द पूप बुक की सह-लेखिका भी हैं। तेजस्विनी स्क्रीन, हिंदुस्तान टाइम्स और द एशियन एज में बतौर पत्रकार और एनवायरनमेंटल रिसर्चर के रूप में लिख चुकी हैं।
द नेमेसिस (वेस्टलैंड बुक्स, 2023), मनोरंजन ब्यापारी द्वारा लिखित और वी. रामास्वामी द्वारा बंगाली से अनुवादित
ज्यूरी का कहना है
द नेमेसिस एक काफी पावरफुल स्टोरी है, जिसके केंद्र में जिबोन नामक युवा है। जिबोन पूर्वी बंगाल, जो कि अब बांग्लादेश है, से अपने सैकड़ों हमवतनों के साथ कलकत्ता स्थित शरणार्थी कैंप पहुंचता है। भयंकर गरीबी की मार, दमनकारी जाति व्यवस्था और असंवेदनशील समाज जिबोन को समय-समय पर अपमानित करता है और उसके जीवन को और ज्यादा नारकीय बनाता रहता है। आखिरकार तंग आकर जिबोन नक्सल आंदोलन से जुड़ने के लिए घर छोड़ देता है। जिबोन कष्ट सहता है, लेकिन हल चलाना जारी रखता है। द नेमेसिस दिल दहला देने वाली कहानी है, जिसमें साहस के साथ ही प्रतिकूल परिस्थितियों में अपना जज्बा कम न होने देना और फिर अंत में उम्मीद की दास्तां बयां होती है।
सारांश
तीन किताबों की श्रृंखला का यह दूसरा भाग हमें 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक के शुरुआती दिनों में ले जाता है, जहां पूर्वी पाकिस्तान से मुक्ति की आवाजें तेज होने लगी थीं और शरणार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। शरणार्थी भारत में, खासतौर पर पश्चिम बंगाल के रिफ्यूजी कैंपों में आसरा मांग रहे हैं। इस दौरान नक्सली आंदोलन भी धीरे-धीरे बढ़ने लगे थे। कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई (एम) और सीपीआई (एमएल) में विभाजित हो गई थी और दोनों के बीच काफी कड़वाहट पैदा हो गई थी। इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी और इन लोगों में सत्ता के लिए संघर्ष शुरू हो गया था। खूनी लड़ाई शुरू हो चुकी थी और इसी बीच हमें कलकत्ता में 20 साल का जिबोन मिलता है, जो भूख, असमानता और राष्ट्रवादी उत्साह की चक्की में पिसता हुआ गुस्से से भरा था। इस उपन्यास में कलकत्ता की सड़कों पर जीवन जीने की तलाश में घूम रहे एक युवा का सम्मोहक चित्र है और उसके अंदर व्यवस्था के प्रति गुस्से की झलक भी है।
लेखक के बारे में
मनोरंजन ब्यापारी मुख्य रूप से बांग्ला में लिखते हैं। उनकी कुछ महत्वपूर्ण रचनाओं में छेरा छेरा जिबोन, इत्ति ब्राइट चंडाल जिबोन और चंडाल जिबोन जैसी ट्रायलोजी है। उन्होंने महज 24 साल की उम्र में जेल में रहते हुए खुद को पढ़ना और लिखना सिखाया। उन्होंने रिक्शा चालक के साथ ही सफाईकर्मी और दरबान रूप में भी काम किया है। साल 2018 तक मनोरंजन ब्यापारी हेलेन केलर इंस्टिट्यूट, कोलकाता में रसोइया के रूप में काम करते हुए बधिर और दृष्टिहीन लोगों की सेवा कर रहे थे। साल 2018 में उनके संस्मरण, इत्ति ब्राइट का अंग्रेजी अनुवाद चंडाल जिबोन (इंटरोगेटिंग माई चांडाल लाइफ) को नॉन-फिक्शन के लिए हिंदू प्राइस मिला। इसके बाद 2019 में उन्हें गेटवे लिट फेस्ट राइटर ऑफ द ईयर प्राइस से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उनके उपन्यास बताशे बरुदेर गंधा (देयर इज गन पाउडर इन द एयर) के अंग्रेजी अनुवाद को जेसीबी प्राइस 2019 और डीएससी प्राइस फॉर साउथ एशियन लिटरेचर 2019, क्रॉसवर्ड प्राइस 2019 और मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर प्राइस 2020 के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया। उनके उपन्यास छेरा छेरा जिबोन (ईमान) के अंग्रेजी अनुवाद को जेसीबी प्राइस 2022 के लिए चुना गया था। मनोरंजन को उनकी उल्लेखनीय रचनाओं के लिए इस साल शक्ति भट्ट प्राइस भी मिला है। साल 2021 में मनोरंजन ब्यापारी बंगाल विधान सभा के सदस्य भी बने।
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अनुवादक के बारे में
वी. रामास्वामी हाशिए पर रह रहे लोगों की आवाज माने जाते हैं और उनके साहित्यिक अनुवादों में भी इसकी बखूबी झलक मिलती है। उनके पिछले अनुवाद, जिनमें द गोल्डन गांधी स्टैच्यू फॉर अमेरिका: अर्ली स्टोरीज, वाइल्ड एनिनमल प्रोहिबिटेड: स्टोरीज और विरोधी कहानियां और दिस कुड हैव बिकम रामायण चमार्स टेल: टू एंटी नॉवेल्स (क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड, 2019 के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए), सभी सत्ता-विरोधी बंगाली लेखक सुबिमल मिश्रा की रचनाओं के हैं। उन्हें चंडाल जिबोन नॉवेल्स का अनुवाद करने के लिए एबरिस्टविथ युनिवर्सिटी में इनॉग्रल लिटरेचर एक्रॉस फ्रंटियर्स- चार्ल्स वालेस इंडिया ट्रस्ट फेलोशिप से सम्मानित किया गया है।
फायर बर्ड, लेखक पेरुमल मुरुगन, अनुवादक जननी कृष्णन (पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया, 2023)
ज्यूरी का कहना है..
पिछले करीब हजार वर्षों के दौरान अब तक इंसान जमीन के एक टुकड़े पर रहा है, जिसे वो अपना घर मान रहा है और जहां वो अपनी जड़े जमाए हुए है। फायर बर्ड का नायक मुथु का संबंध एक किसान परिवार से है। मुथु जमीन के गलत बंटवारे और घर के बिगड़े रिश्तों से परेशान है। ऐसे में वो एक एक अपने पहचान के उम्रदराज नौकर को लेकर बैलगाड़ी से जमीन की तलाश में निकल जाता है, वो जमीन जिसे वो खरीद सके, जिसे वो अपनी जमीन कर सके।
पेरुमल मुरुगन अपनी जमीन की खोज की कहानी को विस्तार से बताते हैं: वो हर एक पौधे और पेड़ के साथ पक्षी और जानवर को जानते हैं। साथ ही उन्हें मिट्टी और फसल की भी जानकारी है। साथ ही मुरुगन बताते हैं कि यह सभी चीजें कैसे वहां रहने वाले लोगों की संस्कृति और प्रवृत्ति पर असर डालती हैं। जननी कन्नन का अनुवाद तमिल के साहित्यिक लय को कोमलता और संवेदनशीलता के साथ अंग्रेजी भाषा में उतारता है। फायर बर्ड काफी पुरानी होने के साथ ही यूनिवर्सल स्टोरी है, जो पूरी तरह से संजीदगी से स्थानीय है। यह एक सरल लगने वाली गहन पुस्तक है, जो हमारे कुछ अंदर के आवेग के बारे में सवाल पूछती है।
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सारांश
फायर बर्ड शानदार तरीके से डिजाइन एक व्यक्ति की कहानी है, जो एक व्यक्ति की खोज की स्थायित्व के मायावी धारणा को दर्शाती है। मुथु का संसार तब उतार चढ़ाव के दौर से गुजरता है, जब उसके पिता पारिवारिक जमीन का बंटवारा कर देते हैं। इससे उसके पास वास्तव में कुछ भी नहीं बचता है। ऐसे में उसका परिवार के साथ संबंध खराब हो जाता है। मुथु का बड़ा भाई उसके साथ छल-कपट करता है, जिससे मुथु अपने बसे बसाए परिवार को छोड़ने को मजबूर होना पड़ता है। फिर मुथु अपनी एक नई जिंदगी की तलाश में अपने बच्चों और पत्नी के साथ निकल जाता है।
इस शानदार उपन्यास में पेरुमल मुरुगन अपने खुद के जीवन के अनुवभ को संजीदगी से कलमबद्ध करते हैं। मुरुगन अपने विस्थापन, बदलाव के दौर और अपनी जमी-जमाई जिंदगी और उसके टूटने के अनुभव के बारे में बताते हैं। अनुवाद के लिहाज से बेहद मुश्किल आलंदापाटची, जिसमें तमिल के रहस्यमयी पक्षी का जिक्र है और यह अपने विस्थापन की प्रवृति से मजबूर है। फायर बर्ड आपकी सोच को झकझोर देता है और इतने सुंदर तरीके से लिखा गया है कि इसमें बदलती दुनिया में मनुष्य की एक जगह टिकने की चाहत और मजबूरी बखूबी दिखती है।
लेखक
पेरुमल मुरुगन भारतीय लेखक, स्कॉलर और और साहित्यिक इतिहासकार है, जो तमिल भाषा में लिखते हैं। उन्होंने 12 नॉन फिक्शन किताबें लिखी हैं। इनमें से 10 नॉवेल को अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है। उनके लिखे नॉवेल में 6 शॉर्ट स्टोरीज का कलेक्शन हैं, जबकि बाकी 6 कविताओं का संकलन और कई नॉन फिक्शन बुक हैं। सीजन्स ऑफ द पाम, जिसे 2005 में किरियामा पुरस्कार के लिए चुना गया था, करंट शो, वन पार्ट वुमन, ए लोनली हार्वेस्ट, ट्रेल बाय साइलेंस, पूनाची या द स्टोरी ऑफ ए गोट, रिजॉल्व, एस्टुअरी, राइजिंग हीट और पायर। वो सलेम अट्टूर और नमक्कल के सरकारी आर्ट कॉलेज में एक तमिल प्रोफेसर थे।
अनुवादक
जननी कन्नम एक यूएस बेस्ड आर्किटेक्ट, अनुवादक, सिंगर और मैराथन रनर हैं। उन्हें तमिल नॉवेल और शॉर्ट स्टोरीज का अनुवाद करने में काफी खुशी मिलती है। उन्होंने हाल ही में राइजिंग हर्ट का अनुवाद किया है। पेरुमल मुरुगन उनका सबसे पहला नॉवेल था। उनकी पसंद तमिल कल्चर से पुरानी दंतकथाओं, खाने-पीने की रेसिपी और वास्तुशिल्प की जानकारी कलेक्ट करना है। साथ ही उनके बारे में बताना भी आदतों में शामिल है।
विक्रमजीत राम द्वारा लिखी गई मंसूर (पैन मैकमिलन इंडिया, 2022)
ज्यूरी का कहना है…
विक्रमजीत राम का छोटा, लेकिन गंभीर नॉवेल हमें 17वीं शताब्दी के मुगल साम्राज्य की याद दिलाता है, जहां प्रतिष्ठित मास्टर आर्टिस्ट मंसूर एक उत्कृष्ट, प्रबुद्ध पुस्तक समय पर पूरा कर रहे हैं, जिससे कि वो कश्मीर स्थित शाही ग्रीष्मकालीन विश्राम स्थल तक जल्दी पहुंच सकें। लेकिन उत्तर की लंबी यात्रा महिलाओं के क्वॉर्टर में पनपने वाली साजिशों, मंसूर के प्रतिद्वंदियों की अति महत्वाकांक्षों से भरी हुई है। एक बेहग सुंदर लघु पेंटिंग की तरह राम का नॉवेल हमें विस्तृत जानकारी पर गंभीरता से ध्यान देने को मजबूर करता है। खासतौर पर मुश्किलों से घिरे बुद्धिमान लोगों को दर्शाता है। मंसूर आनंदित करने वाली छोटी स्टोरी टेलिंग है, जिसका हर वाक्य किसी नायाब रत्न जैसी स्पष्टता की तरह चमक रहा है।
सारांश
शनिवार, 27, फरवरी, 1627. मास्टर आर्टिस्ट मंसूर, जो मुगल सम्राट जहांगीर के सरपरस्ती में काम करता है। वो डोडो की अपनी पेंटिंग को पूरा करना चाहता है और कश्मीर की यात्रा के लिए तैयारी कर रहा है, जो अपने से छोटे साथी कर्मचारी विचित्र की ओर से रोका जाता है। इस विजिटर की तरफ से एक सहज टिप्पणी पहले मंसूर और फिर थोड़ी देर बाद पोर्टेट अबुल हशन के लिए की जाती है कि गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, क्योंकि शाही चित्रालय के ज्यादातर कैरेक्टर, लाइब्रेरी और महिलाओं के क्वॉर्टर आधे-अधूरे सच के जाल और छोटी-मोटे आपसी झगड़े में फंस गए हैं।
इस कहानी का यूं कहे तो दिल गदगद करने वाली पद्य किताब है, जिसके पन्नों को मंसूर ने वास्तविक जीवन की तितलियों जैसे रोशन कर दिया है। वेरिनाग पहुंचने पर कश्मीर में रॉयल समर रीट्रीट में पेंटर को किताब इसके ऑथर साम्राज्ञी नूर जहां को सौंपनी होगी, जिन्होंने इसे अपने पति सम्राट जहांगीर के लिए स्मृति चिन्ह के तौर पर बनावाया था।
अब उदयपुर से जयपुर के बीच वंदेभारत एक्सप्रेस, जाने पूरा रुट चार्ट और किराया
इस किताब की बाइन्डरी से मंसूर पहुंचने में देरी से इस आशंका को बल मिलता है कि इसको लेकर उत्सुकता का रहस्य ज्यादा समय तक मौजूद नहीं रहेगा। साथ ही डर भी कि इतनी कीमती कलाकृति गलत हाथों में पड़ सकती है। अपनी उत्कृष्ट कृति को वेरिनाग तक सुरक्षित पहुंचाने से पहले चित्रकार को क्या-क्या सामना करना होगा?
लेखक के बारे में
विक्रमजीत राम एक उपन्यासकार और नॉन फिक्शन लेखक हैं, जो बेंगलुरु में रहते हैं। वह नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन से ग्रैजुएट हैं। वह आमतौर पर ग्रॉफिक्स डिजाइनर के तौर पर प्रैक्टिस करते हैं। साथ ही भारतीय हाथी के सांस्कृतिक इतिहास एलिफैंट किंगडम: स्कल्पचर्स फ्रॉम इंडियन आर्किटेक्चर’ के लेखक हैं। विक्रमजीत राम दो ट्रैवल व्लॉग, ‘ड्रीमिंग विष्णुज़: ए जर्नी थ्रू सेंट्रल इंडिया’ और ‘त्सो एंड ला: ए जर्नी इन लद्दाख; और एक उपन्यास, ‘द सन एंड टू सीज’ के लेखक हैं।
आई नेम्ड माई सिस्टर साइलेंस, लेखकर मनोज रुपडा, हिंदी से अनुवादक हंसदा सोवेंद्र शेखर (वेस्टलैंड बुक्स, 2023)
ज्यूरी का कहना है…
महाकाव्य स्तर के इस उपन्यास को बेहद सुंदरता और संक्षिप्तता के साथ बताया गया है। इसकी शक्ति हंसदा सोवेंद्र के अनुवाद में साफ तौर पर महसूस की जाती है। इसके लेखन में समृद्ध कल्पनाशीलता दिखती है, जो साउंडस्केप और लैंडस्केप का इस्तेमाल करके सहजता से कहानी कहता है। मनोज रुपडा का नाटक इस थीम पर है कि हर चीज आखिर में नष्ट हो जाती है। फिर चाहे वो राजसी हाथी हो, शिप हो और कर्पट सोसाइटी की ओर से खा ली गई पूरी ट्राइबल सोसाइटी हो। नायक और उसकी बहन का जटिल और भावनात्मक रिश्ता इसके केंद्र में है, जो शायद भाई-बहन के रिश्तों को कई स्तर वाला बना देता है।
सारांश
यह वास्तव में हमारे इतिहास के एक खराब अध्याय के बारे में है। यह उन जगहों और लोगों के बारे में है, जिसे समाचार रिपोर्ट में पढ़कर हम एक राय बनाते हैं। हम उनके लिए हल्की सहानुभूति रख सकते हैं। इन जगहों का हमारे लिए कोई महत्व नहीं है, बस इतना है कि वो फॉरेस्ट लैंड हैं, जहां कोई सुविधाएं नहीं हैं। यहां तक कि वो पर्यटन के लायक भी नहीं है। जहां तक लोगों की बात है, हमारा मानना है कि वे उन एक्टिविस्ट की ओर से गुमराह हैं, जो नहीं चाहते कि वे आधुनिकता तक पहुंचें।
इस उपन्यास में एक अन्य दिशा में केंद्रित किया गया है, जो कि बिल्डुग्स्रोमन की शैली में फिट बैठता है। इसमें एक नैरेटर की जिंदगी से जुड़ी जानकारी है कि कैसे वह आगे बढ़ता है और बहन के आग्रह पर अपना गांव छोड़ देता है, जो उसे सुझाव देती है कि उसे शिक्षा मिले और वह इंजीनियर बन सके। इसके बाद ग्लोबल मंदी के बीच बड़े मालवाहक जहाज के गुजरात बंदरगाह पर नष्ट होने और खुले समुद्र में यात्रा करने की कहानी है। इसके बाद नॉवेल में उसके गांव वापस लौटने और अपनी बहन को खोजने की दास्तां है। उसकी गांव वापसी अहम हो जाती है, क्योंकि वो इस तलाश में है कि उसकी बहन क्या कर रही थी। साथ ही वह ये पता लगाने की कोशिश करता है कि आखिर उसकी बहन नक्सलियों से कैसे जुड़ी और वो अभी कहां है, वो उसके साथ जुडने की कोशिश करता है।
इस किताब में कई मजेदार किरदार हैं। यह काफी संक्षिप्त और केंद्रित है। इसकी शुरुआत में नैरेटर कहता है कि वह जिस भी बड़ी चीज को चाहता है या फिर उस बड़ी चीज के लिए दिलचस्पी दिखाता है, वो हिंसक होती है और समय से पहले नष्ट हो जाती है। जैसे कि वह हाथी, जिसे उसने बचपन में अनुसरण किया था।
लेखक
मनोज रुपडा महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले हिंदी लेखक हैं। वह चर्चित उपन्यास काले अध्याय के लेखक हैं, जिसे अनुवाद में आई नेम्ड माई सिस्टर साइलेंस दिया गया है। इसके अलावा वह प्रतिसंसार; द कलेक्शन ऑफर स्टोरीज, दफन और अन्य कहानियां, साज़ नासाज़, आमाजगाह, टावर ऑफ साइलेंस, दहन और दस कहानियां; और निबंधों की एक किताब कला का आश्वासन के लेखक हैं। इन्हें इंदु शर्मा कथा पुरस्कार और वनमाली सम्मान भी दिया गया है।
अनुवादक
हंसदा सोवेंद्र शेखर अंग्रेजी में लिखते हैं और संथाली, हिंदी और बंगाली से अंग्रेजी में अनुवाद करते हैं। उनके उपन्यास माई फादर्स गार्डन को जेसीबी प्राइस फॉर लिटरेचर 2019 के लिए भी चुना गया था। उनकी कहानियों का संग्रह, द आदिवासी विल नॉट डांस को द हिंदू पुरस्कार के लिए चुना गया था, जबकि उनके पहले उपन्यास, द मिस्टीरियस एलिमेंट ऑफ रूपी बास्की ने साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार जीता था और द हिंदू पुरस्कार और क्रॉसवर्ड बुक अवॉर्ड के लिए चुना जाने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय डबलिन साहित्य पुरस्कार के लिए लंबे समय से लिस्टेड किया गया था। बच्चों के लिए उनकी पुस्तक ज्वाला कुमार एंड द गिफ्ट ऑफ फायर को क्रॉसवर्ड बुक अवॉर्ड के लिए चुना गया था। उनके लेखन फ्रंटलाइन, द कारवां, मिंट लाउंज, रीडर्स डाइजेस्ट, द इंडियन क्वॉर्टरली, द हिंदू, द इंडियन एक्सप्रेस, द न्यूयॉर्क टाइम्स, फिफ्टी-टू और अन्य स्थानों में प्रकाशित हुए हैं; जबकि उनके अनुवाद एसिम्पटोट, पोएट्री एट संगम, द डलहौजी रिव्यू और अन्य जगहों पर प्रकाशित हुए हैं।

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