Parama Ekadashi 2023 : कमला (पुरुषोत्तमी) एकादशी : 12 अगस्त, शनिवार
सनातन धर्म में व्रत त्यौहार की परम्परा काफी पुरातन है। हिन्दू धर्मग्रन्थों में हर माह के विशिष्ट तिथि की विशेष महत्ता है। सभी तिथियों का किसी न किसी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना से सम्बन्ध है।
पुराणों के अनुसार कमला एकादशी का व्रत करने से भगवान श्रीहरि विष्णु की कृपा से सर्वमनोकामना पूर्ण होती है। अधिक मास या अतिरिक्त महीने में पड़ने वाली एकादशी व्रत को कमला एकादशी, पद्मिनी या पद्मा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, इस बार यह व्रत 12 अगस्त, शनिवार को है। इसे पुरूषोत्तम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
इस बार द्वितीय (अधिक) श्रावण कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि 10 अगस्त, गुरुवार को अद्र्धरात्रि के पश्चात् 5 बजकर 07 मिनट पर लगेगी जो कि 12 अगस्त, शनिवार को प्रात: 6 बजकर 32 मिनट तक रहेगी।
इस दिन मृगशिरा नक्षत्र 11 अगस्त, शुक्रवार को रात्रिशेष 5 बजकर 32 मिनट पर लगेगा जो कि 12 अगस्त, शनिवार को प्रात: 6 बजकर 03 मिनट तक रहेगा। जिसके फलस्वरूप 12 अगस्त, शनिवार को यह व्रत रखा जाएगा। एकादशी तिथि के व्रत का पारण द्वादशी तिथि में ही करना चाहिए। इस एकादशी व्रत को एकादशी कहा गया है।
तीन साल में केवल एक बार पड़ने वाली एकादशी तिथि को विष्णु पुराण में दुर्लभ बताया गया है। लौकिक आस्था है कि कमला एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। पुरूषोत्तम मास के चंद्रमा के बढ़ते चरण के दौरान पड़ने वाली कमला एकादशी विशेष पुण्य फलदायी मानी गयी है।
इस एकादशी का व्रत करने से बुद्धिमान और स्वस्थ संतान प्राप्ति का सुयोग बनता है। एकादशी तिथि के दिन निराहार रहते हुए गाय को गुड़ और हरी घास खिलाने तथा पशु-पक्षियों को दाना पानी देने और प्यासे लोगों को पानी पिलाने से पुण्यफल प्राप्त होता है।
यह भी पढ़ें -Business Vastu Tips : व्यापार में वृद्धि के लिए अपनाएं ये खास वास्तु टिप्स
ऐसे रखें कमला (पुरुषोत्तमी) एकादशी व्रत
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि सूर्योदय के समय ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर गंगा-स्नानादि करना चाहिए। गंगा-स्नान यदि सम्भव न हो तो घर पर ही स्वच्छ जल से स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
प्रथम पूज्य श्रीगणेश जी को स्मरण करके आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् कामला एकादशी के व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन व्रत उपवास रखना चाहिए। जल आदि कुछ भी ग्रहण करना वर्जित है। विशेष परिस्थितियों में जल, दूध या फलाहार ग्रहण किया जा सकता है।
मान्यता के अनुसार चावल तथा अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।
भगवान् श्रीविष्णु की विशेष अनुकम्पा-प्राप्ति एवं उनकी प्रसन्नता के लिए भगवान् श्रीविष्णु जी के मन्त्र ‘ॐ नमो नारायण’ या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का नियमित रूप से अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। श्रीराधाकृष्ण और भगवान् श्रीविष्णु जी की श्रद्धा, आस्था भक्तिभाव के साथ आराधना कर पुण्य अर्जित करके लाभ उठाना चाहिए। व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। व्यर्थ वार्तालाप एवं हास-परिहास से दूर रहना चाहिए।
आज के दिन ब्राह्मण एवं जरूरतमंदों को अपने सामथ्र्य के अनुसार उपयोगी वस्तुओं का दान करके पुण्यलाभ अर्जित करना चाहिए। ब्राह्मण को दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करके जीवन को खुशहाल बनाना चाहिए। जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य व सौभाग्य में अभिवृद्धि बनी रहे।
व्रत के दिन ब्राह्मण को अपने सामथ्र्य के अनुसार दक्षिणा के साथ उपयोगी वस्तुओं का दान करके आशीर्वाद प्राप्त कर पुण्यलाभ लेना चाहिए।
यह भी पढ़ें – Best Loan Apps : आसान लोन लेने के लिए ये हैं बेस्ट ऐप्स, मिलेगा 5 से 10 लाख रुपये का लोन
(हस्तरेखा विषेशज्ञ, रत्न-परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिषी एवं वास्तुविद्, एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टैगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी -221002)