– ज्योर्तिवद् विमल जैन
Diwali 2023 : दीपोत्सव का पर्व दीपावली कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन समुद्र मन्थन से भगवती श्रीलक्ष्मीजी का अवतरण हुआ था। साथ ही यह भी लोकधारणा है कि इस रात्रि में देवी लक्ष्मीजी अपने पूर्ण ऐश्वर्य के साथ भ्रमण पर निकलती हैं, जिसके फलस्वरूप इनको प्रसन्न करने के लिए इनकी आराधना की जाती है।
इस बार यह पर्व रविवार, 12 नवम्बर 2023 को मनाया जाएगा। इस पर्व पर मुख्यत: भगवती श्रीलक्ष्मीजी की पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा-अर्चना करने का विशिष्टकाल अधिक फलदायी रहता है।
Laxmi Puja on Diwali 2023 : दिवाली पर ऐसे करें लक्ष्मी पूजा
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि सायंकाल स्नानोपरान्त नवीन वस्त्र धारण कर पूजा का संकल्प लेना चाहिए। धारण करने वाले वस्त्र का रंग काला, नीला, हरा नहीं होना चाहिए। दीपावली पर व्यवसायी व व्यापारी वर्ग नये बही खातों की भी पूजा करते हैं। आजकल कम्प्यूटर का चलन हो गया है जिसमें व्यवसायी लेखा-जोखा रखते हैं। उसकी भी विधिवत् पूजा करनी चाहिए।
श्रीलक्ष्मी जी की पूजा के पश्चात् श्रीमहाकाली, श्रीमहासरस्वती व धनाधिपति श्रीकुबेरदेवजी की भी पूजा की जाती है। आज के दिन 11, 21, 51, 101 या इससे अधिक दीपक प्रज्वलित करके पूजा के पश्चात् उन दीपों को अपने आवास व कार्यस्थल पर रखते हैं। घर के समस्त कमरों, आंगन, छत, गैलरी एवं शुद्ध स्थानों को दीपक जलाकर जगमग रखना चाहिए। आर्थिक समृद्धि के लिए दीपावली की रात्रि में पूजा के पश्चात् उन दीपों को मुख्य दरवाजे की चौखट पर दोनों ओर अवश्य रखना चाहिए।
Diwali 2023 Puja Subh Muhurat : दिवाली पर पूजन का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष अमावस्या तिथि 12 नवम्बर, रविवार को दिन में 2 बजकर 46 मिनट से सोमवार, 13 नवम्बर को दिन में 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगी।
जिसके फलस्वरूप 12 नवम्बर, रविवार को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा।
- दीपावली के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोषकाल सायं 5 बजकर 11 मिनट से रात्रि 7 बजकर 48 मिनट तक है।
- प्रदोष बेला में स्थिर वृषभ लग्न का संयुक्त सर्वोत्तम योग सायं 5 बजकर 22 मिनट से रात्रि 7 बजकर 19 मिनट तक है।
- यह समय दीपावली की पूजा-अर्चना प्रारम्भ करने के लिए काफी उत्तम है।
- स्थिर लग्न सिंह रात्रि 11 बजकर 50 मिनट से अद्र्धरात्रि के पश्चात 02 बजकर 04 मिनट तक ही है।
- यह मुहूर्त सिंह लग्न में पूजा करने वालों के लिए शुभ फलदायी है।
- निशीथ काल रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से रात्रि 12 बजकर 07 मिनट तक है।
Laxmi Ganesh Puja on Diwali : दिवाली पर श्रीगणेश-श्रीलक्ष्मी की पूजा कैसे करें
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि दिवाली पर श्रीगणेश-श्रीलक्ष्मी का पूजन शुभ मुहूर्त से प्रारम्भ हो जाता है। लकड़ी की नई चौकी या सिंहासन पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछा कर उस पर श्रीलक्ष्मी-श्रीगणेश जी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। श्रीलक्ष्मीजी, श्रीगणेशजी के दाहिनी ओर होनी चाहिए। श्रीलक्ष्मी-गणेशजी की मूर्तियों के सामने चावल के दानों के ऊपर कलश में जल भरकर अक्षत, पुष्प, दूर्वा, सुपारी, रत्न व चाँदी का सिक्का आदि रखने चाहिए।
जलपूरित कलश पर सिन्दूर या रोली से स्वास्तिक बनाकर कलश के ऊपर चावल से भरा हुआ पात्र रखना चाहिए। तत्पश्चात कलश पर जलदार नारियल को लाल वस्त्र में लपेट कर उसके ऊपर रक्षासूत्र या कलावा 5, 7, 9, 11 या 21 बार लपेटकर रखना चाहिए।
तत्पश्चात् चंदन, चावल, धूप, गुड़, पुष्प, ऋतुफल आदि अर्पित करने के बाद अखण्ड दीप प्रज्वलित करके पूजन करना चाहिए। दीपावली पूजन की शुरुआत घर के प्रमुख (मुखिया) को करनी चाहिए। परिवार के सभी सदस्यों को नये वस्त्र धारणकर एक साथ बैठकर पूजा में भाग लेना चाहिए।
श्रीलक्ष्मी-गणेशजी का पंचोपचार या षोडशोपचार शृंगार-पूजन करके उनकी स्तुति करनी चाहिए। रात्रि में श्रीलक्ष्मीजी से सम्बन्धित श्रीलक्ष्मी स्तुति, श्रीसूक्त, श्रीलक्ष्मी सहस्रनाम, श्रीलक्ष्मी चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए। शुद्ध देशी घी से अखण्ड ज्योति, धूपम् प्रज्वलित रखनी चाहिए। रात्रि में जागरण भी करना चाहिए।
Diwali 2023 : दिवाली पर श्रीलक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के मन्त्र
‘ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नम:’ अथवा ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्म्यै नम:’,मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र कमलगट्टा या स्फटिक की माला से करना चाहिए। जप 1, 5, 7, 9, 11 या 21 माला की संख्या में होना चाहिए। जब तक मंत्र का जप हो, शुद्ध देशी घी का दीपक व गुगल या गुलाब का धूप जलते रहना चाहिए।
मंत्र जाप के अन्त में श्री लक्ष्मीजी की आरती भी उतारनी चाहिए। दीपावली पूजन अपने पारिवारिक रीति-रिवाज एवं परम्परा के अनुसार ही सम्पन्न करना चाहिए, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली बनी रहे।