ज्योतिष शास्त्र में सूर्यग्रह का नवग्रहों में सर्वोपरि स्थान है। ज्योतिष की गणना के अनुसार मेष राशि से मीन राशि तक सूर्यग्रह प्रत्येक मास एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं। इस बार सूर्यग्रह सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। जिसका व्यापक प्रभाव पूरे विश्व में देखने को मिलता है।
प्रख्यात ज्योर्तिवद् विमल जैन ने बताया कि सूर्यग्रह कन्या राशि में 17 सितम्बर, रविवार को दिन में 1 बजकर 30 मिनट पर प्रवेश करके 17 अक्टूबर, मंगलवार को अद्र्धरात्रि के पश्चात 1 बजकर 30 मिनट तक इसी राशि में रहेंगे। इस एक माह की यह अवधि कन्या संक्रान्ति के नाम से जानी जाएगी। संक्रान्ति का सामान्य पुण्यकाल प्रात: 7 बजकर 06 मिनट से संक्रान्ति काल (सूर्यास्त) तक रहेगा। संक्रान्तिकाल में स्नान-दान की महिमा बताई गई है।
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस दिन सूर्य, चंद्रमा, मंगल-कन्या राशि में, बुध-सिंह राशि में, गुरु, राहु-मेष राशि में; शुक्र-कर्क राशि में, शनि-कुम्भ राशि में, तथा केतु-तुला राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्य-शनि में षडाष्टक योग बन रहा है। वर्तमान समय में गुरु एवं शनि वक्रगति से चल रहे हैं, जिसके फलस्वरूप अनेक अप्रत्याशित घटनाएँ देखने को मिलेंगी। राजनैतिक पक्ष में आरोप-प्रत्यारोप चरम सीमा पर रहेगा।
देश-विदेश के राजनैतिक घटनाक्रम में अचानक तेजी से नये स्वरूप व गतिविधियों के साथ ही शेयर, वायदा व धातु बाजार में विशेष उतार-चढ़ाव, घटा-बढ़ी से विशेष हलचल देखने को मिलेगा। प्राकृतिक दैविक आपदाएँ, जल-थल वायु दुर्घटनाओं का प्रकोप तथा कहीं-कहीं पर आगजनी की आशंका रहेगी। कहीं-कहीं पर वर्षा से भू-स्खलन की आशंका रहेगी।
किसी मुद्दे को लेकर असन्तोष रहेगा। सत्ता पक्ष व विपक्ष में परिवर्तन के साथ ही आरोप-प्रत्यारोप को भी नकारा नहीं जा सकता। मौसम में अजीबो-गरीब परिवर्तन देखने को मिलेगा। धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। आॢथक व राजनैतिक घोटाले भी शासक-प्रशासक पक्ष के सामने आयेंगे।
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ग्रहों के योग के फलस्वरूप द्वादश राशियाँ भी प्रभावित, जाने कैसे
मीन-प्रगति में बाधा। आपसी सम्बन्धों में कटुता। आलस्य की अधिकता। विचारों में उग्रता। प्रतिष्ठा पर आघात।
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विशेष
सूर्यग्रह की प्रसन्नता के लिए अपने आराध्य देवी-देवता की आराधना के साथ सूर्यग्रह की भी अर्चना नियमित रूप से करनी चाहिए। प्रात:काल स्नान के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। तत्पश्चात् सूर्य भगवान को ताम्रपात्र में रोली, अक्षत, लाल फूल एवं गुड़ डालकर अघ्र्य अर्पित करना चाहिए। साथ ही सूर्यग्रह के मन्त्र का जप, श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्रनाम आदि का पाठ भी करना चाहिए।
रविवार के दिन पूर्ण शुचिता के साथ व्रत या उपवास रखकर दिन में 12 बजे से 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार करना चाहिए तथा मध्याह्न के समय ब्राह्मण को सूर्यग्रह से सम्बन्धित लाल रंग की वस्तुएँ जैसे-लाल वस्त्र, गेहूँ, गुड़, ताँबा, लाल फूल, चन्दन आदि विविध वस्तुएँ नगद दक्षिणा सहित संकल्प के साथ दान करना चाहिए।
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(हस्तरेखा विषेशज्ञ, रत्न-परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिषी एवं वास्तुविद्, एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टैगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी -221002)