Surya Rashi Parivartan 2023 : वृष, कन्या, तुला एवं कुम्भ राशि वाले होंगे विशेष लाभान्वित
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सूर्यग्रह का नवग्रहों में प्रमुख स्थान है। ज्योतिष की गणना के अनुसार मेष राशि से मीन राशि तक सूर्यग्रह प्रत्येक मास राशि बदलते हैं। जिसका व्यापक प्रभाव पूरे विश्व में देखने को मिलता है।
प्रख्यात ज्योर्तिवद् विमल जैन ने बताया कि इस बार सूर्यग्रह कर्क राशि में 16 जुलाई, रविवार को अद्र्धरात्रि के पश्चात् 5 बजकर 07 मिनट पर प्रवेश करके इसी राशि में 17 अगस्त, गुरुवार को दिन में 1 बजकर 32 मिनट तक रहेंगे। इस एक माह की यह अवधि कर्क संक्रान्ति के नाम से जानी जाएगी।
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि सूर्यग्रह के कर्क राशि में प्रवेश के समय सूर्य, चन्द्रमा-मिथुन राशि में, मंगल, शुक्र-सिंह राशि में, बुध-कर्क राशि में, गुरु, राहु-मेष राशि में, शनि-कुम्भ राशि में तथा केतु-तुला राशि में विराजमान रहेंगे। ग्रहों के योग के फलस्वरूप विश्व क्षितिज पर अनेकानेक अप्रत्याशित घटनाएँ देखने को मिलेंगी।
ग्रहों के योग के फलस्वरूप सम्पूर्ण जगत में सम्भावित घटनाएं घटने के साथ ही जनमानस पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। राजनैतिक उथलपुथल, देश-विदेश के राजनैतिक घटनाक्रम में अचानक तेजी से नये स्वरूप व गतिविधियाँ देखने को मिलेंगी। शेयर, वायदा व धातु बाजार में विशेष हलचल देखने को मिलेगी। कहीं-कहीं पर वर्षा से भू-स्खलन की आशंका बनी रहेगी।
दैविक आपदाएँ, जल-थल वायु दुर्घटनाओं का प्रकोप तथा कहीं-कहीं पर आगजनी की आशंका बनी रहेगी। किसी मुद्दे को लेकर जन-मानस में असन्तोष रहेगा। सत्ता पक्ष व विपक्ष के राजनैतिक दलों में आपसी खींचतान के साथ आरोप-प्रत्यारोपों का दौर चलेगा। मौसम में अजीबो-गरीब परिवर्तन होगा। धार्मिक पक्ष को लेकर जागरूकता रहेगी। आर्थिक व राजनैतिक घोटाले भी शासक-प्रशासक पक्ष के सामने आयेंगे।
Surya Rashi Parivartan Effect on Horoscope : ग्रहों के योग के फलस्वरूप द्वादश राशियाँ भी होंगी प्रभावित
प्रख्यात ज्योर्तिवद् विमल जैन ने बताया कि ग्रहों के योग के फलस्वरूप द्वादश राशियाँ भी प्रभावित होंगी। कर्क राशि का सूर्य वृष, कन्या, तुला एवं कुम्भ राशि वालों को विशेष सफलता दिलायेगा।
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सूर्यग्रह की पूजा का विधान
सूर्यग्रह की प्रसन्नता के लिए अपने आराध्य देवी-देवता की आराधना के साथ सूर्यग्रह की भी अर्चना नियमित रूप से करनी चाहिए। प्रात:काल स्नान, ध्यान के पश्चात् सूर्य भगवान को ताम्रपात्र में रोली, अक्षत, लाल फूल एवं गुड़ डालकर अघ्र्य अॢपत करना चाहिए। साथ ही सूर्यमन्त्र का जप, श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्रनाम आदि का पाठ भी करना चाहिए।
रविवार के दिन व्रत या उपवास रखकर दिन में 12 बजे से 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार करना चाहिए तथा मध्याह्न के समय सूर्यग्रह से सम्बन्धित लाल रंग की वस्तुएँ जैसे—लाल वस्त्र, गेहूँ, गुड़, ताँबा, लाल फूल, चन्दन आदि विविध वस्तुएँ नगद दक्षिणा सहित ब्राह्मïण को संकल्प के साथ देना चाहिए।
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(हस्तरेखा विषेशज्ञ, रत्न-परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिषी एवं वास्तुविद्, एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टैगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी -221002)
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