-अनीष व्यास
Shani Jayanti 2021 : हिंदू धर्म में शनि जयंती (shani jyanti) का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या (shani amavasya) तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष शनि जयंती 10 जून को मनाई जाएगी।
ऐसा माना जाता है कि शनि देव न्याय के देवता है और शनि जयंती के दिन विधि विधान के साथ यदि पूजा अर्चना के बाद व्रत किया जाता है तो भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि शनि देव सभी भक्तों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। लोग शनि देव को प्रसन्न करने के लिए और किसी भी तरह के कुप्रभाव से बचने के लिए कई प्रकार से आराधना करते हैं। धर्म और ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य पुत्र शनिदेव को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की विधि पूर्वक उपासना करने से शनिजनित दोषों को कम किया जा सकता है। शनिदेव को न्यायप्रिय व कर्मों के अनुसार फल देने वाला देवता कहा गया है। अच्छे कर्म करने वालों पर शनि देव की सदैव कृपा बनी रहती है और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है। जबकि बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति को शनिदेव कठोर दंड देते है। शनि देव की कुदृष्टि से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
Shani Jayanti 2021 शनि देव सूर्य के पुत्र हैं और मृत्यु के देवता यम के बड़े भाई
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि शनि जयंती के दिन कुछ उपायों को करने से शनिदेव प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं तो वहीं कुछ कार्य ऐसे हैं जिनको करने से वे रुष्ट हो सकते हैं, ऐसे कार्यों को इस दिन भूलकर भी न करें। शनि देव सूर्य के पुत्र हैं और मृत्यु के देवता यम के बड़े भाई हैं। शनि देव को न्यायकारी ग्रह माना जाता है।
शनि की महादशा अंतर्दशा, साढ़ेसाती एवं ढैया को लोग अशुभ मानते हैं, किंतु यह हमेशा सत्य नहीं है। अनैतिक कार्य करने वाले व्यक्ति को शनि अपनी ढैया, साढ़ेसाती या महादशा में दारुण दुख देते हैं।
उन्हें आकस्मिक हानि, शारीरिक विकार धन हानि एवं अपमान सहन करना पड़ता है जबकि नैतिक कार्य करने वाले लोग शनि की महादशा में फर्श से अर्श पर जाते हुए देखे गये हैं।
Shani Jayanti 2021 शनि मकर एवं कुंभ राशियों के स्वामी
शनि मकर एवं कुंभ राशियों के स्वामी हैं। तुला राशि में उच्च के होते हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में शनि अच्छे भाव में है तो उसको जीवन में शनि उन्नति की ओर ले जाएंगे और इस शनि कुंडली में मेष राशि के अथवा शत्रु राशि के हो तो ऐसे व्यक्ति को कष्ट प्रदान करते हैं। शनि से डर उनको लगता है जो गलत कार्य करते हैं। जैसे घूस लेना, गरीबों को सताना, माता-पिता की सेवा ना करना, झूठी गवाही देना, अत्याचार आदि करना। शनि सबके कर्मों का हिसाब रखते हैं।
Shani Jayanti 2021 भगवान शनि को प्रसन्न करने के उपाय
भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो पीपल का संबंध शनि से माना जाता है। पीपल की जड़ में हर शनिवार को जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के चलते पीपल के पेड़ की पूजा करना और उसकी परिक्रमा करने से शनि की पीड़ा झेलनी नहीं पड़ती।
वहीं पीपल का वृक्ष लगाने से शनि की कृपा प्राप्त होती है। जीवन में आए कष्टों को दूर करने के लिए शनि दोष से पीड़ित व्यक्ति को शनि जयंती से शुरू कर हर शनिवार के दिन शनिदेव के मंत्र ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’का जाप करना चाहिए।
शनिदेव के आराध्य भगवान शिव हैं। इस दिन शनिदेव के साथ शिवजी पर काले तिल मिले हुए जल से अभिषेक करना चाहिए। शनि दोष की शांति के लिए प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र या ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप और सुंदरकाण्ड का पाठ करना चाहिए इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं।
शनिदेव की कृपा पाने के लिए जातक को शनिवार के दिन व्रत रखना चाहिए और गरीब लोगों की सहायता करनी चाहिए, ऐसा करने से मनुष्य के कष्ट दूर होने लगते हैं। शनिदेव, हनुमानजी की पूजा करने वालों से सदैव प्रसन्न रहते हैं,इसलिए इनकी प्रसन्नता के लिए शनि पूजा के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए।
Shani Jayanti 2021 क्या न करें
भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि शनि जयंती के दिन ध्यान रखें कि घर पर लोहे से बनी कोई वस्तु ना लेकर आए। आज के दिन लोहे की चीजें खरीदने से भगवान शनि रुष्ट हो जाते हैं और ऐसा करने से आपकी शारीरिक और आर्थिक परेशानियां बढ़ सकती हैं। शनि जयंती के दिन इस बात का ध्यान रखें कि आप शमी या पीपल के वृक्ष को हानि न पहुचाएं, ऐसा करने से आप शनि के प्रकोप के घेरे में आ सकते हैं।
सरसों का तेल, लकड़ी, जूते-चप्पल और काली उड़द को आप भूल से भी शनि जयंती पर खरीदकर नहीं लाएं,वरना आपको शनिदेव की कुदृष्टि का सामना करना पड़ सकता है। शनि जयंती पर शनि मंदिर में शनिदेव के दर्शन करने जाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि भूल से भी उनकी आंखों को न देखें माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार इनकी आखों में देख कर दर्शन करने से अनिष्ट होता हैं। इस दिन भूलकर भी बड़े बुर्जुर्गों का अपमान नहीं करें। शनिदेव, माता-पिता और बड़े लोगों का अनादर करने और उनसे झूठ बोलने वालों से रुष्ट होकर बुरे फल प्रदान करते हैं।
Shani Jayanti 2021 ऐसे करें शनि देव की पूजा
विख्यात कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन सुबह उठकर नित्यकर्म और स्नानादि करने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए। घर में पूजा स्थल पर शनिदेव की मूर्ति स्थापित करें। शनि देव को तेल, फूल, माला आदि चढ़ाएं।
शनिदेव को काला उड़द और तिल का तेल चढ़ाना बहुत शुभ होता है। शनि देव को तेल का दीपक जलाएं और शनि चालीसा का पाठ करें।
शनि देव की आरती करने के बाद हाथ जोड़कर प्रणाम करें और बाद में प्रसाद का वितरण करें। शनि जयंती के दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं तथा सामर्थ्य के अनुसार दान- पुण्य करने से लाभ मिलता है।
शनि जयंती पर करें इस मंत्र का जाप
- ऊं शं अभयहस्ताय नम
- ऊं शं शनैश्चराय नम
- ऊं नीलांजनसमाभामसं रविपुत्रं यमाग्रजं, छायामार्त्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम।
सभी ग्रहों में प्रमुख शनि
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि शनिदेव सभी नौ ग्रहों में सबसे श्रेष्ठ होने का भगवान शिव से आशीर्वाद मिला है. इनकी दृष्टि से मनुष्य क्या देवता भी भयभीत रहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में तमोगुण की प्रधानता वाले क्रूर ग्रह शनि को दुख का कारक बताया गया है। वह देव, दानव और मनुष्य आदि को त्रास देने में समर्थ हैं शायद इसीलिए उन्हें दुर्भाग्य देने वाला ग्रह माना जाता है। किंतु वास्तव में शनिदेव देवता हैं। मनुष्य के दुख का कारण स्वयं उसके कर्म हैं, शनि तो निष्पक्ष न्यायाधीश की भांति बुरे कर्मों के आधार पर वर्तमान जन्म में दंड भोग का प्रावधान करते हैं।
शनिदेव क्यों हैं लंगड़े
भगवान शनि की धीमी चाल और लंगड़ा कर चलने के पीछे का कारण पिप्पलाद मुनि हैं। पिप्लाद मुनि अपने पिता की मृत्यु का कारण शनिदेव को मानते थे। पिप्पलाद मुनि ने शनि पर ब्रह्रादण्ड से प्रहार किया। शनि यह प्रहार सहन करने में असमर्थ थे जिस कारण से शनि तीनों लोकों में दौड़ने लगे। इसके बाद ब्रह्रादण्ड ने उन्हें लंगड़ा कर दिया।
बच्चों पर नहीं पड़ती शनि छाया
भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि 12 साल तक के बच्चों पर शनि का प्रकोप कभी नहीं रहता है। इसके पीछे पिप्पलाद और शनि के बीच हुए युद्ध का कारण है। पिप्पलाद ने युद्ध में शनि को परास्त कर दिया और इस शर्त पर छोड़ा कि वे 12 वर्ष तक की आयु के बच्चों को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं देंगे।
काले है शनिदेव
शनिदेव के पिता का नाम सूर्यदेव और माता का नाम छाया है। छाया भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं और वह अपने गर्भ में पल रहे शनि की चिंता किए बगैर हमेशा भगवान शिव की तपस्या में लीन रहती थीं। इस कारण से ना तो वह खुद अपना और ना ही गर्भ में पल रहे अपने बच्चे का ध्यान रख पाती थीं। जिसके कारण से शनि काले और कुपोषित पैदा हुए।
दण्डाधिकारी है शनिदेव
विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि शनिदेव और भगवान शिव के बीच युद्ध भी हुआ था। भयानक युद्ध के बाद भगवान शिव ने शनि को परास्त कर दिया था। बाद में सूर्यदेव की प्रार्थना पर भगवान शिव ने उन्हें माफ किया। शनि के रण कौशल से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना सेवक और दण्डाधिकारी नियुक्ति कर लिय।
शनिदेव की कुदृष्टि
शनिदेव की कुदृष्टि से कई देवी-देवताओं को शिकार होना पड़ा था. शनि के कारण ही भगवान गणेश का सिर कटा था। इसके अलावा भगवान राम को वनवास और रावण का संहार शनि के कारण ही हुआ था।
शनि की काली छाया की वजह से ही पांडवों का वनवास का दर्द झेलना पड़ा था। इसके अलावा राजा विक्रमादित्य और त्रेता युग में राजा हरीशचन्द्र को शनि के कारण दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी।
शनिदेव की छाया अशुभ
शनि की कुदृष्टि का कारण उनकी पत्नी द्वारा दिए गए शाप के कारण है। एक बार शनिदेव की पत्नी पुत्र की लालसा में उनके पास पहुंची लेकिन शनिदेव कठिन तपस्या में लीन थे। इससे आहत होकर पत्नी ने शनिदेव को शाप दिया कि जिस पर भी आपकी दृष्टि पड़ेगी उसका सबकुछ नष्ट हो जाएगा।
Shani Jayanti 2021 शनिदेव के रंग
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि शनि को नीले रंग का फूल बहुत ही पसंद होता है जो भक्त शनिवार के दिन नीले रंग का फूल चढ़ाता है उससे शनिदेव बहुत ही प्रसन्न होते हैं।
Shani Jayanti 2021 शनिदेव के ऐसे ना करें दर्शन
मंदिर में शनि की पूजा करते समय एक बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए. पूजा में कभी की शनिदेव की आंखों में आंख डालकर नहीं देखना चाहिए बल्कि पैरों की तरफ देखना चाहिए। शनिदेव की आंखों देखने से शनि संकट का खतरा बढ़ जाता है।
साढ़ेसाती और ढैय्या Shani Jayanti 2021
भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि शनिदेव सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। शनि एक राशि में ढाई वर्षों तक रहते हैं। शनि साल 2021 में मकर राशि में गोचर कर रहे हैं। इस कारण से धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती और मिथुन और तुला राशि पर ढैय्या लगी हुई है।
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