Kajari Teej Vrat : माता पार्वती को यह त्योहार समर्पित है। 108 जन्म लेने के बाद देवी पार्वती, भगवान शिव से विवाह करने में सफल हुईं।
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन को निस्वार्थ प्रेम के सम्मान के रूप में मनाया जाता है। कजरी तीज का व्रत रखकर सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि(Kajari Teej Vrat ) कजरी तीज को कजली तीज, (Kajlai Teej Vrat )बूढ़ी तीज और सातूड़ी तीज नाम से भी जाना जाता है।
यह व्रत निर्जला किया जाता है। व्रत में स्त्रियां अन्न और जल का त्याग करती हैं। यह व्रत दांपत्य जीवन से जुड़ी परेशानियों को दूर करता है।
इस दिन गायों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। व्रत का पारण चंद्रमा के दर्शन करने और उन्हें अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाओं के साथ कन्याएं भी व्रत रखती हैं।
सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है तो वहीं कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए इस व्रत को करती हैं। माना जाता है कि अगर किसी कन्या के विवाह में कोई बाधा आ रही है तो इस व्रत के प्रभाव से दूर हो जाती है।
इस व्रत (Kajari Teej Vrat ) में माता गौरी को सुहाग की 16 सामग्री अर्पित की जाती हैं, वहीं भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा आदि अर्पित किया जाता है।
इस व्रत (Kajari Teej Vrat) में शिव-गौरी की कथा का श्रवण विशेष फलदायी है।
Kajari Teej Vrat 2021: कजरी तीज वैवाहिक जीवन के सुख और समृद्धि का पर्व
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