Chhath Puja 2022 : छठ महापर्व : 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक
॥ व्रत का प्रथम नियम-संयम 28 अक्टूबर, शुक्रवार को
॥ व्रत का द्वितीय संयम 29 अक्टूबर, शनिवार को
॥ अस्ताचल सूर्यदेव को प्रथम अर्घ्य 30 अक्टूबर, रविवार को सायंकाल
॥ उगते हुए सूर्यदेव को द्वितीय अर्घ्य 31 अक्टूबर, सोमवार को
@ज्योतिर्विद् विमल जैन
देश दुनियां में बसे बिहार व अन्य प्रदेशों के भक्तों को (Chhath Puja) छठ पर्व का इंतजार रहता है, इस दिन सभी अपने घरों को आते है। आज हम बात कर रहें है (Chhath Puja Festival) छठ पर्व की।
Chhath Puja : हिंदू आस्था का पर्व छठ
देश के पूर्वांचल और बिहार के निवासियों द्वारा छठ पूजा सूर्य उपासना और छठी माता की आराधना का पर्व है। छठ पूजा हिंदू आस्था का एक ऐसा पर्व है, जिसमें मूर्ति पूजा किसी भी रुप में शामिल नही है। इसमें छठ मईया राणा मई के लिए व्रत किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत कठिन व्रतों में से एक है।
Chhath Puja 2022 : छठ पर्व: जीवन में हर्ष, उमंग, उल्लास व ऊर्जा का संचार
भगवान सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देव माना गया है जिनकी आराधना से जीवन में हर्ष, उमंग, उल्लास व ऊर्जा का संचार होता है। सुख-समृद्धि, खुशहाली के लिए सृष्टि के नियंता भगवान सूर्यदेव की महिमा अनंत है। सूर्यदेव की महिमा में रखने वाला डाला छठ, जिन्हें छठपर्व भी कहते हैं, कार्तिक शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि से कार्तिक शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है।
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व 28 अक्टूबर, शुक्रवार से 31 अक्टूबर, सोमवार तक चलेगा। भारतवर्ष का एकमात्र का पर्व जिसमें अस्त होते हुए सूर्य की भी आराधना की जाती है।
Chhath Puja Date and Time : छठ पर्व का समय
– कार्तिक शुक्ल, चतुर्थी तिथि (28 अक्टूबर, शुक्रवार को प्रातः 10 बजकर 34 मिनट से 29 अक्टूबर, शनिवार को प्रातः 8 बजकर 14 मिनट तक)
28 अक्टूबर, शुक्रवार को व्रत का प्रथम नियम-संयम
– कार्तिक शुक्ल, पंचमी तिथि (29 अक्टूबर, शनिवार को प्रातः 8 बजकर 14 मिनट से 29 अक्टूबर, शनिवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 5 बजकर 51 मिनट तक)
29 अक्टूबर, शनिवार को द्वितीय संयम (एक समय खरना)
– कार्तिक शुक्ल, षष्ठी तिथि (29 अक्टूबर, शनिवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 5 बजकर 51 मिनट से 30 अक्टूबर, रविवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 3 बजकर 29 मिनट तक)
-30 अक्टूबर, रविवार को व्रत के तृतीय संयम के अर्न्तगत सायंकाल अस्ताचल (अस्त होते हुए) सूर्यदेव को प्रथम अर्घ्य दिया जाएगा।
– कार्तिक शुक्ल, सप्तमी तिथि (30 अक्टूबर, रविवार को अर्द्ध रात्रि के पश्चात् 3 बजकर 29 मिनट से 31 अक्टूबर, सोमवार को अर्द्ध रात्रि के पश्चात 1 बजकर 12 मिनट तक)
-31 अक्टूबर, सोमवार को चतुर्थ एवं अन्तिम संयम के अन्तर्गत प्रातःकाल उगते हुए सूर्यदेव को द्वितीय अर्घ्य देकर छठ व्रत का पारण किया जाएगा।
Chhath Puja Vrat : छठ पर्व व्रत का विधान
ज्योतिषविद् विमल जैन के मुताबिक इस चार दिवसीय महापर्व पर सूर्यदेव की पूजा के साथ माता षष्ठी देवी की भी पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस पर्व पर नवीन वस्त्र, नवीन आभूषण पहनने की परम्परा है। यह व्रत किसी कारणवश जो स्वयं न कर सकें, वे अन्य व्रती को अपनी ओर से समस्त पूजन सामग्री व नकद धन देकर अपने व्रत को सम्पन्न करवाते हैं।
What is Chhath Puja Nahay Khay : छठ पर्व पर क्या है नहाय-खाय
नहाय-खाय प्रथम संयम 28 अक्टूबर, शुक्रवार को चतुर्थी तिथि के दिन सात्विक भोजन जिसमें कद्दू या लौकी की सब्जी, चने की दाल तथा हाथ की चक्की (जाता) से पीसे हुए गेहूँ के आटे की पूडिय़ाँ ग्रहण की जाती हैं, जिसे नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है।
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Chhath Puja Kharna Shubh : छठ पर्व खरना
द्वितीय संयम 29 अक्टूबर, शनिवार को पंचमी तिथि को सायंकाल स्नान-ध्यान के पश्चात् प्रसाद ग्रहण करते हैं। जो कि धातु या मिट्टी के नवीन बर्तनों में बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में (नये चावल से बने गुड़ की खीर) ग्रहण किया जाता है, जिसे अन्य भक्तों में भी वितरित करते हैं, इसे खरना के नाम से भी जाना जाता है।
Chhath Puja : छठ पर्व अस्ताचल सूर्यदेव को अर्घ्य
तृतीय संयम 30 अक्टूबर, रविवार को षष्ठी तिथि के दिन सायंकाल अस्ताचल (अस्त होते हुए) सूर्यदेव को पूर्ण श्रद्धाभाव से प्रथम अर्घ्य देकर उनकी पूजा की जाएगी। पूजा के अन्तर्गत भगवान सूर्यदेव को एक बड़े सूप या डलिया में पूजन सामग्री सजाकर साथ ही विविध प्रकार के ऋतुफल, व्यंजन, पकवान जिसमें शुद्ध देशी घी का गेहूँ के आटे तथा गुड़ से बना हुआ ठोकवा प्रमुख होता है, भगवान सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है।
Chhath Puja : छठ पर्व : नदी या सरोवर तट पर लोकगीत
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि भगवान सूर्यदेव की आराधना के साथ ही षष्ठी देवी की प्रसन्नता के लिए उनकी महिमा में गंगाघाट, नदी या सरोवर तट पर लोकगीत का गायन करते हैं, जो रात्रिपर्यन्त चलता रहता है। रात्रि जागरण से जीवन में नवीन ऊर्जा के साथ अलौकिक शान्ति भी मिलती है।
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Chhath Puja : छठ पर्व : उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य
चतुर्थ संयम 31 अक्टूबर, सोमवार को सप्तमी तिथि के दिन प्रातःकाल उगते हुए सूर्यदेव को द्वितीय अर्घ्य देकर छठ व्रत का पारण किया जाएगा। यह व्रत मुख्यतः महिलाएँ ही करती हैं। महिलाएँ अधिक से अधिक लोगों में सौभाग्य की भावना के साथ भक्तों में प्रसाद वितरण करती हैं, जिससे उनके जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता का सुयोग बना रहे।
इस महापर्व पर स्वच्छता व पूर्ण सादगी तथा नियम-संयम अति आवश्यक है। इस पर्व पर पूजा में परिवार के समस्त सदस्य पूर्ण श्रद्धा, आस्था व भक्ति के साथ अपनी सहभागिता निभाते हैं, जिससे जीवन में ऐश्वर्य, वैभव एवं सुख-समृद्धि मिलती है।
धार्मिक पौराणिक मान्यताकृसूर्य षष्ठड्ढी के व्रत से पाण्डवों को अपना खोया हुआ राजपाट एवं वैभव प्राप्त हुआ था। एक मान्यता यह भी है कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी के सूर्यास्त तथा सप्तमी तिथि के सूर्याेदय के मध्य वेदमाता गायत्री का प्रादुर्भाव हुआ था।
Chhath Puja : क्यों मनाते है छठ पर्व
ऐसी भी पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम के वनवास से लौटने पर राम और सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि के दिन उपवास रखकर प्रत्यक्ष भगवान सूर्यदेव की आराधना कर तथा सप्तमी तिथि के दिन व्रत पूर्ण किया था। इस अनुष्ठान से प्रसन्न होकर भगवान सूर्यदेव ने उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया था।
फलस्वरूप इस चार दिवसीय महापर्व में भगवान सूर्य की ही आराधना करके छठपर्व मनाया जाता है।
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Tgas : Chhath Puja