कोटा। कोटा में क्लासरूम कोचिंग (Kota coaching) शुरू करवाने के लिए कोटा बचाओ संघर्ष समिति का आंदोलन दूसरे दिन भी जारी रहा। दूसरे दिन कोटा बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने भीतरिया कुण्ड क्षेत्र स्थित चम्बल नदी के तट पर जल सत्याग्रह किया। शहर के विभिन्न संगठनों के सदस्य संयुक्त रूप से कोटा बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले सुबह भीतरिया कुण्ड में एकत्रित हुए और यहां पानी में खड़े रहकर सरकार से कोटा में क्लासरूम कोचिंग शुरू करवाने की मांग की। समिति के सदस्यों ने जल सत्याग्रह करते हुए कहा कि इन दिनों छठ का पर्व चल रहा है और हम सभी कोटा शहरवासी छठ मैया से ये प्रार्थना करते हैं कि कोटा में जल्द से जल्द कोचिंग शुरू हो, इसके लिए सरकार जल्द आदेश जारी करे। यदि कोटा में कोचिंग शुरू नहीं हुई तो हालाता विपरीत हो जाएंगे और स्थिति बद् से बदतर हो जाएगी। बेरोजगारी का हाल दिनों दिन बढ़ता-बढ़ता ऐसा हो जाएगा कि सामाजिक संघर्ष होने लगेंगे और आपराधिक माहौल हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व शुक्रवार को कोटा बचाओ संघर्ष समिति द्वारा आंदोलन की शुरूआत करते हुए कलेक्ट्रेट पर धरना दिया गया था और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा गया था। कोटा बचाओ संघर्ष समिति द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन में शहर के हॉस्टल, पीजी, मैस संचालक, व्यापारिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, ऑटो चालक यूनियन के सदस्य तथा फुटकर व्यवसायी शामिल हैं।
प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार कोटा बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य पहले भीतरिया कुण्ड पहुंचे, यहां सूर्यदेव को नमस्कार करने के बाद हाथों में कोटा बचाओ की तख्तिया लेते हुए एक-एक करके पानी में उतरे और कमर तक के पानी में खड़े रहे। समिति के सदस्यों ने यहां करीब एक घंटे तक नारे भी लगाए और प्रदेश सरकार से निवेदन किया कि कोटा में जल्द से जल्द क्लासरूम कोचिंग खोलने के लिए आदेश दे, अन्यथा कोटा बर्बाद हो जाएगा, लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
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कोटा के कोने-कोने में बेरोजगारी
संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना था कि लॉकडाउन के चलते मार्च से कोटा में कोचिंग क्लासेज बंद है, इससे सबसे ज्यादा नुकसान फुटकर व्यापारियों को हुआ है। शहर के राजीव गांधी नगर, इन्द्रविहार, महावीर नगर, पारिजात कॉलोनी, सुभाष नगर, न्यू राजीव गांधी नगर, तलवंडी, जवाहर नगर, केशवपुरा, कुन्हाड़ी लैंडमार्क सिटी, बारां रोड, विज्ञान नगर, इलेक्ट्रोनिक कॉम्प्लेक्स ऐसे क्षेत्र हैं जहां सैकड़ों की तादाद में चाय-पोहे, जूस और नाश्ते के ठेले लगा करते थे। टायर पंचर से लेकर साइकिल रिपेयर तक के व्यवसाय पर हजारों लोग निर्भर थे। यही नहीं यहां चलने वाली दुकानों, मैस और हॉस्टल्स से हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा था। हॉस्टल व कोचिंग बंद होने के बाद ये सारी गतिविधियां बंद हो गई। स्टूडेंट नहीं होने के कारण चाय-पौहे, जूस और नाश्ते की दुकाने चलना बंद हो गई। रोजगार नहीं होने के कारण लोग सब्जियां बेचने लगे, यही नहीं कई परिवार पलायन करके गांव चले गए, कई लोग मजदूरी करके घर पाल रहे हैं। हजारों लोगों के बेरोजगार होने के चलते कोटा की स्थिति विकट होती जा रही है। हजारों लोगों को रोजगार देने और कोटा में सुख-शांति का जीवन बनाए रखने के लिए जरूरी है कि कोटा में कोचिंग क्लासेज शुरू की जाए, यदि समय रहते कोचिंग क्लासेज शुरू नहीं हुई तो हालात विकट हो जाएंगे।
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