जयपुर। छुपी हुई माहमारी का रूप ले चुका ’’सिलियक रोग’’ यानि ’’गेंहूं से एलर्जी’’ में होम्यापैथी चिकित्सा (Homeopathy Treatment) कारगर साबित हो रही है। गेंहूं में पाए जाने वाले ग्लूटेन प्रोटीन का शरीर में पाचन नहीं होने से यह बीमारी होने लगती है। यह कहना है डॉ. राजीव नागर का जो शहर में विश्व होम्योपैथी दिवस (World Homeopathy Day) पर आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला का आयोजन होम्योपैथी रिचर्स एसोसिएशन जयपुर की ओर से किया गया था जिसमें शहर सहित प्रदेश एवं अन्य राज्यों से आए कई होम्योपैथी चिकित्सकों ने विभिन्न संबंधित विषयों पर अपने व्याख्यान दिएं।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए ऐसोसिएशन के डायरेक्टर डॅा. नागर ने ’’सिलियक रोग’’ की विस्तृत जानकारी देते हुए सावधानी और उपचार के बारे में बताया। इस रोग के 300 से 400 प्रकार के अलग अलग लक्षण देखने को मिलते है। हर रोगी की पारिवारिक पृष्ठभूमि अलग होने के कारण उनके लक्षण भी अलग तरह से उभरकर आते है। इसलिए बहुत लंबे समय तक इस बीमारी का पता ही नहीं चल पाता। उन्होंने आगे बताया कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इस रोग का कोई इलाज नहीं है। वहां सिर्फ गेंहू से परहेज और ग्लूटीन फ्री डाइट पर ज्यादा लेने पर ज़ोर दिया जाता है। इससे पूर्व कार्यषाला का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन से हुआ। साथ ही प्रतिभागियों को होम्योपैथी रिचर्स एसोसिएशन (Homeopathy Research Association) के बारे में जानकारी भी दी गई।
कार्यशाला में चित्तौड़गढ़ से आई डॅा. कीर्ति जैन ने इनफटिलटी विषय पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि होम्योपैथी चिकित्सा में बिना किसी साइड इफेक्ट्स के इनफटिलटी का इलाज संभव है। इस अवसर पर उन्होनें अपने सक्सेस केस स्टडीज भी शेयर किये। एसोसिएशन के सचिव, डॅा. योगेन्द्र ने केस स्टडीज़ द्वारा विभिन्न बीमीरियों के बारे में अपने विचार रखे। हरियाणा से आई डॅा. मोनिका जैन ने दिमागी बीमारियों पर चर्चा की और डॅा. योगेश खंडेलवाल ने भावी होम्योपैथी चिकित्सकों (Homeopathy Doctor) की प्रेक्टिस प्रक्रिया को बेहतर बनाने के प्रोसेस की जानकारी दी।
एसोसिएशन के डायरेक्टर डॅा. नागर ने आगे बताया कि ’’सिलियक रोग’’ से बचाव के लिए गेंहू व ग्लूटेन के स्थान पर कच्चें फल, सब्जियां खानी चाहिए। समय समय पर उपवास करना चाहिए। चावल, चिवड़़ा, साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, मक्खन, घी, फल-सब्जियां, रसगुल्ले, बेसन, डोसा, चना, चावल के नुडल्स, पेड़े आदि का सेवन किया जाना चाहिए। साथ ही प्याज, लहसुन जैसे पदार्थों, गेंहू, जौ, सूजी, सेवाइयां, पेटीज, दलिया, प्रोटीन पाउडर, सॉस, ब्रेड, चॉकलेट, आइसक्रीम, दूध-जलेबी दूध में मिलाकर नाष्ते के समय लिए जाने वाले कुछ खास पदार्थ और पेय का सेवन करने से बचना चाहिए। होम्योपैथी चिकित्सा इन प्रकार के असाध्य बीमारियों के उपचार में करगर साबित हुई है। इसमें मरीज के संपूर्ण लक्षणों एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखकर पूर्णतया उपचार किया जाता है।
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