जयपुर। न्यूरो ओटोलॉजिकल एंड इक्विलिब्रियोमेट्रिक सोसायटी ऑफ इंडिया की तीन दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस नेस्कॉन-2023 के दूसरे दिन चिकित्सकों की चर्चा में सामने आया कि कान से संबधित बीमारी के चलते यदि चक्कर आ रहें है तो उसका इलाज संभव है।
मिनिमल इनवेसिव तकनीक से इलाज संभव
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेस्कॉन-2023 के दूसरे दिन बेंगलुरु के डॉ.श्रीनिवास डोरासाला ने बताया कि चक्कर आने का कारण अगर कान से संबंधित है तो वहां मिनिमल इनवेसिव तकनीक से सर्जरी करके समस्या को ठीक किया जा सकता है। वहीं अब वेस्टीबुलर श्वेनोमा ट्यूमर का भी छोटा चीरा लगा कर इलाज किया जा सकता है।
उन्होने बताया कि अब तक सिर्फ 20 प्रतिशत मरीजों का ही चलकर आने का इलाज हो पाता था क्योंकि उनके चक्कर आने का सही सही कारण पता नहीं लग पता था। अब न्यूरो इक्विलिब्रियम तकनीक आ गई है जिससे हम मरीज में चक्कर आने का सटीक कारण खोज पाते हैं। इससे 90 प्रतिशत मरीजों का इलाज संभव हो पा रहा है। इसमें मरीज की आंखों, दिमाग, चलने का तरीका जैसे कुछ टेस्ट किए जाते हैं।
स्कॉन-2023 : कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन सत्र
कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. पवन सिंघल ने बताया कि शनिवार को कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में चीफ गेस्ट के रूप में आरयूएचएस के वाइस चांसलर डॉ. सुधीर भंडारी, गेस्ट ऑफ ऑनर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव बगरहट्टा, डॉ.सुबोध श्रीवास्तव, स्पेशल गेस्ट एसएमएस हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ.अचल शर्मा रहे।
स्कॉन-2023 में इन्होने प्रस्तुत किया रिसर्च पेपर
ऑर्गनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ. सुनील समदानी और डॉ. रेखा हर्षवर्धन ने कहा कि दूसरे दिन डॉ.श्रीनिवास डोरासाला ने एनईएस ओरेशन दिया और डॉ.नारायण जयशंकर ने डॉ.जो वी डेसा ओरेशन दिया। इसके अलावा विभिन्न सत्रों में वर्टिगो के सर्जिकल मैनेजमेंट, स्कल बेस कैंसर में रेडियोथैरेपी, फेशियल प्लासी जैसे विषयों पर अलग-अलग फैकल्टी ने अपनी रिसर्च प्रस्तुत की।
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