बीकानेर। एमजीएसयू बीकानेर (MGSU Bikaner) के सेंटर फॉर विमेंस स्टडीज की डायरेक्टर व इतिहास विभाग की संकाय सदस्य डॉ. मेघना शर्मा ने कहा कि सनातन युग से धर्मशास्त्र व स्मृति काल तक आते-आते महिला की स्थिति उच्चतर से बदतर की ओर अग्रसर हो चुकी थी। मुस्लिम काल ने बाल विवाह, पर्दा प्रथा, सती जैसी स्थितियों को पैदा कर सामाजिक परिदृश्य को और बिगाड़ दिया जिसमें बंगाल और राजस्थान अग्रिणी रहे। डा.शर्मा कोरंबायिल अहमद हजी मेमोरियल यूनिटी वूमंस कॉलेज, मल्लपुरम, केरल द्वारा आयोजित राष्ट्रीय बहुविषयक व्याख्यानमाला को संबोधित कर रही थी।
यूनिटी विमेंस कॉलेज के इतिहास विभाग व रिसर्च क्लब ऑफ इंग्लिश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बहुविषयक व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए डॉ मेघना ने बताया कि इस काल में रजि़या सुल्तान जैसी महिलाओं ने अपनी योग्यता का परचम फैलाया किंतु महिला होने के नाते उसे विरोध झेलना पड़ा और सफल की श्रेणी में कभी शामिल नहीं किया गया। आज महिला सशक्तिकरण का मुद्दा मानवाधिकार से जुड़ा हुआ है किंतु बावजूद इसके, स्त्रियों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती। आज भी संवैधानिक सुरक्षा मिलने के बावजूद स्त्री को समाज एक निश्चित चश्मे से देखने का प्रयत्न करता है जो उसकी योग्यता को सिर्फ महिला होने के नाते स्वीकार करने से अधिकतर मामलों में हिचकिचाता नजर आया है, इस सोच में बदलाव की महती आवश्यकता है।
डॉ मेघना शर्मा ने एमजीएसयू बीकानेर का प्रतिनिधित्व करते हुए प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक इतिहास और वर्तमान कालीन महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर खुलकर चर्चा करते हुए कहा कि महिला और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं और जब तक समाज नारी को पुरुष के बराबर दर्जा नहीं दे देता तब तक समाज का विकास पूर्ण नहीं कहलाया जा सकता।
वेबीनार के समन्वयक मोहम्मद अली ने स्वागत भाषण पढ़ा तो व्याख्यानमाला के संयोजक और महाविद्यालय के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष शबीरमोन. एम ने डॉ मेघना का परिचय पढ़कर सुनाया। कॉलेज के मैनेजर ओ. अब्दुल अली, आइक्यूएसी सेल की समन्वयक डॉ. एनी निनान के साथ साथ अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष डॉ ए.के.शाहिना मोल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
अध्यक्षीय उद्बोधन कॉलेज प्राचार्य डॉ. सी साइदाल्वी द्वारा दिया गया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभाग की सहायक आचार्य सुश्री पूर्णिमा आर. द्वारा दिया गया।
वेबीनार में मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, केरल, राजस्थान आदि के, विद्वानों, प्रतिभागियों के अलावा नाइजीरिया के कुछ शोध छात्रों ने भी भाग लिया।