बीकानेर। तेरापंथ धर्मसंघ के ग्याहरवें अधिशास्ता महातपस्वी युगप्रधान (Acharya Shri Mahashraman) आचार्य श्री महाश्रमण रविवार की सुबह अपनी धवल सेना के साथ भीनासर से विहार करते हुए शोभायात्रा के साथ रांगड़ी चौक स्थित लाल कोठी पहुंचकर नगर प्रवेश किया। इससे पूर्व वे नोखा रोड स्थित श्री जैन पब्लिक स्कूल (Shri Jain Public School) पहुंचे।
इस दौरान आचार्य श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि अहिंसा धर्म है, संयम धर्म है और तप धर्म है। आचार्य श्री ने इसकी संपूर्ण व्याख्या कर सभी से कहा कि हमें अहिंसा के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए, हमें वाणी और व्यवहार से और अन्य किसी प्रकार से हिंसा नहीं करनी चाहिए।
आचार्य श्री ने कहा कि जो व्यवहार तुम दूसरों से नहीं चाहते, वही व्यवहार तुम दूसरों से कैसे कर सकते हो! इसलिए अहिंसा का मार्ग अपनाओ, जीवन में नैतिकता लाओ, सद्विचार रखो और सद्व्यवहार करो! इसी में मानव जीवन की सार्थकता है ! इसी से मानव जीवन का कल्याण संभव है। महाश्रमण ने कहा कि हम सभी मंगल की कामना करते हैं। इसके लिए दो तरीके अपनाते हैं, एक कामना करके और दूसरा बोद्धिक प्रयत्न भी किया जाता है। कुछ पदार्थ का सेवन भी करते हैं तो उसमें भी मंगल का प्रयास होता है। उन्होंने कहा कि मंगल की बात धर्मशास्त्र में भी आई है। उत्कृष्ट मंगल धर्म होता है।धर्म हमारे साथ है तो मंगल हमारे साथ है। आचार्य श्री ने मंगल की व्याख्या करते हुए कहा कि दुनिया में अनेक धर्म-समुदाय है। कौनसा धर्म मंगल है…?,जैन, बौद्ध, सिख या ईसाई कौनसा धर्म मंगल है…?, इसका उत्तर देते हुए आचार्य श्री ने कहा कि यहां शास्त्रकार ने किसी संप्रदाय का नाम ना लेकर अति संक्षेप में सबसे उत्कृष्ट धर्म अहिंसा को बताया है। धर्म हमारे साथ रहे तो मानना चाहिए कि मंगल हमारे साथ है।
महाश्रमण ने कहा कि सब प्राणी समान है। जब में कष्ट नहीं चाहता तो दूसरों को कष्ट क्यों दूं, यह भाव रखना चाहिए। आचार्य श्री ने साधु के नियमों की पालना के साथ गृहस्थियों से भी कहा कि वे भी जहां तक हो हिंसा होने वाले कार्यों से बचें, उन्होंने अहिंसा की दृष्टि से रात्रि भोजन से विरक्त रहने की बात कही। साधु के नियम बताते हुए कहा कि सुर्यास्त से सुर्योदय काल में ना भोजन करना चाहिए और ना पानी पीना चाहिए, साधु को भोजन भी नहीं पकाना चाहिए, इससे भी हिंसा होती है। ऐसे में जीवन कैसे चले…?, इसके लिए उन्होंने भंवरे का उदाहरण देते हुए बताया कि जिस प्रकार भंवरा फूल-फूल पर मंडराता हुआ रस एकत्रित करता है, साधु को ठीक वैसे ही एक पर आश्रित ना रहकर हर घर से थोड़ा-थोड़ा भोजन लेना चाहिए। आचार्य श्री ने कहा कि जीवन में संयम जरूरी है, संयम के अभाव में क्रोध अधिक होता है, यह व्यक्ति के लिए घातक है। मनुष्य को जीवों के प्रति दया भाव रखना चाहिए। वाणी पर संयम, खान-पान में संयम रखें, झूठ से बचें, मिथ्या आरोप किसी पर भी ना लगाएं, वाणी में मधुरता रखें और कटु भाषा से बचें, यही जीवन की सीख है।
महाश्रमण जी ने कहा कि व्यक्ति को अनावश्यक वार्तालाप से बचना चाहिए और मधुर व मित्तभाषी होना चाहिए। आचार्य श्री ने कहा कि जिसका मन धर्म में रमा रहता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं। धर्म की रक्षा के लिए ईमानदार बनो, ईमानदारी से ही व्यक्ति का जीवन अच्छा रह सकता है। इसलिए अहिंसा, नैतिकता व सद्भावना का मार्ग अपनाओ, इसी में प्राणी जगत का कल्याण है।
महिला मंडल व कन्या मंडल के नेतृत्व में स्वागत गीत ने मन मोहा
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा की ओर से आचार्य श्री महाश्रमण के आगमन और उनके अहिंसा यात्रा, नैतिकता, सद्भावना और नशा मुक्ति के संदेश की थीम को लेकर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की महिला मंडल, कन्या मंडल, किशोर मंडल, युवा परिषद् एवं युवा मण्डल की ओर से एक स्वागत गीत ‘जय-जय गुरुवर, सृष्टि का हर कण-कण कहे महाश्रमण, नमो-नमो, गुरुवरण, विश्वसंत को नमन,युगप्रधान है महाश्रमण ’प्रस्तुत किया गया। जिसे देख और सुन हर कोई भाव-विभोर हो गया। सभा के अध्यक्ष पदम बोथरा ने बताया कि आचार्य श्री के आगमन पर उनके बताए मार्ग पर चलते हुए सभा की ओर से 108 जन ने त्याग, वृष्टि की पालना को लेकर गुरुदेव के सामने संकल्प लिया । साथ ही स्काउट एवं गाइड के छात्र-छात्राओं ने भी अणुव्रत आचार संहिता का संंकल्प लिया।
चातृमास की मांग को लेकर सभा ने की कामना
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम की सदस्य डॉ. नीलम जैन ने बताया कि आचार्य श्री महाश्रमण के नगर प्रवेश और श्री जैन पब्लिक स्कूल में हुए प्रवचन के दौरान उपस्थित जन समूह ने श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष पदम बोथरा के नेतृत्व में उपाध्यक्ष अभय सुराना,मंत्री सुरेश जैन सहित गणेशमल बोथरा, सुरपत बोथरा, पारसमल, धनपत बाफना, प्रेम नौलखा, विक्रांत नाहटा, अंजू बोथरा सहित गणमान्य जनों ने आचार्य श्री महाश्रमण से 2023 के बाद अपना चातृमास बीकानेर शहर में करने का आग्रह किया। चातृमास की कामना को लेकर ही दिल्ली और पंजाब के श्रावक-श्राविकाओं ने आचार्य श्री के समक्ष निवेदन प्रस्तुत किया। इस पर आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि 2022 का चातृमास लाडनू में है और 2023 के चातृमास की घोषणा मुम्बई में हो चुकी है। अब 2024 के चातृमास के लिए आगामी 5 सितम्बर को निर्णय बताने का विचार व्यक्त करेंगे।
प्रवचन के दौरान मुख्य मुनि महावीर जी ने गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा कि गुरु का स्थान जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है।
साध्वी कनक रेखा जी ने आचार्य श्री महाश्रमण के आगमन पर स्वागत गीत प्रस्तुत किया एवं उनसे आगामी वर्षों में चातृमास प्रवास बीकानेर में करने की मंगल भावना प्रकट की। उनके साथ साध्वियों ने ‘महाश्रमण करते चरणों में वंदन’ सामूहिक गीत की प्रस्तुती भी दी।
जैनम जयति शासनम् पर प्रवचन सोमवार को
पदम बोथरा ने बताया कि रात्रि विश्राम के बाद 13 जून सोमवार को सुबह 9 बजे आचार्य श्री महाश्रमण लाल कोठी से कोचरों के चौक पधारेंगे, जहां वे जैनम जयति शासनम विषय पर मुख्य प्रवचन देंगे।
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