बीकानेर। बीकानेर राजपरिवार (Bikaner Royal Family) की महारानी और राजमाता सुशीला कुमारी (Rajmata Sushila Kumari ) का (Lalgarh Place) लालगढ़ परिसर स्थित आवास पर शुक्रवार देर रात निधन हो गया। पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी 95 साल की थी। पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी पिछले कई दिनों से अस्वस्थ चल रही थी।
पूर्व राजमाता बीकानेर राजपरिवार की अंतिम महारानी थी। उनके निधन पर देश के बीकानेर सहित कई राजघरानों में शोक की लहर छा गई है।
राजमाता सुशीला कुमारी का रविवार को होगा अंतिम संस्कार
पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी का अंतिम संस्कार रविवार को सागर के राजपरिवार के श्मशान घाट पर होगा। उनकी अंतिम यात्रा जूनागढ़ किले से देवीकुंड सागर के लिए रवाना होगी।
जूनागढ़ में आमजन ने किए अंतिम दर्शन
राजमाता सुशीला कुमारी की पार्थिव देह जूनागढ़ परिसर में आमजन के अंतिम दर्शनार्थ रखी गई है।
1929 में हुआ था जन्म
बीकानेर की राजमाता सुशीला कुमारी का जन्म 1929 में डूंगरपुर, राजस्थान में हुआ। राजमाता डूंगरपुर राज परिवार की राजकुमारी थी।
1950 में मिला था महारानी का सम्मान
जब महाराजा सार्दुल सिंह के पुत्र राजकुमार करणी सिंह का 1950 में राज्याभिषेक हुआ तब से ही सुशीला कुमारी को महारानी का सम्मान दिया गया था। इसके बाद 1971 में प्रिवी पर्स जैसी व्यवस्था समाप्त हुई तब तक वह महारानी ही रही। जब बीकानेर के महाराजा डा.करणी सिंह का निधन हुआ, उसके बाद से ही उन्हे राजमाता के रुप में स्वीकार किया गया। इसीलिए राजपरिवार सहित बीकानेर की जनता ने उन्हे राजमाता के रुप में स्वीकार किया।
6 सिंतबर 1988 को महाराजा कणीसिंह का निधन हो गया। तब तक वो महारानी रहीं। महाराजा करणी सिंह के निधन के बाद उन्हें राजमाता के रूप में स्वीकार किया गया। पूर्व राजपरिवार सहित बीकानेर में आम आदमी उन्हें राजमाता के रूप में ही संबोधित करता रहा। छह सितंबर 1988 को महाराजा डा.करणी सिंह के निधन के बाद राजपरिवार की सारी व्यवस्थाएं सुशीला कुमारी ही संभाल रही थी।
पूर्व राजमाता श्रीमती सुशीला कुमारी के निधन पर जताया शोक
पूर्व राजमाता के निधन पर केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, राजस्थान के शिक्षा मंत्री डा.बी.डी.कल्ला, ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी सहित अनेक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शोक व्यक्त किया है।
श्री भाटी ने कहा कि सुशीला कुमारी धर्म-कर्म और आध्यात्म की प्रतिमूर्ति थी। उन्होंने समाज सेवा के नए प्रतिमान स्थापित किए। उन्होंने उदीयमान खिलाड़ियों और प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के भरपूर अवसर दिए। श्री भाटी ने कहा कि पूर्व राजमाता, आमजन से पूरी आत्मीयता से मिलती थी और बातचीत में अधिकतर राजस्थानी भाषा का ही उपयोग करती। उन्होंने बीकानेर की परम्पराओं के संरक्षण और संवर्धन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
श्री भाटी ने कहा कि सुशीला कुमारी का निधन बीकानेर के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की है।
बीकाणा की अपणायत, संस्कार, संस्कृति और परम्पराओं की साक्षात मूरत आदरणीया बीकानेर की पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी जी का निधन पूरे बीकानेर के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वह उनकी आत्मा को शांति एवं उनके परिवार को यह आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करें। pic.twitter.com/UP58lT7yn2
— Arjun Ram Meghwal (@arjunrammeghwal) March 11, 2023
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केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने ट्विट कर कहा कि बीकाणा की अपणायत, संस्कार, संस्कृति और परम्पराओं की साक्षात मूरत आदरणीया बीकानेर की पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी जी का निधन पूरे बीकानेर के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वह उनकी आत्मा को शांति एवं उनके परिवार को यह आघात सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने जूनागढ़ पहुंचकर पूर्व राजमाता श्रीमती सुशीला कुमारी की पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
शिक्षा मंत्री ने बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र विधायक सुश्री सिद्धि कुमारी से मिलकर श्रीमती सुशीला कुमारी के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा कि श्रीमती सुशीला कुमारी का निधन समूचे बीकानेर के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने कहा कि श्रीमती सुशीला कुमारी आध्यात्मिक और समाज सेवा के लिए तत्पर रहने वाली महिला थी।
उन्होंने खेलों के प्रोत्साहन के लिए भी खूब काम किया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि पूर्व राजपरिवार से उनके घरेलू रिश्ते रहे। ऐसे में श्रीमती सुशीला कुमारी का निधन उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है। इस दौरान महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के उप कुल सचिव डॉ. बिठ्ठल बिस्सा मौजूद रहे।
बीकानेर राज परिवार की सदस्य राज्यश्री कुमारी, सिद्वि कुमारी सहित आम जनता ने पुष्प अर्पित किए। जूनागढ़ में आमजन की भारी भीड़ ने उन्हे नम आंखों से अपनी श्रृद्वांजलि दी।
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