■ बाल मुकुंद जोशी
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए दंगल का मैदान मंङ चुका है. जिसमें अपना राजनीतिक भाग्य आजमाने के लिए खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं, हालांकि चुनाव की तिथियां घोषित होने में अभी समय है लेकिन राजनीतिक दलों की तैयारियां पूरे परवान पर है. जाहिर है इस चुनावी अखाड़े में उतरने के लिए नेतारूपी पहलवानों की आवश्यकता होगी. जिनके चयन के लिए सियासी दलों ने विभिन्न तरीकों से टोह लेना शुरू कर रखा है.
कांग्रेस में इस बार कई वरिष्ठ नेताओं ने उम्र का हवाला देते हुए चुनाव दंगल में न उतरने की घोषणा की है परन्तु कई ऐसे भी अनेक वरिष्ठ विधायक है जो फिर से अपना भाग्य आजमाने के मूड में है.भले ही उनका ग्राफ रसातल की ओर जा चुका हो, इसके बावजूद भी वे अंतिम चुनाव के नाम पर जनता के बीच परीक्षा देना चाहते हैं. जबकि उनको यह अंदेशा भी हो चला है कि इस बार उनका भाग्य धोखा खा सकता है.
कमोबेश ऐसा कुछ नजारा सीकर विधानसभा क्षेत्र में देखने सुनने को मिल रहा है. जहां पर कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक राजेन्द्र पारीक अपने राजनीतिक जीवन के आठवें चुनाव के भव सागर में उतरना चाह रहे हैं. साल 2018 तक के सात चुनाव में दो बार हार का मुंह भी देखने वाले पारीक को पड़ा है इस बार टिकट प्राप्ति के लिए उतना संघर्ष करना पङ रहा है जितना पहले कभी नहीं करना.
अब तक उनके सामने टिकट मांगने वाले लोग दिल्ली-जयपुर तो दूर शहर के नजदीकी गांव गौरियां तक जाने की जहमत भी नहीं उठा पाते थे लेकिन अबकि बार बड़ी संख्या में लोगों ने टिकट मांग कर उनको परेशानी में डाल दिया है. इनमें से एकाध काफी गंभीर भी है, जिनसे पारीक भी परिचित हैं.
राजनीतिक टीकाकारों के मुताबिक किन्हीं परिस्थितियों में ब्राह्मण जाति के उम्मीदवार की टिकट कटती है तो यहां से एक प्रमुख उम्मीदवार का नाम है -सुनीता गठाला का है,जो वर्तमान में जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष हैं. सियासत के गलियारों में सुनिता के नाम को बल राजस्थान कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के समर्थन के कारण मिल रहा है. कहते हैं कि इस बार जाट जाति से सीकर की सीट पर उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
जिसमे सुनीता गठाला का नाम उभर कर सामने आया है. वह जाट जाति से होने के साथ-साथ जुझारू व्यक्तित्व की एक मृदभाषी महिला भी है, साथ ही इन दिनों उनका भाग्य जोर खा रहा है.करीब एक दशक से सुनीता गठाला अपने पति धर्मेंद्र गठाला के साथ सियासत की डगर पर चल रही है. धर्मेंद्र वर्ष – 2005 में जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे और वर्तमान में जिला किसान कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. इसी तरह सुनीता जिला परिषद में अच्छे मतों से जीत कर सदस्य बनी. इसके अलावा उन्होंने जिला कांग्रेस में उपाध्यक्ष व सचिव के अलावा प्रदेश महिला कांग्रेस में उपाध्यक्ष एवं महासचिव का दायित्व निभाया.
वर्ष-2021 के अंत में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने अपने गृह जिले में नया प्रयोग करते हुए जिला अध्यक्ष के रूप में पहली बार एक महिला को दायित्व सौंपा था. इसमें सुनीता का नाम फिट बैठा और फिर देखते ही देखते सुनीता ने वरिष्ठ नेताओं से भरे सीकर जिला कांग्रेस में अपना एक मुकाम हासिल कर लिया. वे इस समय जिला बीसूका की उपाध्यक्ष भी है और सीकर विधानसभा से टिकट लेने की दौड़ में आगे हैं. यह दीगर बात है कि कांग्रेस सीकर में ब्राह्मण को ही टिकट देती है तो उनके लिए यह अवसर नहीं होगा.
बहरहाल पीसीसी चीफ डोटासरा की मेहरबानी से सुनीता का नाम टिकटार्थियों की दौड़ में सबसे आगे है, यदि डोटासरा जिला कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति की तरह विधानसभा प्रत्याशी की टिकट में भी ऑपरेशन करने में सफल रहे तो सुनीता को टिकट मिलने में कोई दिक्कत नहीं होगी. फिलहाल देखने वाली बात यह है कि कांग्रेस किसी महिला को टिकट देकर यहां विधायक बनाने की योजना रखती है या नहीं.
हालांकि भाजपा का यह प्रयोग सफल रहा था, जब उन्होंने राजकुमारी शर्मा को टिकट दी थी. उस समय राजकुमारी ने वर्तमान विधायक राजेन्द्र पारीक को ही हराया था. अब टिकट की उठा-पटक में एक महिला पारीक के सामने फिर खड़ी है, जिसका नतीजा आने वाला वक़्त ही बताएगा.
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