केंद्रीय बजट 2024
– डॉ सुरेंद्रसिंह शेखावत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत आज एक गतिशील अर्थव्यवस्था बन चुका है। भारत की आर्थिक नीतियाँ पूरे विश्व में अपना प्रभाव रखती है। वैश्विक संतुलन के लिहाज़ से भारतीय आर्थिक नीतियाँ एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 3.0 का पहला पूर्ण बजट पेश किया। भारत सरकार का यह बजट कई तथ्यों से महत्वपूर्ण है।
हमें यह स्मरण रखने की आवश्यकता है कि दुनिया की सबसे गतिशील अर्थव्यवस्था पिछले दो वित्त वर्षों से कोरोना की विभीषिका से त्रस्त रही है। कोविड के प्रभावों व आर्थिक क्षेत्रों में पड़ रहे उसके असर से निश्चय ही भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा गहरा झटका लगा था लेकिन इस बजट को देखकर प्रतीत होता है कि भारत आज उन पुराने घावों को भरने में सफल हुआ है।दुनिया की आर्थिक सेहत रिपोर्ट के मुताबिक़ चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की ग्रोथ रेट 6.5% से 7% तक रहने का अनुमान लगाया है।पिछले वित्त वर्ष में यह 8.2% थी। 2024-25 के लिए आरबीआई ने 7.2% का अनुमान जताया था।वहीं मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन के मुताबिक़ चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान है।
मोदी सरकार का यह बजट अमृतकाल का बेहद महत्वपूर्ण बजट है।जिसमें समावेशी विकसित राष्ट्र की संकल्पना में 2047 तक के दीर्घ लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण संकल्पना प्रदान की गई है। सरकार ने अपने अपने इस बजट का नौ सूत्रीय रेखांकन किया है जिसे चतुर्दिक समृद्धि एवं सशक्त विकास का पथ कहा जा सकता है। इसमें विभिन्न सेक्टर के अवसरंचनात्मक ढाँचे के परिवर्तन व विकास का मापदंड स्पष्ट किया है।
इसमें कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और लचीलापन, रोजगार एवं कौशल, समावेशी मानव संसाधन विकास एवं सामाजिक न्याय, विनिर्माण एवं सेवाएँ, शहरी विकास, ऊर्जा संरक्षण, अवसंरचना, नवाचार, अनुसंधान एवं विकास और नई पीढ़ी के सुधार के नये लक्ष्यों के साथ प्रदर्शित किया गया है।देश की आधारभूत संरचनाओं को मजबूती प्रदान करने के लिए पूंजीगत व्यय में 11,11,111 करोड़ की विशाल राशि का प्रावधान किया गया है जो हमारी जीडीपी का 3.4 प्रतिशत होगा।
यह निवेश अर्थव्यवस्था के सतत बढ़ते सूचकांक तथा निरंतर सकारात्मक प्रयासों की द्योतक है।इसके साथ ही राज्यों को उनकी अवसरंचना निवेश में सहायता करने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का दीर्घावधि ब्याज रहित ऋण का प्रावधान किया गया है।जो राज्यों के स्वतंत्र व स्वैच्छिक विकास के नये द्वार खोल समृद्धि का कारक बनेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज़ से कृषि क्षेत्र एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। अधिकांश ग्रामीण जनता कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है अतः भारत की आर्थिक नीतियों के केंद्र में कृषि क्षेत्र का रहना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है। कृषि सेक्टर पिछले पाँच वर्षों से 4% की रफ़्तार के साथ बढ़ रहा है। इस बजट में यह स्पष्ट किया गया है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की वृद्धि और रोजगार सृजन में तेजी लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सहयोग नीति तैयार की जाएगी। सभी प्रमुख फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है, जो लागत से कम से कम 50% मार्जिन के वादे को पूरा करता है। साथ ही, पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए बढ़ाया गया, जिससे 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ हुआ।
6 करोड़ किसानों की जानकारी लैंड रजिस्ट्री पर लाई जाएगी तथा 5 राज्यों में नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे। यह मोदी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति व प्रबंधन का ही परिणाम है कि पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और अनुकूलनीयता के लिए देश के 400 जिलों में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) का उपयोग करते हुए खरीफ फसलों का डिजिटल सर्वेक्षण किया जाएगा, 5 राज्यों में जनसमर्थन आधारित किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे, झींगा, मछली, ब्रूडस्टॉक के लिए केन्द्रीकृत प्रजनन केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करने हेतु वित्तीय सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा। कृषि सेवाओं की बेहतरी का यह निर्णय भारतीय आर्थिक नीति के कौशल – प्रबंधन का बेहतर उदाहरण हैं।
आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर निर्णय करते हुए टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया गया है। नई स्लैब के मुताबिक वेतनमान पाने वाले कर्मचारियों के लिए स्टैण्डर्ड डीडक्शन 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये की जाएगी। वही 0-3 लाख रुपये हेतु शून्य प्रतिशत का प्रावधान किया गया है जो मध्यम वर्ग हेतु बेहतरी के नये रास्ते खोलेंगे। इसके पश्चात क्रमशः 3-7 लाख रुपये हेतु 5%, 7-10 लाख रुपये हेतु 10%, 10-12 लाख रुपये हेतु 15%, 12-15 लाख रुपये हेतु 20% तथा 15 लाख रुपये से अधिक हेतु 30% के कर भुगतान की व्यवस्था की गई है।
सरकार ने कहा कि किसान, युवा, महिला और गरीबों के विकास के लिए अलग-अलग योजनाओं के जरिए बेनिफिट स्कीम लाई जाएगी। इस बजट से शिक्षा और स्किल को नई स्केल मिलेगी। प्रधानमंत्री का पैकेज: ‘रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन’ के तहत तीन योजनाओं की घोषणा की जा रही है। पहली बार रोजगार पाने वाले, विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन व नियोक्ताओं को समर्थन। बेरोज़गारी की दर भारत में अब भी चिंता का सतत विषय बनी हुई है।
इस दृष्टिकोण से कौशल को बढ़ावा देना बाई दिया जाना चाहिए ताकि रोज़गार के नये अवसर पैदा किए जा सकें। स्किल की दिशा में इस बजट के लिहाज़ से दिलचस्प काम संपादित हुआ है। वहीं बजट के केंद्र में भारत की युवा शक्ति को स्थान दिया गया है जिसके मुताबिक़ सरकार ने यह घोषणा की है कि पहली नौकरी वालों के लिए 1 लाख रुपए से कम सैलेरी होने पर, EPFO में पहली बार रजिस्टर करने वाले लोगों को 15 हजार रुपए की मदद तीन किश्तों में मिलेगी। वहीं सरकारी स्तर पर मिलने वाले एजुकेशन लोन के माध्यम से देशभर के संस्थानों में एडमिशन के लिए लोन मिलेगा। लोन का 3 परसेंट तक पैसा सरकार देगी। इसके लिए ई वाउचर्स लाए जाएंगे, जो हर साल एक लाख स्टूडेंट्स को मिलेंगे। शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते निवेश का यह सूचकांक भारत के सुरक्षित व शैक्षिक भविष्य को रेखांकित करता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए रोजगार, कौशल विकास, व्यापार-उद्योग जगत तथा मध्यम वर्ग के लिए आगे बढ़ने के शानदार अवसर प्रस्तुत किए हैं। जनजातीय समाज, दलितों और पिछड़ों को सशक्त करने की मजबूत योजनाओं के साथ आया है। प्रधानमंत्री जी के शब्दों में ‘यह बजट नियो मिडल क्लास बना है, ये बजट उनके सशक्तिकरण की निरंतरता का बजट है तथा नौजवानों को अनगिनत नए अवसर देने वाला बजट है।’
विकास – केंद्रों के रूप में शहरों को विकसित बनाने की दिशा में कार्य करना जारी रखते हुए सरकार ने शहरी विकास के क्षेत्र में निवेश किया है। आर्थिक और आवागमन योजना के माध्यम से बाह्य शहरी क्षेत्रों का सुनियोजित विकास, मौजूदा शहरों के रचनात्मक ब्राउनफील्ड पुर्नविकास के लिए रुपरेखा, 100 बड़े शहरों के लिए जलापूर्ति, सीवेज ट्रीटमेंट और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाएं एवं सेवाएं की जाएगी। जनजातीय क्षेत्रों के समुचित व समावेशी विकास की ओर इस सरकार ने दृष्टिपात किया है।
देश के हर वर्ग का अर्थव्यवस्था के बदलते स्वरूप में योगदान बढ़े इसके लिए नई आर्थिक नीतियों की सरंचना तैयार की गई है। जनजातीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान की शुरुआत की जाएगी।योजना के तहत आकांक्षी जिलों एवं जनजातीय बहुल ग्रामों में जनजातीय परिवारों के पूर्ण कवरेज के लिए कदम उठाए जाएंगे।इससे 63 हजार गांवों में 5 करोड़ जनजातीय लोग लाभान्वित होंगे। बजट का यह सबसे महत्वपूर्ण अंश है जब सरकार अपने नागरिकों के हितों को ध्यान में रखकर देश की नीति- निर्धारको को केंद्रित करती है।
उद्योग किसी भी गतिशील अर्थव्यवस्था के केंद्र बिंदु है जिसकी धुरी पर संपूर्ण अर्थव्यवस्था घूर्णन करती है। इसकी महत्ता को समझते हुए उद्योग क्षेत्र के लिए भी व्यापक संभावनाओं वाला यह बजट बना है। जिसके मुताबिक़ 100 शहरों में या उनके आस-पास निवेश हेतु “प्लग एंड प्ले” औद्योगिक पार्क तैयार किए जाएंगे, राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 12 औद्योगिक पार्कों को मंजूरी दी जाएगी, खनिजों के घरेलू उत्पादन, रिसाइक्लिंग और विदेशों में महत्वपूर्ण मिनरल एसेट्स का अधिग्रहण करने के लिए महत्वपूर्ण खनिज मिशन स्थापित किया जाएगा।
उद्योगों को बढ़ावा देने से निश्चय ही अर्थव्यवस्था गतिशील बनेगी। विनिर्माण एवं सेवा के क्षेत्र में भी कई दूरगामी निवेश किए गए है जिसके सकारात्मक परिणाम भविष्य में सामने आयेंगे। MSME सेक्टर को दबाव के दौरान बैंक ऋण आसानी से मिलता रहे इसके लिए एक नई व्यवस्था की घोषणा की गई, मुद्रा लोन की सीमा को 10 लाख से 20 लाख तक बढ़ाया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न वर्गों के साथ संतुलन बिठाने के साथ ही असमान बेरोज़गारी दरों, शिक्षा,व्यवसाय व कृषि क्षेत्र में निवेश का प्रस्ताव रखा है। देश के अन्नदाताओं की समृद्धि व युवाओं की प्रगति वाला यह बजट अमृतकाल का ऐतिहासिक दस्तावेज है जो भारत की सतत बढ़ती अर्थव्यवस्था का प्रमाण है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार है।) (सी 9 विजय विहार, बीकानेर)