Putrada Ekadashi 2022 Pavitra Ekadashi : पुत्रदा/पवित्रा एकादशी : 8 अगस्त, सोमवार
भारतीय संस्कृति के हिन्दू सनातन धर्म में व्रत त्यौहार की परम्परा काफी पुरातन है। प्रत्येक माह की तिथियों का अपना खास महत्व है। मास व तिथि के संयोग होने पर ही पर्व मनाया जाता है। चान्द्रमास के अनुसार प्रत्येक मास में दो बार एकादशी पड़ती है। सबकी अपनी अलग-अलग महिमा है।
Pavitra Ekadashi : श्रावण मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि पुत्रदा एकादशी के रूप में मनेगी
इस बार श्रावण मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि पुत्रदा एकादशी के रूप में 8 अगस्त, सोमवार को मनाई जाएगी। इस तिथि के दिन भगवान श्रीहरि विष्णुजी की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाएगी।
ऐसी मान्यता है कि जिनको दाम्पत्य जीवन में सन्तान सुख की प्राप्ति न होती हो, उन्हें आज के दिन नियम-संयम के साथ भगवान श्रीहरि के शरण में रहकर पवित्रा एकादशी का व्रत-उपवास रखना चाहिए।
Pavitra Ekadashi Date Tithi : श्रावण शुक्लपक्ष की एकादशी का समय
प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि श्रावण शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि 7 अगस्त, रविवार की आधी रात 11 बजकर 52 मिनट पर लग रही है जो 8 अगस्त, सोमवार की रात्रि 9 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। 8 अगस्त, सोमवार को सम्पूर्ण दिन एकादशी तिथि का मान होने से पवित्र एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा।
Pavitra Ekadashi Puja Vidhi : भगवान श्रीहरि की पूजा का विधान
ज्योतिर्विद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को एक दिन पूर्व सायंकाल अपने दैनिक नित्य कृत्यों से निवृत्त होकर स्नान ध्यान के पश्चात् पुत्रदा एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए,और दूसरे दिन यानि पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान श्रीविष्णुजी की पूजा-अर्चना के पश्चात् उनकी महिमा में श्रीविष्णु सहस्रनाम, श्रीपुरुषसूक्त तथा श्रीविष्णुजी से सम्बन्धित मन्त्र ‘ॐ’ श्रीविष्णवे नम: या ‘ॐ’ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप अधिक से अधिक संख्या में करना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहकर व्रत सम्पादित करना चाहिए। व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है।
एकादशी तिथि के दिन चावल ग्रहण नहीं किया जाता। इस दिन अन्न ग्रहण न करके विशेष परिस्थितियों में दूध या फलाहार ग्रहण किया जा सकता है। साथ ही व्रत के समय दिन में शयन नहीं करना चाहिए। पुत्रदा एकादशी के व्रत व भगवान श्रीविष्णुजी की विशेष कृपा से सभी मनोरथ सफल होते हैं, साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य के साथ ही सन्तान-सुख की प्राप्ति होती है।
अपने जीवन में मन-वचन कर्म से पूर्णरूपेण शुचिता बरतते हुए यह व्रत करना विशेष फलदायी रहता है। आज के दिन ब्राह्मण को यथा सामथ्र्य दक्षिणा के साथ दान करके लाभ उठाना चाहिए।
पौराणिक मान्यता है कि प्राचीन काल में राजा सुकेतुमान को इसी पवित्र एकादशी व्रत के प्रभाव से पुत्र प्राप्ति हुई थी।
Putrada Ekadashi 2022 Pavitra Ekadashi Katha : पौराणिक कथा : श्रावण शुक्लपक्ष की एकादशी
सुकेतुमान नाम का राजा भद्रावती राज्य पर राज करता था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। इस राजा की कोई संतान न होने से दोनों परेशान और उदास रहते थे। इसी दु:ख के कारण एक बार राजा के मन में आत्महत्या करने का विचार आया, लेकिन पाप समझकर उसने यह विचार त्याग दिया।
एक दिन राजा का मन राज्य के कामकाज में नहीं लग रहा था, तो वो जंगल की तरफ चल दिया। जंगल में उसे बहुत से पशु-पक्षी दिखाई दिए।
राजा के मन में बुरे विचार आने लगे। राजा दु:खी होकर एक तालाब के किनारे बैठ गया। इस तालाब के किनारे ऋषि मुनियों के आश्रम बने हुए थे। राजा एक आश्रम में गया और वहाँ पर ऋषि मुनियों को प्रणाम कर आसन ग्रहण किया।
राजा को देखकर ऋषि मुनियों ने कहा—किस इच्छा से आपने यहाँ पदार्पण किया। तब राजा ने अपनी चिंता ऋषि को बताई। ऋषिमुनि ने राजा की इच्छापूर्ति के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने को बताया। राजा ने उसी दिन से एकादशी का व्रत आरंभ कर दिया।
राजा ने विधि पूर्वक व्रत रखा और द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया। कुछ दिनों बाद राजा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह बालक पराक्रमी और जनता का कल्याण करने वाला हुआ।
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(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी)
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