Shardiya Navratri 2021: चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग के कारण अभिजीत मुहूर्त में ही होगी घटस्थापना
शारदीय नवरात्रि अभिजीत मुहूर्त 7 अक्टूबर को दोपहर 11:52 से 12:38 तक
एक वर्ष में दो बार छह माह की अवधि के अंतराल पर नवरात्रि आती हैं। मां दुर्गा (Maa Durga) को समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक वर्ष आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है और पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है।
इस बार शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) गुरुवार 7 अक्टूबर 2021 से आरंभ हो रही हैं।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर – जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष नवरात्रि (Navratri) का आरंभ गुरुवार से होने जा रहा है और नवरात्रि का समापन गुरुवार 14 अक्टूबर को होने जा रहा है।
ऐसे में इस साल नवरात्रि में 8 दिन की पूजा और नवें दिन विसर्जन का योग बना है क्योंकि चतुर्थी तिथि का क्षय हो गया है।
इस बार चतुर्थी तिथि का क्षय होने से नवरात्र 9 की बजाय 8 दिन के ही होंगे।
महाष्टमी 13 अक्टूबर को और महानवमी 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी और दशहरा 15 अक्टूबर का रहेगा।
शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) में घटस्थापना का मुहूर्त इस बार सिर्फ अभिजीत मुहूर्त ही रहेगा। (Navratri) अभिजीत मुहूर्त 7 अक्टूबर को दोपहर 11:52 से 12:38 तक है। इस बीच घट स्थापना कर देवी की पूजा अर्चना ज्योत,कलश स्थापना करनी चाहिए।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस साल शारदीय नवरात्रि ( Navratri Shardiya) का पर्व गुरुवार से शुरू हो रहा है। इस वजह से माता रानी इस साल ‘डोली’ पर सवार होकर आएंगी। डोली में माता का आगमन देश दुनिया और आमजनों के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
पृथ्वी के कई हिस्सों में बड़ी राजनीतिक हलचल होगी।
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जन धन की हानि होने की आशंका रहेगी।
राजनीतिक मामलों में बात करें तो माता के डोली में आगमन से सत्ता में बड़ा उथल-पुथल देखने को मिल सकता है।
कई दिग्गज नेताओं की सत्ता जा सकती है।
माता के डोली में आगमन से ऐसा भी माना जाता है कि किसी रोग और महामारी का प्रकोप बढ़ सकता है।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार इन नौ दिनों तक मातारानी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं और उनके दुखों को हर लेती हैं।
Navrarti नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कूष्मांडा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी और सिद्धिदात्री माता की पूजा अर्चना की जाती है। इस साल शारदीय नवरात्रि नवरात्र का पर्व गुरुवार 7 अक्टूबर से शुरु हो रहा है और 15 अक्टूबर को माता के विसर्जन के साथ ही यह पर्व समाप्त हो जाएगा। नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है।
देवी मां दुर्गा के वाहन यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है। लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं। माता दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं।
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि देवीभाग्वत पुराण में जिक्र किया गया है कि शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है।
अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं।
गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं।
बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं।
नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है। ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है।
Navratri : ‘डोली’ पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन के आधार पर मां दुर्गा की सवारी के बारे में पता चलता है। नवरात्रि में माता की सवारी का विशेष महत्व होता है। इस साल शारदीय नवरात्रि का पर्व गुरुवार से शुरू हो रहा है।
इस वजह से माता रानी इस साल ‘डोली’ पर सवार होकर आएंगी। डोली में माता का आगमन देश दुनिया और आमजनों के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
यह होगा असर : Navratri
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि माता के डोली में आगमन से पृथ्वी के कई हिस्सों में बड़ी राजनीतिक हलचल होगी। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जन धन की हानि होने की आशंका रहेगी। राजनीतिक मामलों में बात करें तो माता के डोली में आगमन से सत्ता में बड़ा उथल-पुथल देखने को मिल सकता है। कई दिग्गज नेताओं की सत्ता जा सकती है।
माता के डोली में आगमन से ऐसा भी माना जाता है कि किसी रोग और महामारी का प्रकोप बढ़ सकता है। माता का वहन इस बार शुभ फल की ओर संकेत नहीं दे रहा है ऐसे में रोग परेशानियों से मुक्ति के लिए नवरात्रि में श्रद्धा भाव से माता की उपासना करें और नियमित कवच कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करके यथा संभव रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।। इस मंत्र का जप किया करें।
Navratri : घट स्थापना का मुहूर्त
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि देवी पुराण में नवरात्रि पर देवी का आवान स्थापना एवं पूजन का समय प्रात:काल लिखा है। किंतु प्रतिपदा के दिन चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग को वर्जित बताया गया है।
यदि प्रतिपदा को संपूर्ण दिन चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग विद्यमान रहे तो देवी का आह्वान एवं घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त में ही करने के के लिए बताया गया है। इस बार नवरात्रि के दिन चित्रा नक्षत्र रात 9:13 तक तथा वैधृति योग रात 1:39 तक रहेंगे।
इस कारण शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना का समय दोपहर 11:52 से 12:38 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में ही सर्वश्रेष्ठ रहेगा। शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का मुहूर्त इस बार सिर्फ अभिजीत मुहूर्त ही रहेगा।
अभिजीत मुहूर्त 7 अक्टूबर को दोपहर 11:52 से 12:38 तक है। इस बीच घट स्थापना कर देवी की पूजा अर्चना ज्योत,कलश स्थापना करनी चाहिए ।
शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021 (गुरुवार) – प्रतिपदा घटस्थापना मां शैलपुत्री पूजा
8 अक्टूबर 2021 (शुक्रवार) – द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
9 अक्टूबर 2021 (शनिवार) – तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा, चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा
10 अक्टूबर 2021 (रविवार) – पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा
11 अक्टूबर 2021 (सोमवार) – षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा
12 अक्टूबर 2021 (मंगलवार) – सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा
13 अक्टूबर 2021 (बुधवार) – अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा पूजा
14 अक्टूबर 2021 (गुरुवार) – महानवमी माँ सिद्धिदात्री पूजा
15 अक्टूबर 2021 (शुक्रवार) – विजयदशमी दशहरा
Navratri : शारदीय नवरात्रि महत्व
कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि मां भगवती दुर्गा की आराधना करने का श्रेष्ठ समय होता है।
इन नौ दिनों के दौरान मां के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। नवरात्रि का हर दिन मां के विशिष्ट स्वरूप को समर्पित होता है, और हर स्वरूप की अलग महिमा होती है। आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं।
यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है।
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