धनतेरस पर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से धन की बरसात होने वाली है। सुख-समृद्धि व वैभव की अधिष्ठात्री देवी भगवती श्री लक्ष्मीजी की विशेष महिमा है। इनकी उपासना से लक्ष्मीजी की प्रसन्नता सदैव बनी रहती है। लक्ष्मीजी की आराधना की विविध विधियाँ प्रचलित हैं।
श्रीलक्ष्मीजी की आराधना कभी भी की जा सकती है, लेकिन दीपावली के दिन उनकी आराधना का विशेष महत्व होता है।दीपावली से प्रारम्भ की गई श्रीलक्ष्मीजी की आराधना विशेष चमत्कारिक मानी गई है। आज के जटिल समय में कठिन विधि का पालन करना सहज नहीं होता। श्रीलक्ष्मी जी से सम्बन्धित कुछ मन्त्र प्रस्तुत है। जिससे श्रद्धा-भक्ति के साथ जप करने पर लाभ का सुयोग बना रहता है।
- श्रीं
- ॐ श्रीं नम:।
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।
- ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ वं श्रीं वं ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं गृहलक्ष्म्यै स्वाहा श्रीं ॐ।
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।
- ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नीम् च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नम:।
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि दीपावली पर समस्त देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। भगवती श्रीलक्ष्मीजी का शृंगार करके उनके समक्ष शुद्ध देशी घी का दीपक प्रज्वलित करें, साथ ही गुगल या गुलाब की धूप भी जलाना चाहिए। इसके बाद उनकी महिमा में श्रीलक्ष्मी स्तोत्र, श्रीलक्ष्मी सहस्रनाम, श्रीसूक्त, श्रीकनकधारा स्तोत्र, श्रीललिता सहस्रनाम आदि विविध स्तोत्रों का पाठ करने के पश्चात उपरोक्त मन्त्र का जप प्रारम्भ करना चाहिए।
स्फटिक या कमलगट्टे की माला से मंत्र का जप करना विशेष फलदायी रहता है। मंत्र की माला का जप 1 या 5 या 7 या 9 या 11 या 21 माला की संख्या में होना चाहिए। जब तक मंत्र का जप हो शुद्ध देशी घी का दीपक प्रज्वलित रखें।
गुगल या गुलाब की धूप भी जलते रहना चाहिए। मंत्र जाप के अन्त में श्री लक्ष्मीजी की आरती भी उतारनी चाहिए। अपने दैनिक जीवन में नियमित रूप से मन्त्र का जप करना विशेष लाभकारी रहता है।