Diwali 2022 Laxmi Pujan Time : दीपावली पर लक्ष्मी गणेश पूजा का खास मुहूर्त
@ज्योर्तिविद् विमल जैन
दीपावली महोत्सव (Diwali) के पावन पर्व पर सुख-समृद्धि, धन-वैभव की अधिष्ठात्री देवी भगवती माँ लक्ष्मी तथा ऋद्धि-सिद्धि के अधिष्ठाता प्रथम पूज्यदेव श्रीगणेशजी (Ganesh ji Puja on Diwali) की मुहूर्त विशेष में की गई पूजा शीघ्र फलित होती है। दीपोत्सव का पर्व (Diwali 2022) दीपावली कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है।
इस बार यह पर्व 24 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर, सोमवार की सायं 5 बजकर 28 मिनट से 25 अक्टूबर, मंगलवार की सायं 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। चित्रा नक्षत्र 24 अक्टूबर, सोमवार को दिन में 2 बजकर 42 मिनट से 25 अक्टूबर, मंगलवार को दिन में 2 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
इस पर्व पर मुख्य तः भगवती (Laxmi Puja and Ganesh Pujan) श्रीलक्ष्मीजी-श्रीगणेशजी की पूजा अर्चना की जाती है। विशिष्टकाल में की गई पूजा विशेष फलदायी होती है।
विमल जैन ने बताया कि शुभ मुहूर्त में की गई पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि-वैभव में वृद्धि होती है। पूजन के लिए प्रदोषकाल व स्थिरलग्न विशेष लाभकारी रहता है।
Diwali 2022 Laxmi Pujan Time Puja : शुभ मुहूर्त
शुभ और अमृत चौघडिय़ा अर्द्धरात्रि 02 बजकर 53 मिनट से सूर्याेदय काल तक है। दीपावली (Deepawali) के दिन प्रदोषकाल सायंकाल 05 बजकर 23 मिनट से रात्रि 07 बजकर 55 मिनट तक है। इस अवधि में स्थिर लग्न ‘वृषभ’ सायंकाल 06 बजकर 36 मिनट से रात्रि 08 बजकर 32 मिनट तक है। यह समय पूजा-अर्चना के लिए श्रेष्ठ है।
इस बार अमावस्या तिथि 25 अक्टूबर, मंगलवार की सायं 4 बजकर 19 मिनट तक है। पूजा के लिए महानिशीथकाल 24 अक्टूबर, सोमवार की रात्रि 11 बजकर 20 मिनट से रात्रि 12 बजकर 11 मिनट तक है।
सामान्यतया श्रीलक्ष्मी-गणेश व दीपक के साथ समस्त देवी-देवताओं श्रीमहाकाली, श्रीमहासरस्वती, श्रीमहालक्ष्मी व कुबेरजी का पूजन कार्यस्थलों एवं घरों में सायंकाल से ही शुरू हो जाती है, जो रात्रि पर्यन्त चलती है। जिसमें देवी-देवताओं की महिमा में मन्त्र स्तोत्र आदि का पाठ करके रात्रि जागरण करते हैं।
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Diwali : दिवाली पर सिंह लग्न
सिंह लग्न अर्द्धरात्रि 01 बजकर 04 मिनट से अर्द्धरात्रि के पश्चात् 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। मान्यता के अनुसार प्रात:काल के समय उदयातिथि के रूप में अमावस्या तिथि हो तथा सूर्यास्त के पश्चात एक घंटे से अधिक समय तक अमावस्या तिथि के रहने पर संपूर्ण रात्रि दीपावली संबंधित सभी अनुष्ठान सम्पन्न होते हैं।
Diwali 2022 Laxmi Pujan Time : दीपावली पूजन का विधान
लक्ष्मी पूजन(Laxmi Pujan on Diwali) का शुभ मुहूर्त सायंकाल से प्रारम्भ हो जाता है। लकड़ी की नई चौकी या सिंहासन पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछा कर उस पर श्रीलक्ष्मी-श्रीगणेश जी की मूर्ति रखनी चाहिए। लक्ष्मीजी, श्रीगणेशजी के दाहिनी ओर होनी चाहिए।
श्रीलक्ष्मी-गणेशजी की मूर्तियों के सामने चावल के दानों के ऊपर कलश में जल भरकर अक्षत, पुष्प, दूर्वा, सुपारी, रत्न व चाँदी का सिक्का आदि रखने चाहिए। कलश पर सिन्दूर या रोली से स्वास्तिक बनाना चाहिए।
कलश के ऊपर चावल से भरा हुआ पात्र रखकर उसके ऊपर जलदार नारियल को लाल वस्त्र में लपेट कर रखना चाहिए। लाल वस्त्र से लपेटे हुए नारियल के ऊपर रक्षा सूत्र या कलावा 5, 7, 9 या 11 बार लपेटकर रखना चाहिए।
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तत्पश्चात् चंदन, चावल, धूप, गुड़, पुष्प, ऋतुफल आदि अर्पित करने के पश्चात् अखण्ड दीप प्रज्वलित करके पूजन करें। दीपावली पूजन की शुरुआत घर के प्रमुख (मुखिया) को करनी चाहिए। परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ बैठकर पूजा में भाग लेना चाहिए।
श्रीलक्ष्मी-गणेशजी का षोडशोपचार शृंगार-पूजन करके उनकी स्तुति करनी चाहिए। रात्रि में श्रीलक्ष्मीजी से सम्बन्धित श्रीलक्ष्मी स्तुति, श्रीसूक्त, श्रीलक्ष्मी सहस्रनाम, श्रीकनकधारा स्तोत्र एवं श्रीलक्ष्मी चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए। शुद्ध देशी घी से अखण्ड ज्योति प्रज्वलित रखनी चाहिए। रात्रि में जागरण भी करना चाहिए।
इस रात्रि में श्रीलक्ष्मीजी के मन्त्र का जप कमल गट्टे या स्फटिक की माला से करना विशेष लाभकारी रहता है। मन्त्रकृ‘ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमरू।’ अथवा ‘ॐ श्रीं नमरू।’ मंत्र की माला का जप 1, 5, 7, 9, 11 या 21 माला की संख्या में होना चाहिए। जब तक मंत्र का जप हो, शुद्ध देशी घी का दीपक व गुगल या गुलाब का धूप जलते रहना चाहिए।
दीपावली पूजन अपने पारिवारिक रीति-रिवाज एवं धार्मिक परम्परा के अनुसार ही सम्पन्न करना चाहिए, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली का सुयोग बना रहे। दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव मनाने की परम्परा है।
Surya Grahan on Diwali 2022 : दिवाली के दूसरे दिन होगा सूर्यग्रहण
इस बार दीपावली के दूसरे दिन 25 अक्टूबर, मंगलवार को (Surya Grahan) सूर्यग्रहण रहेगा, इसलिए अन्नकूट महोत्सव 26 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा।
तिलक लगाने से मिलती है सफलता, राहु-केतु और शनि के अशुभ प्रभाव को करता है कम
(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी)
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