युगानुरुप चेतना का साहित्य कालजयी होता है- डॉ हुकुम जैन

Rajasthani Language Literature Award Ceremony held in Kota

Rajasthani Language, Rajasthani Language Literature Award Ceremony, Literature Award Ceremony, Award Ceremony, Rajasthani Bhasha, Rajasthani News, Rajasthan today News, Rajasthani Bhasha News,

Rajasthani Language Literature Award Ceremony held in Kota

कोटा। युगानुरुप चेतना का साहित्य कालजयी होता है। साहित्य की धारा को समझकर साहित्य लेखन किया जाना चाहिए । यह विचार आज़ 28 वे गौरीशंकर कमलेश स्मृति राजस्थानी भाषा साहित्य पुरस्कार समारोह में मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए इतिहासकार डॉ हुकुम चंद्र जैन सामने रखे।

उन्होंने कहा कि युवा राजस्थानी लेखकों (Rajasthani Writer) अपनी अगली पीढ़ी के संघर्ष से अनुभव लेना चाहिए। संवत् 786 में राजस्थानी भाषा (Rajasthani Bhasha) की पहली कृति कुवलयमाला लिखी गई थी। आज़ की राजस्थानी भाषा उसका विकसित रुप है। अब राजस्थानी भाषा को मान्यता मिल ही जानी चाहिए।

विशिष्ट अतिथि किशन वर्मा ने कहा कि मारवाड़ में बड़े से बड़े पद का अधिकारी मारवाड़ी बोलता है ,हम यहां हाड़ौती अंचल में अपनी बोली बोलने में झिझकते हैं इसीलिए यहां सृजन दृष्टि से हम पीछे है।

सभा के अध्यक्ष आज़ के ज्ञान भारती संस्था कोटा द्वारा आयोजित स्व गौरीशंकर कमलेश राजस्थानी भाषा पुरस्कार से सम्मानित जयसिंह आशावत साहित्यकार राज्य स्तरीय प्रतिष्ठित सम्मान के लिए खरे उतरे हैं । इनके दोहे लोक में स्थान पाने योग्य है। हाड़ौती अंचल के राजस्थानी भाषा साहित्य के साहित्यकार बंधुओं को स्तरीय लेखन सृजित करना होगा अन्यथा हम प्रतिस्पर्धा में बहुत पीछे रह जाएंगे।

Rajasthani Language Literature Award Ceremony held in Kota

गौरीशंकर कमलेश राजस्थानी भाषा पुरस्कार के लिए अन्य अंचलों से प्राप्त कृतियां भाषा और शिल्प स्तर पर गुणवत्ता लिए होता है। समारोह का संचालन डॉ रामावतार सागर ने किया।

वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही ने कहा कि वर्तमान में इस अंचल में लिखा जा रहा राजस्थानी भाषा साहित्य गुणवत्ता में किसी प्रकार से कम नहीं है। यह आज़ की पुरस्कृत कृति “होई सुहागण रेत“ से प्रकट होता है गौरीशंकर कमलेश राजस्थानी भाषा पुरस्कार जाने माने साहित्यकारों को मिल चुका है।

ज्ञान भारती संस्था कोटा द्वारा भविष्य में श्रीमती कमला कमलेश स्मृति सम्मान महिला लेखिका सम्मान दीये जाने की योजना है।गोरी शंकर कमलेश डिंगल ही नहीं पिंगल के भी अधिकृत विद्वान थे। श्री मती कमला कमलेश को सदन की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।

इसके पश्चात गोरी शंकर कमलेश स्मृति राजस्थानी भाषा पुरस्कार अंतर्गत सचिव सुरेंद्र शर्मा, पुरस्कार सचिव जितेन्द्र निर्मोही , स्वागत अध्यक्ष राजकुमार शर्मा एवं अध्यक्ष वीणा शर्मा द्वारा जयसिंह आशावत का शाल श्रीफल सम्मान पत्र और ग्यारह हजार रुपए नकद दीए जाकर समादृत किया गया।

जयसिंह आशावत नैनवा के कृतित्व और व्यक्तित्व पर बोलते हुए नहुष व्यास ने कहा कि पुरस्कृत कृति में 720 दोहे विभिन्न विषयों के हैं जिनमें कुप्रथा,नोटबंदी,न्याय, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, घर-परिवार आदि सम्मिलित हैं।

जयसिंह आशावत ने कहा कि मैंने जितेन्द्र निर्मोही की कृति“ हाड़ौती अंचल को राजस्थानी काव्य“ से प्रभावित होकर लिखा है। वर्तमान में मैंने गीता का अनुवाद राजस्थानी भाषा में किया है ,यह पुरस्कार राशि उसके प्रकाशन में लगा दूंगा। आज़ प्रकाशन बड़ा मंहगा है।

रक्तदान कर्ता भुवनेश गुप्ता को गोरी शंकर कमलेश स्मृति जन सेवा सम्मान प्रदान किया गया।

साहित्यकार आनंद हजारी ने कहा कि भुवनेश गुप्ता रक्तदान के लिए अपने आप में एक संस्था है जो 500 रक्तदाताओं से जुड़े हुए हैं। इनके पास किसी भी श्रण कहीं से भी रक्त की आवश्यकता के लिए फ़ोन आ जाता है। भुवनेश गुप्ता ने कहा कि मैं152 बार में रक्त दान कर चुका हूं एक व्यक्ति का रक्तदान तीन परिवारों के लिए लाभप्रद होता है। मेरी आपसे विनती है कि आप अधिक से अधिक रक्त दान करें। रक्तदान महादान है।

इसी अवसर पर समाज सेवी पी पी गुप्ता को गौरीशंकर कमलेश जन सेवा सम्मान उनकी करोना काल में की गई सेवा के लिए दिया गया।

साहित्यकार नंद सिंह पंवार ने बताया कि पी पी गुप्ता ने पोलीथिन बिनने वाले और अन्य सर्वहारा समाज को करोना काल में भोजन के पैकेट उपलब्ध कराये, नेशनल हाईवे पर जाने वाले मजदूरों को हवाई चप्पल उपलब्ध कराई।

पी पी गुप्ता ने बोलते हुए कहा कि मैं किशोरवय से ही समाज सेवा से जुड़ा हुआ हूं। मित्रों के स्नेह से ही मैं आज़ इस मुकाम पर हूं।

कार्यक्रम के अंत में ज्ञान भारती संस्था कोटा के सचिव सुरेंद्र शर्मा एडवोकेट ने कहा कि राजस्थानी भाषा साहित्य को समर्पित यह संस्था आपकी ही है आप जब कभी भी मुझसे सहयोग लेंगे मैं हमेशा तैयार रहूंगा।

अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित करने के पश्चात सरस्वती वंदना महेश पंचोली द्वारा की गई।

Read Hindi News, Like Facebook Page : Follow On Twitter:

Exit mobile version