– कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने एसकेएन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी को दिलाई पहचान
@गुरजंट सिंह धालीवाल
जयपुर। देश के सबसे बड़े कृषि विश्वविद्यालयों में से एक श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय,जोबनेर, जयपुर ने रिसर्च, स्नातक व स्नातकोतर तक के रिजल्ट को लेकर पिछले डेढ वर्ष में कई मानक स्थापित किए हैं। इसी का नतीजा है कि राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में वर्ष-2022 में सबसे निचले पायदान से 2023 में जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय का राज्य में प्रथम स्थान रहा। इस सफलता का श्रेय यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों व फैकल्टीज के साथ-साथ कुलपति डॉ. बलराज सिंह को जाता है।
डॉ. बलराज सिंह ने बतौर कुलपति के रूप में अपने अब तक के महज डेढ वर्ष के कार्यकाल में वो कीर्तिमान स्थापित कर दिए हैं, जो इस विश्वविद्यालय के 21 साल के इतिहास में नहीं हो पाया है। बलराज सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों, सुधारों, गतिविधियों एवं प्रगति पर विस्तार से जानकारी दी।
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उन्होंने बताया कि कुलपति बनते ही एक ही लक्ष्य रखा-हर छात्र, कृषक का चहुमुखी विकास हो। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, शिक्षकों हेतु अनुसंधान, शिक्षा एवं कृषि विस्तार में लक्ष्य निर्धारित किया। इसी का परिणाम रहा कि जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय को सर्वोत्तम रखरखाव वाले चारा विकास का पुरस्कार मिला।
पहली बार 276 शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक स्टाफ की भर्ती
कृषि विश्वविद्यालय अधीन कृषि महाविद्यालयों में शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ की कमी को पूरा करने लिए पहली बार 96 शैक्षणिक एवं 180 गैर शैक्षणिक स्टाफ की भर्ती की गयी। 12 स्नातक, एक स्नातकोतर महाविद्यालय, एक अनुसंधान केंद्र, 8 कृषि विज्ञान केंद्र, 3 कृषि अनुसंधान केंद्र और 4 अनुसंधान उप-केंद्र के साथ देश के सबसे बड़े इस कृषि विश्वविद्यालय ने देश-विदेश में कृषि शिक्षा, कृषि अनुसंधान और कृषि विस्तार में अपनी अमिट जगह बना ली है।
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उन्होंने बताया कि कृषि उत्पादन, उत्पादकता और कृषि आय बढ़ाने के लिए बेहतर प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए विश्वविद्यालय में 16 से अधिक अखिल भारतीय समन्वित अनुसन्धान परियोजनाएं संचालित हो रही हैं।
एक साथ आठ कॉलेजों के भवनों का निर्माण
विश्वविद्यालय के अंतर्गत नये आठों कृषि महाविद्यालयों के भवनों का निर्माण पूर्ण करवाया। वर्षों से खंडहर में तब्दील हो चुके श्री कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय,जोबनेर में स्टाफ क्वार्टर्स की मरम्मत करवाकर फैकल्टी स्टाफ को अलॉट किया। छात्रों के भविष्य एवं क्षेत्र की आवश्यकता के मद्देनजर दुर्गापुरा, जयपुर में बागवानी महाविद्यालय एवं कृषि महाविद्यालय फतेहपुर को स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्वीकृति दिलाई। कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर में राजस्थान का पहला ड्रोन पायलट प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया।
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कुलपति के बावजूद स्टूडेंटस को पढाने का रिकार्ड
शिक्षा के स्तर को सुधारने एवं छात्रों से व्यक्तिगत संपर्क एवं सुझाव हेतु कुलपति डॉ. बलराज सिंह लगभग प्रतिदिन महाविद्यालय के स्नातक, स्नातकोत्तर व पीएचडी के छात्रों की क्लास लेते हैं। अन्य महाविद्यालयों में भी विजिट के दौरान छात्रों की क्लास ले लेते हैं। संभवतः देशभर में कुलपतियों के कार्यकाल रहते हुए सबसे अधिक छात्रों की क्लास लेने का रिकॉर्ड इन 18 महीनों में बना चुके हैं। इन सबसे अलग कुलपति रहते हुए भी इनके अधीन मुख्य गाइड के रूप छात्र पीएचडी भी कर रहे हैं।
कुलपति के मार्गदर्शन में चल रही अतिरिक्त कक्षाओं के परिणाम ही है जोबनेर कृषि महाविद्यालय के अंतिम वर्ष की छात्रा निधि बिश्नोई ने एनटीए द्वारा आयोजित सीयूईटी में देशभर में टॉप किया। एक लम्बे अंतराल के पश्चात 2024 में जोबनेर कृषि महाविद्यालय के छात्र हेमंत पारीक ने अपने प्रथम प्रयास में ही आईएएस परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
सर्वाधिक प्रोटीन वाली मूंगफली की किस्में तैयार
डॉ. बलराज सिंह ने गेहूं व जौ, तिलहन फसल-मूंगफली, सरसों, तारामीरा, दलहन फसलों, विशेष तौर पर चना व मूंग पर चल रहे अनुसंधान कार्यो की समीक्षा एवं पुनर्वलोकन कर उसे भविष्य की समस्याओं व चुनौतियों के मद्देनजर जैसे- जलवायु परिवर्तन, पोषण मान आदि के अनुरूप तैयार करवाया। कुपोषण की समस्या को ध्यान में रखते हुए बड़े पैमाने पर महत्वपूर्ण फसलों जैसे-बाजरा, गेहूं, जौ आदि में अनुसंधान कार्य शुरू कराया। जौ की उच्च माल्टिंग क्वालिटी वाली किस्मों के विकास हेतु बारमाल्ट कंपनी के साथ एमओयू किया है।
उन्होंने बताया कि अनुसन्धान कार्यों को गति देने के सुखद परिणाम भी प्रदेश को मिलने शुरू भी हो गए हैं। इस विश्वविद्यालय की मूंगफली की दो किस्में आरजी 565-1 एवं आरजी 648 चिन्हित की गयी हैं, जो प्रोटीन, तेल की मात्रा एवं उपज में भी अन्य किस्मों से बेहतर हैं। सेंट्रल वेरायटल रिलीज कमेटी द्धारा ग्वार की दो किस्में करण ग्वार-14(2023) एवं करण ग्वार-15 (2024) को अधिसूचित किया गया है।
मोटे अनाजों (श्री अन्न) के महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की महत्त्वपूर्ण एवं चमत्कारी फसल बाजरा के अनुसन्धान को गति देकर सुदृढ़ किया। बीजीय मसाला फसलों, सब्जियों व शुष्क क्षेत्र फलों के अनुसंधान की भी समीक्षा कर वैज्ञानिकों को प्रगति हेतु लक्ष्य निर्धारित कर पुनः सुदृढ़ किया।
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बीज उत्पादन बढकर साढे 8 हजार क्विंटल पहुंचा
किसानों को गुणवत्तापूर्ण एवं शुद्ध बीज उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से फसलों में बीज उत्पादन कार्य को बढ़ाते हुए पिछले एक वर्ष में ही विश्वविद्यालय द्वारा बीज उत्पादन 4.5 हजार क्विंटल से बढ़कर 6.5 हजार क्विंटल हो गया। विश्वविद्यालय ने इस वर्ष गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन 8.5 हजार किवंटल तक पहुंचाया है। अगले वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य 12 हजार किवंटल बीज उत्पादन की ओर कदम बढा दिए हैं।
यही नहीं नागर विमानन महानिदेशालय (डी.जी.सी.ए) भारत सरकार द्वारा स्वीकृत ड्रोन पायलट प्रशिक्षण पाठ्यक्रम स्थापित किया गया। इसी तरह राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा में फूड टैक्नोलॉजी लैब व फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना के लिए प्रयास प्रारंभ कर दिये हैं। विश्वविद्यालय के जोबनेर स्थित श्री कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय कैंपस में जैव प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना की जाएगी।
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