लकवाग्रस्त मरीजों को मिलेगी रोबोटिक न्यूरो फिजियोथेरेपी की विश्वस्तरीय सुविधाएं
जयपुर। राजस्थान के रुक्मणी बिरला हॉस्पिटल (Rukmani Birla Hospital ) में प्रदेश (Rajasthan) का पहला (Robotic Neuro Rehab Center) रोबोर्टिक न्यूरो रिहैब सेंटर की शुरुआत की गई है। इससे लकवाग्रस्त मरीजों को मिलेगी रोबोटिक न्यूरो फिजियोथेरेपी की विश्वस्तरीय सुविधाएं आसानी से मिल सकेंगी।
विश्वभर में लकवा,स्पाइनल कॉर्ड या ब्रेन इंजरी जैसे न्यूरो सम्बंधित विकार शारीरिक अक्षमता के सबसे बड़े कारणों में से एक है और इस तरह के मरीजों की रिकवरी में फिजियोथेरेपी की बहुत अहम भूमिका रहती है ज़्यादार मरीजों की घर पर ही फिजियोथेरेपी चलती रहती है जिससे रिकवरी बहुत ही धीरे होती है।
इस तरह के मरीजों को पहले रोबोटिक फिजियोथेरेपी के लिए कुछ चुनिंदा बड़े शहरो की तरफ रुख करना पड़ता था अब जयपुर में ही इस तरह की आधुनिक सुविधाएं रुक्मणी बिरला हॉस्पिटल के फिजियोथेरेपी विभाग में मिलेगी ।
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मरीजों को आसानी से कम समय में मिलेगी रिकवरी
फिजियोथेरेपी विभाग के डायरेक्टर एवं सीनियर फ़िज़ियोथेरेपिस्ट डॉ आशीष अग्रवाल ने बताया की जहां सामान्य फिजियोथेरेपी से स्ट्रोक या स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मरीजों को रिकवर होने में 4 से 6 महीनो का समय लग जाता है, वही रोबोटिक फिजियोथेरेपी से रिकवरी 1 से 2 महीनो में हो जाती है और मरीज पहले की तरह अपना काम कर पाता है।
बायोफीडबैक आधारित रोबोटिक मशीने
डॉ अग्रवाल ने बताया की यहाँ पर बायोफीडबैक आधारित रोबोटिक मशीने है जिनसे ई.एम.जी.द्वारा मांसपेशियों की जाँच कर ये पता लगाया जा सकता है की मरीज के ब्रेन से जो सिग्नल्स आ रहे है उन पर मांसपेशिया कितना काम कर रही है। उसी आधार पर रोबोट मरीज को मूवमेंट में सपोर्ट करता है। अगर मरीज हल्का सा भी मूवमेंट करता है तो रोबोट उसको समझ लेता है और बाकि का मूवमेंट पूरा करता है।
हमें दिन प्रतिदिन ये भी पता लगता रहता है मरीज खुद से कितनी कोशिश कर रहा है और रोबोट को कितना सपोर्ट देना पड़ रहा है। जैसे जैसे पेशेंट रिकवर करता जाता है वैसे वैसे रोबोट अपना सपोर्ट कम करता जाता है। और ये सब मरीज अपने सामने कम्प्यूटर पर देख सकता है। इससे मरीज खुद से और ज़्यादा एक्सरसाइज करने लगता है और न्यूरोप्लास्टिसिटी से ब्रेन के खोये हुए कार्य वापस सही होने लगते है।
इसी के साथ मरीज को खड़ा करने एवं चलाने के लिए एडवांस्ड लेग्स एवं वाकिंग रोबोट, मल मूत्र पर पुनः नियंत्रण स्थापित करने के लिए थ्री टेस्ला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कीगल स्टिमुलेशन ट्रीटमेंट, गटकने या निगलने से सम्बंधित समस्याओं के लिए ई एम जी बायोफीडबैक आधारित स्टिमुलेशन आदि उपलब्ध है। अब तक हुए अध्ध्यनों के अनुसार इस तरह की कॉम्प्रिहेंसिव रोबोटिक न्यूरो फिजियोथेरेपी से मरीजों को सामान्य फिजियोथेरेपी की तुलना में तीन से चार गुना जल्दी एवं सटीक परिणाम मिलते है।
रुक्मणी बिरला हॉस्पिटल के वाईस प्रेसिडेंट अनुभव सुखवानी ने बताया की हम स्वास्थ के क्षेत्र में नवीनता,विशिष्ट देखभाल एवं आधुनिक टेक्नोलॉजी लाते रहेंगे ताकि मरीजों को सकारात्मक परिणाम एवं बेहतर ईलाज मिल सकेंं।
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