सामुदायिक रेडियो स्टेशन जागरुकता कार्यशाला
जयपुर। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अतिरिक्त निदेशक जी.एस.केसरवानी ने कहा कि वर्तमान समय में देशभर में सामुदायिक रेडियो समुदाय की आवाज बन रहा है। स्थानीय कला,खेती,पारपरिक वाद्य यंत्र, महिलाओं व युवाओं के मुद्दों पर इस तरह के रेडियो की टीम समुदाय के बीच जाकर कार्यक्रमों को बनाकर सबके सामने पेश करती है जोकि सभी के लिए प्रेरणा बन रही है। केसरवानी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एवं सीकिंग मॉडर्न एप्लीकेशन फॉर रियल ट्रांसफॉर्मेशन स्मार्ट के द्वारा आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
उन्होने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पूरे देश में सामुदायिक रेडियो स्टेशन जागरुकता कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें मीडिया से वंचित जिलों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार हर जिले में कम से कम एक सी आर स्टेशन रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हाल में संशोधित नीति दिशा-निर्देशों ने एक संगठन द्वारा 6 स्टेशन स्थापित करने की अनुमति दी है, जबकि पहले एक संगठन में केवल एक स्टेशन होता था। राजस्थान सहित देशभर में 550 से अधिक सामुदायिक रेडियो स्टेशन है।
स्थानीय मुद्दों की आवाज बन रहा सामुदायिक रेडियो
सीकिंग मॉडर्न एप्लीकेशन फॉर रियल ट्रांसफॉर्मेशन (SMART) की संस्थापक अर्चना कपूर ने कहा कि सामुदायिक रेडियो आमजन की स्थानीय समस्याओं के साथ व्यक्तिगत व सामाजिक मुद्दों की आवाज बनता जा रहा है। जिससे समुदाय में जागरुकता आ रही है।
उन्होने हरियाणा के नूहं क्षेत्र पर बनी एक डाक्यूमेंटरी से बताया कि किस तरह सामुदायिक रेडियो आमजन की आवाज बन रह है।
कपूर ने कहा कि सामुदायिक रेडियो का माध्यम व्यक्तियों, समूहों और समुदायों को अपनी कहानियां सुनाने, अनुभव साझा करने और सामग्री निर्माता बनने में सक्षम बनाता है। विशेष रूप से उन मुद्दों को संबोधित करता है, जो स्थानीय लोगों के लिए लोकप्रिय और प्रासंगिक हैं, लेकिन मुख्य धारा के मीडिया में कोई स्थान नहीं पाते हैं। स्थानीय आवाजों को सशक्त बनाने में सामुदायिक रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया।
पत्र सूचना कार्यालय भारत सरकार की अपर महानिदेशक ऋतु शुक्ला ने कहा कि आज का दौर ग्लोबल से लोकल का दौर है, जिसके फलस्वरूप सामुदायिक रेडियो का महत्व बहुत बढ़ जाता है, क्योंकि वो हर व्यक्ति से अपने स्तर पर संपर्क स्थापित कर सकता है। ऐसे कई क्षेत्र हैं, जो मीडिया से अभी भी अछूते हैं और वहां सामुदायिक रेडियो स्टेशन द्वारा मुख्यधारा में जोड़े जा सकते हैं। सूचना के बढ़ते चैनलों के बावजूद इसकी प्रासंगिकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सामुदायिक रेडियो सूचना का एक विश्वसनीय स्रोत है, इसलिए जब वे कुछ कहते हैं तो समुदाय सुनता है।
प्रतिभागियों ने जानी सामुदायिक रेडियो के आवेदन की प्रक्रिया
सामुदायिक रेडियो स्टेशन जागरुकता कार्यशाला में मंत्रालय व स्मार्ट की और से विस्तार से आवेदन करने की प्रक्रिया को बताया गया। इसके लिए मंत्रालय की रजिस्ट्रेशन फीस, दस्तावेज इत्यादि जानकारियां भी दी गई।
इन सभी प्रतिभागियों ने अपने राज्यों में आदिवासी, सामाजिक और विकास के मुद्दों के साथ-साथ किसान विज्ञान केंद्रों पर काम करने वाले जमीनी स्तर के समुदाय-आधारित संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों का प्रतिनिधित्व किया। सामुदायिक रेडियो से जुड़े विभिन्न वर्गों के लोगों ने अपने अनुभव साझा किए।
उन्होंने बताया कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, महिला सशक्तीकरण और आपदा प्रबंधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह स्थानीय समुदायों को जागरूक करने और उन्हें सशक्त बनाने में मदद कर सकता है। सुदूर क्षेत्रों में सामुदायिक रेडियो की अपनी एक बड़ी भूमिका है।
कार्यशाला में सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित करने की प्रक्रिया, अंतिम मील कनेक्टिविटी बनाने की क्षमता और इसका व्यापक प्रसार पर विमर्श हो रहा है। स्मार्ट नई दिल्ली और स्थानीय भागीदार के रूप में रेडियो 7, राजस्थान के सहयोग से इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यशाला में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यशाला के द्वितीय सत्रह में प्रतिभागियों को रेडियो 7 के फील्ड विजिट के लिए ले जाया गया, जहां उन्हें स्टूडियो, लाइव प्रसारण और कंटेंट डेवलपमेंट की चुनौतियों से अवगत कराया गया। बेसिल द्वारा एक तकनीकी सत्र भी आयोजित किया गया।
कार्यशाला के समापन सत्र में सभी संभागियों से सामुदायिक रेडियो में आपकी क्या सहभागिता व क्या समस्या आ सकती है इस पर चर्चा की गई। जिसमें बताया गया कि राजस्थान में वर्तमान में करीब 24 सामुदायिक रेडियो चल रहे है। वहीं स्मार्ट की टीम की और से सामुदायिक रेडियो के लिए तकनीकी मदद का भी आयवास दिया गया।
इस कार्यशाला में स्मार्ट के एडमिन सत्य प्रकाश,अकाउंट के अश्विनी शर्मा, प्रोग्राम एसोसिएट हिमांशी पांडे, कम्यूनिकेशन एसोसिएट प्रियंका जोशी सहित राजस्थान, गुजरात और हरियाणा सहित अन्य राज्यों के 45 प्रतिभागियों ने भाग लिया।