President Draupadi Murmu Inaugurate Rashtriya Sanskriti Mahotsav 2023 in Bikaner : बीकानेर में राष्ट्रपति ने किया 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का आगाज
बीकानेर। राष्ट्रपति (President) द्रौपदी मुर्मु (Draupadi Murmu) ने कहा कि कला क्षेत्र के प्रतिभावान और महान विभूतियों को देखकर मन में नई ऊर्जा का संचार होता है। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव जैसे कार्यक्रम देश की कला और संस्कृति को तो बढ़ावा देते ही हैं, साथ ही साथ राष्ट्रीय एकता की भावना को भी और मजबूत बनाते हैं। इस तरह के सांस्कृतिक आयोजनों से हमारे देशवासियों को हमारी सम्पन्न तथा समृद्ध संस्कृति और विभिन्न क्षेत्रों की विशेषताओं को जानने और समझने का अवसर मिलता है।
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु बीकानेर के डा.करणीसिंह स्टेडियम में सोमवार को (Rashtriya Sanskriti Mahotsav 2023) 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने और राज्यपाल कलराज मिश्र ने नगाड़ा बजाकर महोत्सव का उद्घाटन किया और अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलन किया।
इतिहास में बीकानेर के महल और किले महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं -राष्ट्रपति
उन्होने कहा कि आज इस 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में आकर और कला तथा संस्कृति के इस राष्ट्रीय उत्सव का उद्घाटन करके, मुझे बहुत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। यह उत्सव देश के विभिन्न राज्यों में आयोजित किया जा चुका है और पहली बार इसका आयोजन राजस्थान में हो रहा है। हम में से बहुत से लोग बीकानेर को बीकानेरी खाद्य पदार्थों के कारण जानते होंगे लेकिन इतिहास में बीकानेर के महल और किले महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उसके अलावा बीकानेर उंट से जुड़े नृत्यों और त्योहारों के लिए भी जाना जाता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव देश के अलग-अलग राज्यों से आए कलाकारों को अपनी प्रतिभाएं सबके सामने प्रस्तुत करने का सुअवसर प्रदान कर रहा है। इसमें एक हज़ार से भी अधिक कलाकार और कारीगर इन नौ दिनों में अपनी अद्भुत कलाओं का प्रदर्शन करेंगे। अभी पिछले सप्ताह ही मुझे संगीत नाटक अकादमी अवार्ड्स में देश के वरिष्ठ कलाकारों और कलाविदों से मिलने का अवसर मिला।
उन्होने संस्कृति मंत्री, संस्कृति राज्य मंत्री और मंत्रालय की पूरी टीम को इस महोत्सव के आयोजन के लिए बधाई दी।
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प्राचीन काल से ही हमारी कला शैली उच्च स्तर की रही -राष्ट्रपति
उन्होने कहा कि प्राचीन काल से ही हमारी कला शैली उच्च स्तर की रही है। सिन्धु घाटी की सभ्यता के समय से ही नृत्य, संगीत, चित्रकारी, वास्तुकला जैसी अनेक कलाएँ भारत में विकसित थीं। भारतीय संस्कृति में अध्यात्म की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। सृष्टि की प्रत्येक रचना कला का अद्भुत उदाहरण है। नदी की लहर का मधुर संगीत हो या मयूर का मनमोहक नृत्य, कोयल का गीत हो, मां की लोरी या नन्हे से बच्चे की बाल-लीला हो, हमारे चारों ओर कला की सुगंध फैली हुई है।
प्रौद्योगिकी का परम्पराओं से और विज्ञान का कला से मेल होना जरूरी-राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी का परम्पराओं से और विज्ञान का कला से मेल होना जरूरी है। आज का युग प्रौद्योगिकी का युग है। हर क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सहायता से नए-नए प्रयोग किये जा रहे हैं। कला और संस्कृति के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी को अपनाया जा रहा है। इन्टरनेट के माध्यम से नए और युवा कलाकारों की प्रतिभा भी देश के कोने-कोने तक फैल रही है।
उन्होने कहा कि हम नयी टेक्नोलॉजी का उपयोग करके देश की कला, परम्पराओं और संस्कृति का प्रसार व्यापक रूप से कर सकते हैं। हम सब को भारत की संपन्न और समृद्ध संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। साथ ही, हमें अपनी परम्पराओं में, नए विचारों और नयी सोच को स्थान देना चाहिए, जिससे हम अपने युवाओं और आने वाली पीढ़ी को भी इन परम्पराओं से जोड़ सकते हैं। हमारे युवा और बच्चे देश की अनमोल विरासत के महत्व को समझें, यह बहुत आवश्यक है।
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सच्चे कलाकारों का जीवन तपस्या का उदाहरण होता है। किसी भी काम को गहरारई के साथ कैसे किया जाता है, यह सीख हम कलाकारों से ले सकते हैं। ख़ास तौर पर हमारी युवा पीढ़ी को हमारे कलाकारों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। मैं कहना चाहूंगी कि ऐसे अधिक से अधिक कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की जाएँ जिनके माध्यम से युवाओं और अनुभवी कलाकारों के बीच विचारों और प्रतिभाओं का आदान प्रदान हो सके।
उन्होने कहा कि आज के डिजिटल युग में हमें यह भी देखना होगा कि कैसे हम नयी पीढ़ी को निरंतर अभ्यास और मेहनत करने की प्रेरणा दे सकें। आज के लोगों का जीवन और समय बहुत तेज गति से भाग रहा है। इसलिए अपनी कला और संस्कृति की धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना आसान नहीं है। यहाँ उपस्थित महान विभूतियों, विद्वानों, कला प्रेमियों, कलाकारों को मैं यह काम सौंपना चाहती हूँ।
आप सब को मिलकर ऐसे उपाय और तकनीक निकालनी होगी जिससे आज के लोग, ख़ासकर युवा और बच्चे, अपने समय का सदुपयोग करें और कला-संस्कृति को समझने और सीखने के लिए प्रयास करें तथा निपुणता के लिए अभ्यास करते रहें। मुझे पूरा विश्वास है कि आप ज़रूर इस ओर ध्यान देंगे और राष्ट्र की सम्पन्नता और समृद्धि को और बढ़ाएंगे।
परिवर्तन जीवन का नियम-राष्ट्रपति
उन्होने कहा कि हम जानते हैं कि परिवर्तन जीवन का नियम है। कलाओं, परम्पराओं और संस्कृति में भी समय के साथ परिवर्तन आता ही है। कला शैली, रहन-सहन का ढंग, वेश-भूषा, खान-पान सब में समय के साथ बदलाव आना स्वाभाविक है लेकिन कुछ बुनियादी मूल्य और सिद्धांत पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलते रहने चाहिए, तभी भारतीयता को हम जीवित रख सकते हैं। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना, शांति और अहिंसा, प्रकृति से प्रेम, सब जीवों के लिए दया, दृढ़ संकल्प से आगे बढ़ना – ऐसे अनेक मूल्य हैं जो हम सब देशवासियों को एक सूत्र में बांधते हैं। आज भारत विश्व भर में अपनी नई पहचान बना चुका है जिसमें आधुनिक सोच को अपनाने के साथ-साथ परंपराओं और संस्कृति को सहेजने की क्षमता है।
महोत्सव एकता का प्रतीक: राज्यपाल
इस मौके पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि राजस्थान सात वार और नौ त्योहार वाला प्रदेश है। यहां महोत्सव में विभिन्न संस्कृतियों की एकता का प्रतीक है। राजस्थान की धरती के कण कण में लोक कलाओं, संस्कृति और परंपराओं का जो रूप देखने को मिलता है, वैसा कहीं नहीं मिलता।
राष्ट्रपति के आगमन से उत्साह और उमंग: मेघवाल
इससे पूर्व केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि इस महोत्सव में करीब एक हजार कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने होली के आगमन पर उत्साह और उमंग आने का उद्धरण देते हुए कहा कि राष्ट्रपति के ऐसे में महोत्सव का उद्घाटन करने आने से कलाकारों और राजस्थान की जनता में उत्साह और उमंग का संचार कर गया।
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इससे पूर्व नाल एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति का राज्यपाल कलराज मिश्र, केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल केंद्रीय कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ बी. डी. कल्ला, सहित अन्य अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।
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LIVE: President Droupadi Murmu addresses the 14th Rashtriya Sanskriti Mahotsav at Bikaner, Rajasthan https://t.co/83yzQwZPTX
— President of India (@rashtrapatibhvn) February 27, 2023
इस मौके पर मंच पर प्रदेश के कला, संस्कृति और शिक्षा मंत्री डॉ. बी डी कल्ला और बीकानेर की महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित मौजूद थीं।
छाया डेजर्ट सिंफनी का जादू
इस मौके पर पद्मश्री से सम्मानित कलाकार अनवर खान की सुपर हिट डेजर्ट सिंफनी का खूब जादू चला । इसमें ‘रंग रंगीलो रस भरयो म्हारो प्यारो राजस्थान, म्हारो प्यारो हिंदुस्तान’ की प्रस्तुति ने दर्शकों को झूमने को मजबूर कर दिया।
इस प्रस्तुति के बाद राष्ट्रपति ने अनवर खान ग्रुप में शामिल बच्चों के साथ फोटो खिंचवाया उनसे बात की और उन्हें दुलारा।
इसके अलावा कल्पेश दलाल और संजय शर्मा के निर्देशन में “सौरभ संस्कृति” की उम्दा पेशकश ने भी दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। इस प्रस्तुति में देश के विभिन्न लोकनृत्यों को एक सूत्र में पिरोकर पेश किया।
कला शैली, रहन-सहन का ढंग, वेश-भूषा, खान-पान सब में समय के साथ बदलाव आना स्वाभाविक है लेकिन कुछ बुनियादी मूल्य और सिद्धांत पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलते रहने चाहिए, तभी भारतीयता को हम जीवित रख सकते हैं। pic.twitter.com/Lnnsh4CHZY
— President of India (@rashtrapatibhvn) February 27, 2023
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