बीकानेर। बीकानेर जिले के कटवारी कारीगरों को जयपुर रग्स के जयपुर रग्स के “धागा” सांस्कृतिक महोत्सव से मान सम्मान मिला है। जयपुर रग्स द्वारा आयोजित चार दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव “धागा” में कटवारी कारीगरों के हुनर को प्रदर्शित किया जा रहा है। इन कारीगरो द्वारा यह कार्य 1978 से निंरतर किया जा रहा है।
नंद किशोर चौधरी द्वारा 1978 में स्थापित जयपुर रग्स इन कारीगरों के लिए काम कर रहा है।
धागा” सांस्कृतिक महोत्सव के संग्रहालय में मिल रही कटवारी कारीगरों की कहानियां
बीकानेर जिले के नोखा क्षेत्र के कक्कू गांव में हुए इस “धागा” सांस्कृतिक महोत्सव की शुरुआत एक आकर्षक जीवंत संग्रहालय के साथ हुई, जो मेहमानों को कटवारी के जीवन की एक झलक पेश करता है। इसमें 20 से अधिक कुशल कटवारी कारीगरों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। जिसमें प्रत्येक धागे के साथ जटिल कहानियाँ बुनीं, जो पीढ़ियों से चली आ रही समृद्ध विरासत का एक प्रमाण है।
मालवा के प्रसिद्ध कलाकार अरुण गोयल द्वारा भावपूर्ण संगीत प्रदर्शन और बीकानेर की सांस्कृतिक टेपेस्ट्री के सार को प्रतिबिंबित करने वाली धुनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया गया।
कार्यक्रम में एक विशेष योगदान के रूप में, जयपुर के पड़ोसी गांवों के चार बुनकरों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। जिन्होंने बिना रंगे धागों का उपयोग करके ‘मनचाहा’ कालीन बुनकर वास्तविक समय में अपनी रचनात्मकता और कौशल का प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम में बोलते हुए, जयपुर रग्स के अध्यक्ष एन के चौधरी ने उद्यम की सफलता में समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “कताई हमारे व्यवसाय का आधार है और धागों के बिना, हम विश्व स्तरीय कालीन नहीं बना सकते हैं। उनके अमूल्य कार्य को जारी रखने के लिए समुदाय में सम्मान की भावना को पोषित करना, प्रेरित करना और जागृत करना महत्वपूर्ण है।”
महिला सूत कातने वालों को सशक्त बनाने की जयपुर रग्स की प्रतिबद्धता को उजागर करते हुए, कंपनी समृद्ध स्थानीय ऊन संसाधनों का उपयोग करते हुए, बीकानेर क्षेत्र में 3000 से अधिक कारीगरों के साथ सहयोग करती है। उत्सव ने कटवारी समुदाय को संरक्षित करने और प्रेरित करने के लिए जयपुर रग्स के समर्पण को और अधिक रेखांकित किया, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ मिलकर एक मड हाउस संग्रहालय भी शामिल है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों में जयपुर रग्स के दूरदर्शी संस्थापक नंद किशोर चौधरी,डिज़ाइन निदेशक कविता चौधरी,जिला उद्योग केंद्र की महाप्रबंधक मंजू नैन गोदारा शामिल रही।
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