बीकानेर। सत्य, अंहिसा व सदाचार को जीवन में अपना कर श्रेष्ठता को प्राप्त कर सकते है। महात्मा गांधी भी यही कहते है। श्रेष्ठ विचारों पर चलना हमारी परंपरा है। अहिंसामय विचारों को अपनाकर हम देश व समाज को श्रेष्ठ बना सकते हैं। यह कहना था कला व संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला का। डॉ. बी.डी. कल्ला राजस्थान राज्य अभिलेखागार की ओर से आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उदघाटन करते हुए बोल रहे थे।
इस मौके पर उन्होने कहा कि गांधीजी के सिद्धान्तों पर चल कर हम लोकतंत्र पर बढते खतरे को रोक कर संविधान के मूल्यों की रक्षा कर सकते है। ’’गांधी एंड द क्वेस्ट फोर ए जस्ट एंड डेमोक्रेटिक सोसायटी’’ पर वेटनरी ऑडीटोरियम में प्रारम्भ हुए दो दिवसीय आयोजन के उद्धाटन सत्र में भारतीय राष्टीय कॉंग्रेस सोसायटी के सचिव आर. महालक्ष्मी ने कहा कि लोकतंत्र के मूल स्वरूप को बनाये रखने के लिये गांधी के आदर्श सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। नयी पीढ़ी गांधी के बताये नियमों का अनुसरण करे तो आने वाला कल बेहतरीन बन सकता है। इस मौके पर कला, साहित्य एवं संस्कृति विभाग की
प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने कहा की हम श्रेष्ठ ओर आदर्श समाज की स्थापना के लिये महात्मा गांधी के विचारों पर चले। सकारात्मक बदलाव के लिये जरूरी हैं कि हम गांधी जी के सिद्धान्तों को आत्मसात करें। इस मौके पर जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम ने गांधीजी के सिद्धान्त, सत्य, अंहिसा और सत्याग्रह को अपनाने की बात करते हुए गांधीजी के विचारों को प्रेरक और प्रासंगिक बताया।
उदघाटन सत्र के दौरान वेटरनरी विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विष्णु शर्मा ने कहा की गांधी जी अंहिसा और ग्राम स्वराजय को अपनाने का आहवान करते थे। इन सिद्धान्तों में जीवन का सार मौजूद है। इस दौरान जेएनयू के प्रो. राकेश बटाबियाल ने कहा कि युवा पीढी गांधीजी के सिद्धान्तों व आदर्शों की महता को जाने और समझे तथा अपनी बुनियादी सोच को श्रेष्ठ बनाये।
इस मौके पर राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक डॉ. महेन्द्र खड़गावत ने दो दिवसीय संगोष्ठी की महता बताते हुए स्वागत किया। डा. खड़गावत ने कहा कि महात्मा गांधी के विचार हर दौर में प्रासंगिक रहे है। उनके विचारों को अपनाकर हम आज और आने वाले कल को श्रेष्ठ स्वरूप दे सकते है। उदघाटन सत्र के दौरान उल्लेखनीय कार्य करने वाले अभिलेखागार कर्मियों का सम्मान किया गया वहीं अतिथियों का अभिन्नदन भी किया गया।
महात्मा गांधी की 150 वी जंयती पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों के साथ ही श्रीलंका व बांग्लादेश से भी गांधी जीवन दर्शन के विद्वान शामिल है। संगोष्ठी के दौरान विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया।
अन्तर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता नेताजी इंस्टीट़यूट ऑफ एशियन के प्रो. सरवनी गुप्तु ने की, जिसमें डॉ. रिचा मल्होत्रा, दिल्ली विश्वविद्यालय ने ’’गांधी इन द फ्रेम ऑफ लोकल मूवमेंट्स ड्यूरिंग द फ्रीडम स्ट्रगल’’ श्री प्रदीप गुप्तु, रेजीडेन्ट एडिटर बिजनेस स्डेण्डर्ड ने ’’गांधी एण्ड द बिजनेस कम्यूनिटी’’, डॉ. सेबेस्टियन जोसेफ, यू. सी. कॉलेज, आलुवा, केरला ने ’’रि-इमेजिनिंग गांधी’ज केरला एण्ड इमेजिनिंग केरला’ज गांधी’’ डॉ. अमृता मंडल, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ बंगाल ने ’’एंटी-लिक्वर एजिटेशन इन गांधीयन मूवमेंट’’ डॉ. विश्वधर देशमुख, नांदेड़ महाराष्ट्र ने ’’गांधी एण्ड आइडिया ऑफ इंडियननेस’’ पर अपने शोध-पत्रों का वाचन किया।
तृतीय सत्र की में डॉ. रश्मि भास्करन ह्यूमेनिटीज् कोच्चि, केरला ने ’’गांधी’ज आइडिया ऑफ बेसिक एजुकेशन थ्रू द लेंस ऑफ मार्केट इकोनॉमी’’ डॉ. निशा भारती टी आई एस एस मुम्बई ने ’’गांधी एण्ड इ वलर््ड ऑफ इनफॉर्मल लेबर इन इंडिया टुडे’’, राकेश कुमार सिंह, सेन्टर ऑफ मीडिया स्टडीज्, जे. एन. यू. नई दिल्ली ने ’’मनरेगा-लेबर विद डिग्नीटी’’ डॉ. आलोक वाजपेई लखीमपुर खीरी यू.पी. ने ’’सत्याग्रह-कंस्ट्रक्टिव वर्क, नॉन-वॉयलेंस एण्ड ट्रूथ: महात्मा गांधीज पैटर्न ऑफ हॉलिस्टिक पॉलीटिक्स’’ विषयों पर अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किये।
चतुर्थ सत्र में डॉ. सौरभ वाजपेयी, दिल्ली विश्वविद्यालय ने ’’गांधी एण्ड द कनटम्परेरी पॉलीटिक्स ऑफ एप्रोप्रिऐशन’’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किये।
संगोष्ठी का संचालन किशोर सिंह राजपुरोहित ने किया। इस मौके पर स्कूली बच्चों ने महात्मा गांधी के जीवन पर सचेतन झांकिया सजाई। डॉ. खड़गावत ने बताया कि संगोष्ठी के दूसरे दिन गुरूवार को सुबह 9ः30 बजे से वेटरनरी ऑडिटोरियम में विभिन्न सत्र होंगे।
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