अपनी प्रसन्नताओं को लेकर जीने वाला व्यक्ति असुर : त्रयम्बकेश्वर चैतन्य महाराज

Shrimad Bhagwat Katha in Bhadra

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Shrimad Bhagwat Katha -सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव का आगाज

भादरा। अखिल भारतवर्षीय धर्मसंघ व स्वामी करपात्री फांउडेशन के तत्वावधान में श्री प्रबल जी महाराज की कुटिया, भादरा, जिला-हनुमानगढ में भारतीय संस्कृति के संवर्धन व गौ सेवार्थ शनिवार से सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा महोत्सव का आगाज हो गया।

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महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज की अध्यक्षता में युवा तपस्वी संत परम पूज्य डॉ. गुण प्रकाश चैतन्य जी महाराज के कुशल निर्देशन में परम श्रद्धेय समर्थश्री त्रयम्बकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने हजारों श्रद्धालुओं को श्रीमद भागवत कथा का रसापान कराया।

समर्थश्री त्रयम्बकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने श्रीमद भागवत कथा की महत्ता बताते हुए कहा कि मुनि का अर्थ है सर्वभूत ह्रदय। चौरासी लाख यौनियों के बारे में बताते हुए पूज्य गुरु जी ने कहा कि इसे चार भागों में विभाजित किया गया है।

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शुकदेव का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जितना जीने की ललक एक प्राणी में होती है उतनी ही इच्छा एक चिंटी, मच्छर में भी होती है। मनुष्य जब संसार में आता है तब उसकी आंखें बंद होती है। जैसे भगवान सूर्य अंधकार को मिटा सकते हैं वैसे ही एक पूर्ण गुरु मनुष्य के अज्ञान रूपि अंधकार को मिटा सकता है। जो व्यक्ति केवल अपनी प्रसन्नताओं को लेकर के जीता है वो असुर है।

कथा वाचक परम श्रद्धेय समर्थश्री त्रयम्बकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने कहा कि करोड़ों जन्मों के पुण्य उदय होते है तब भागवत कथा मिलती है। वेदों में भगवान का मिलना दुर्लभ नहीं बताया बल्कि संतो का मिलना, भगवान की कथा, मानव तन मिलना दुर्लभ बताया है। कथावाचक ने भक्ति ज्ञान वैराग्य की कथा सुनाई तथा गोकर्ण उपाख्यान का श्रवण कराया।

महाराज श्री ने बताया कि भागवत ज्ञान, भक्ति वैराग्य देती है जिनमें सबसे कीमती चीज है भक्ति। महाराज श्री ने कहा कि स्त्री व पुरूष कभी समान नहीं हो सकते हैं, शास्त्रों के अनुसार स्त्री महान है क्योंकि मां पिता, गुरु व भगवान से बड़ी होती है। अंत में काशी की तर्ज पर दिव्य महाआरती के दर्शन हुए। श्रीमद भागवत कथा प्रतिदिन अपराह्न 2 बजे से साढे 6 बजे तक तथा महाआरती प्रतिदिन सांय साढे 6 बजे होगी।

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100 कुंडीय महायज्ञ से पूर्व हुआ प्रायश्चित विधान

इससे पहले भारतीय सनातन संस्कृति एवं राष्ट्र की समृद्धि के लिए 100 कुंडीय महायज्ञ के लिए महामंडलेश्वर पूज्य श्री प्रखर जी महाराज के सानिध्य में यजमान प्रायश्चित कराया गया। सुबह 111 यजमानों ने सपत्नीक पूजन किया।

मुख्य यजमान मांगीलाल महिपाल ने बताया कि युवा तपस्वी संत परम पूज्य डॉ. गुण प्रकाश चैतन्य जी महाराज के कुशल निर्देशन में यज्ञ से पूर्व आचार्यगणों के सानिध्य में यजमानों द्धारा प्रायश्चित अनुष्ठान एवं पंचांग पूजन किया गया। रविवार को अरणी मंथन व वैदिक मंत्रों द्धारा अग्नि का आह्वान होगा। हवन रोजाना सुबह साढे 8 बजे शुरू होगा।

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