चूरू के देवेंद्र झाझड़िया ने तीसरा ओलंपिक मेडल जीतकर रचा इतिहास

Devendra Jhajharia Won Gold Medal In Rio Paralympic

Devendra Jhajharia, ओलंपिक, javelin throw, gold medalist, gold medalist in india, rio paralympic, devendra Rio news, devendra jhajharia won gold, jhajhrio ki dhani, devendra churu, devendra world record, Churu News, Churu News in Hindi,

Devendra Jhajharia Won Gold Medal In Rio Paralympic

टोक्यो पैरालंपिक में देवेंद्र ने जीता सिल्वर मेडल, चूरू जिले में जश्न का माहौल

चूरू। पैरा खेलों (Rio Paralympic) के सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) कहे जाने वाले भारत के जेवलिन स्टार देवेंद्र झाझड़िया (Devendra Jhajharia) ने सोमवार सवेरे टोक्यो में सिल्वर मेडल जीतने के साथ ही देश के लिए तीन ओलंपिक मेडल जीतने का इतिहास रच दिया। इससे पूर्व झाझड़िया एथेंस 2004 व रियो 2016 के पैरा ओलंपिक खेलों में देश के लिए स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।

Devendra Jhajharia Won Gold Medal In Rio Paralympic

भारतीय समयानुसार सोमवार 7.30 बजे शुरू हुए मुकाबले में श्रीलंका के हेराथ मुदियां ने देवेंद्र झाझड़िया का वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Record) तोड़ते हुए 67.79 मीटर के साथ स्वर्ण पदक जीता, (Gold Medal) वहीं देवेंद्र ने 64.35 मीटर जेवलिन फेंककर रजत पदक अपने नाम किया। राजस्थान के ही सुंदर गुर्जर ने 64.01 मीटर थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता।

देवेंद्र के सिल्वर मेडल जीतने की खबर के साथ ही जिले के राजगढ़ तहसील में स्थित उनके गांव झाझड़ियों की ढाणी सहित पूरे जिले में हर्ष की लहर दौड़ गई। उनके चाहने वालों में जश्न का माहौल बन गया।

झाझड़ियों की ढाणी में यह खबर मिलते ही उनके चाचा, भाइयों एवं गांववालों ने पटाखे फोड़े तथा एक दूसरे को लड्डू खिलाकर खुशी का इजहार किया। महिलाओं ने मंगलगीत गाए और लोगों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर बधाई दी। सोमवार को अपने प्रदर्शन के साथ ही देवेंद्र भारत के लिए किसी भी पैरालिंपिक एकल स्पर्धा में तीन बार पदक जीतने वाले पहले खिलाड़ी भी बन गए हैं।

चूरू जिले की राजगढ तहसील के गांव झाझड़ियों की ढाणी में जन्मे देवेंद्र (Devendra Jhajharia) की इस सफलता पर प्रधानमंत्राी (PM) नरेंद्र मोदी, (Narendra Modi) मुख्यमंत्राी (CM) अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सहित विभिन्न हस्तियों ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी है।

भारतीय समयानुसार सोमवार सवेरे 7.30 बजे शुरू हुए इस मुकाबले का बड़ी बेसब्री से इंतजार था क्योंकि फॉर्म में चल रहे देवेंद्र से लोगों को पूरी तरह पदक की उम्मीदें थीं। ज्योंहि परिणाम घोषित हुए, देवेंद्र को बधाइयों और शुभकामनाओं का तांता लग गया।

पैरास्पोर्ट्स के सचिन कहे जाते हैं देवेंद्र

उल्लेखनीय है कि एथेंस पैरा ओलंपिक 2004 में स्वर्ण पदक जीतकर किसी भी एकल स्पर्धा में भारत के लिए पहला पैरा ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले चूरू के जेवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझड़िया पिछले काफी समय से टोक्यो ओलंपिक की तैयारी में एकदम समर्पित ढंग से लगे हुए थे।

यहां तक कि अपने पिता रामसिंह झाझड़िया की मृत्यु के समय भी वे केवल 12 दिन ही घर में रुके और तत्काल ट्रेनिंग के लिए गांधीनगर रवाना हो गए।

भारत में पैरा स्पोर्ट्स के सचिन तेंदुलकर माने जाने वाले देवेंद्र और उनके प्रशंसकों को पूरा विश्वास था कि देवेंद्र मेडल जीतेंगे, इसलिए जैसे ही देवेंद्र ने परिणाम दिया, सोशल मीडिया भी पर भी वे खूब छाए। फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्सएप्प समेत सभी माध्यमों पर देवेंद्र की चर्चा रही।

Devendra Jhajharia Won Gold Medal In Rio Paralympic

मिल चुका है सर्वोच्च खेल रत्न पुरस्कार

वर्ष 2004 व वर्ष 2016 में पैरा ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद देवेंद्र को विभिन्न अवार्ड व पुरस्कार मिल चुके हैं। भारत सरकार द्वारा खेल उपलब्धियों के लिए देवेंद्र को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिया गया है।

इससे पूर्व उन्हें पद्मश्री पुरस्कार, स्पेशल स्पोर्ट्स अवार्ड 2004, अर्जुन अवार्ड 2005, राजस्थान खेल रत्न, महाराणा प्रताप पुरस्कार 2005, मेवाड़ फाउंडेशन के प्रतिष्ठित अरावली सम्मान 2009 सहित अनेक इनाम-इकराम मिल चुके हैं तथा वे खेलों से जुड़ी विभिन्न समितियों के सदस्य रह चुके हैं।

साधारण किसान दंपत्ति की संतान हैं देवेंद्र

एक साधारण किसान दंपती रामसिंह और जीवणी देवी के आंगन में 10 जून 1981 को जन्मे देवेंद्र की जिंदगी में एकबारगी अंधेरा-सा छा गया, जब एक विद्युत हादसे ने उनका हाथ छीन लिया। खुशहाल जिंदगी के सुनहरे स्वप्न देखने की उम्र में बालक देवेंद्र के लिए यह हादसा कोई कम नहीं था।

दूसरा कोई होता तो इस दुनिया की दया, सहानुभूति तथा किसी सहायता के इंतजार और उपेक्षाओं के बीच अपनी जिंदगी के दिन काटता लेकिन हादसे के बाद एक लंबा वक्त बिस्तर पर गुजारने के बाद जब देवेंद्र उठा तो उसके मन में एक और ही संकल्प था और उसके बचे हुए दूसरे हाथ में उस संकल्प की शक्ति देखने लायक थी।

देवेंद्र (Devendra Jhajharia)  ने अपनी लाचारी और मजबूरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया, उल्टा कुदरत के इस अन्याय को ही अपना संबल मानकर हाथ में भाला थाम लिया और वर्ष 2004 में एथेेंस पैराओलंपिक मेंभालाफेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत कर करिश्मा कर दिखाया।

Devendra Jhajharia Won Gold Medal In Rio Paralympic

लकड़ी के भाले से हुई शुरुआत

सुविधाहीन परिवेश और विपरीत परिस्थितियों को देवेेंद्र ने कभी अपने मार्ग की बाधा स्वीकार नहीं किया। गांव के जोहड में एकलव्य की तरह लक्ष्य को समर्पित देवेंद्र ने लकड़ी का भाला बनाकर खुद ही अभ्यास शुरू कर दिया।

विधिवत शुरुआत हुई 1995 में स्कूली प्रतियोगिता से। कॉलेज में पढ़ते वक्त बंगलौर में राष्ट्रीय खेलों में जैवलिन थ्रो और शॉट पुट में पदक जीतने के बाद तो देवेंद्र ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1999 में राष्ट्रीय स्तर पर जैवलिन थ्रो में सामान्य वर्ग के साथ कड़े मुकाबले के बावजूद स्वर्ण पदक जीतना देवेंद्र के लिए बड़ी उपलब्धि थी।

बुसान से हुई थी ओलंपिक स्वप्न की शुरुआत

इस तरह उपलब्धियों का सिलसिला चल पड़ा पर वास्तव में देवेेंद्र के ओलंपिक स्वप्न की शुरुआत हुई 2002 के बुसान एशियाड में स्वर्ण पदक जीतने के साथ। वर्ष 2003 के ब्रिटिश ओपन खेलों में देवेंद्र ने जैवलिन थ्रो, शॉट पुट और ट्रिपल जंप तीनों स्पर्धाओं में सोने के पदक अपनी झोली में डाले।

देश के खेल इतिहास में देवेंद्र (Devendra Jhajharia)  का नाम उस दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा गया, जब उन्होंने 2004 के एथेेंस पैरा ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। इन खेलों में देवेंद्र द्वारा 62.15 मीटर दूर तक भाला फेंक कर बनाया गया विश्व रिकॉर्ड स्वयं देवेंद्र ने ही रियो में 63.97 मीटर भाला फेंककर तोड़ा।

बाद में देवेंद्र ने वर्ष 2006 में मलेशिया पैरा एशियन गेम में स्वर्ण पदक जीता, वर्ष 2007 में ताईवान में अयोजित पैरा वर्ल्ड गेम में स्वर्ण पदक जीता और वर्ष 2013 में लियोन (फ्रांस) में हुई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक देश की झोली में डाला।

अनुशासन व समर्पण से मिली सफलता

अपनी मां जीवणी देवी और डॉ एपीजे कलाम को अपना आदर्श मानने वाले देवेंद्र (Devendra Jhajharia)  कहते हैं कि मैंने अपने आपको सदैव एक अनुशासन में रखा है। जल्दी सोना और जल्दी उठना मेरी दिनचर्या का हिस्सा है। हमेशा सकारात्मक रहने की कोशिश करता हूं। इससे मेरा एनर्जी लेवल हमेशा बना रहता है। पॉजिटिविटी आपके दिमाग को और शरीर को स्वस्थ बनाए रखती है और बहुत ताकत देती है।

उम्र कितनी भी हो, कितने भी मेडल हों, कितने भी रिकॉर्ड तोड़े हों, जब भी एक मेडल लेकर आता हूं तो आकर सोचता हूं कि वह कौनसा बिंदू है, जहां और काम करने की जरूरत है।

नई चीजों, तकनीक को समझने का प्रयास करता हूं। और कभी खुद को महसूस नहीं होने देता कि चालीस का हो गया हूं। उम्र बस एक आंकड़ा है। फिर एक्सपीरिएंस भी काम करता है। एनर्जी उन शुभचिंतकों से भी मिलती है जो मेरे हर मेडल पर वाहवाही करते हैं, मेरा हौसला बढाते हैं।

 

मैं ही नहीं, पूरी इंडिया टीम अब तक का बेहतरीन करेगी : देवेंद्र झाझड़िया

More News : Devendra Jhajharia, ओलंपिक, javelin throw, gold medalist, gold medalist in india, rio paralympic, devendra Rio news, devendra jhajharia won gold, jhajhrio ki dhani, devendra churu, devendra world record, Churu News, Churu News in Hindi,

 

Read Hindi News, Like Facebook Page : Follow On Twitter:

Exit mobile version