सूर्यग्रह का राशि परिवर्तन
★ सूर्यग्रह सिंह से कन्या राशि में 16 सितम्बर से 17 अक्टूबर तक
★ शुक्र-केतु एवं शनि में बना षडाष्टक योग
★ मेष, कर्क, वृश्चिक एवं धनु राशि वालों की खुलेगी किस्मत
ज्योतिषविद् विमल जैन
ज्योतिष शास्त्र के अन्तर्गत सूर्यग्रह का नवग्रहों में प्रमुख स्थान माना गया है। ज्योतिष की गणना के अनुसार मेष राशि से मीन राशि तक सूर्यग्रह प्रत्येक मास एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं। इस बार सूर्यग्रह सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। जिसका व्यापक प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ेगा।
प्रख्यात ज्योतिर्विद् विमल जैन ने बताया कि सूर्यग्रह कन्या राशि में 16 सितम्बर, सोमवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 1 बजकर 48 मिनट से 17 अक्टूबर, गुरुवार को दिन में 1 बजकर 46 मिनट तक इसी राशि में रहेंगे। यह अवधि कन्या संक्रान्ति के नाम से जानी जाएगी। संक्रान्ति का सामान्य पुण्यकाल अगले दिन संक्रान्ति काल (सूर्यास्त) तक रहेगा। संक्रान्तिकाल में स्नान-दान की विशेष महिमा बताई गई है। विशेष तौर पर सूर्यग्रह की अर्चना का विधान है।
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि सूर्य-कन्या राशि में, चन्द्रमा कर्क राशि में, मंगल-तुला राशि में, बुध-कन्या राशि में, गुरु-मिथुन राशि में, शुक्र एवं केतु-सिंह राशि में शनि-मीन राशि में तथा राहु-कुम्भ राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्य-शनि का समसप्तक योग बन रहा है।
जबकि शुक्र-केतु के सिंह राशि में तथा शनि के मीन राशि में होने से षडाष्टक योग बन रहा है। ग्रहों के यह दोनों योग विषम फलदायी होते हैं। जिसके फलस्वरूप सम्पूर्ण विश्व के राजनैतिक परिदृश्य में विशेष हलचल के साथ ही विदेश नीति भी प्रभावी होगी। शेयर, वायदा, सोना-चाँदी, तांबा एवं अन्य धातु तथा खाद्य एवं मुद्रा बाजार में विशेष घटा-बढ़ी के साथ बाजार में उतार-चढ़ाव से अस्थिरता रहेगी, जिससे कारोबारी हत्प्रभ रहेंगे।
प्राकृतिक रूप से मौसम में विशेष परिवर्तन देखने को मिलेगा, जैसे- दैविक आपदाएँ, जल-थल वायु दुर्घटनाओं का प्रकोप तथा आगजनी की भी आशंका रहेगी। कहीं-कहीं पर वर्षा से भू-स्खलन की स्थिति बनी रहेगी। देश-विदेश में सत्ता पक्ष व विपक्ष में किसी मुद्दे को लेकर आपसी खींचतान बनी रहेगी। अनर्गल आरोप-प्रत्यारोप एक-दूसरे के लिए सिरदर्द बनेंगे। जनमानस में धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। आर्थिक व राजनैतिक नवीन घोटाले भी शासक प्रशासक को परेशान करेंगे।
ज्योतिर्विद् विमल जैन ने बताया कि ग्रहों के योग के फलस्वरूप मेष, कर्क, वृश्चिक एवं धनु राशि वालों को लाभ के साथ ही अन्य राशियों पर सामान्य प्रभाव पड़ेगा।
मेष– आरोग्य सुख। परिस्थितियों में सुधार। आकस्मिक लाभ। नौकरी में पदोन्नति। कर्ज की निवृत्ति। यात्रा सार्थक।
वृषभ – कार्यों में निराशा। व्यक्तिगत समस्याओं से परेशानी। परिवार में अशान्ति का वातावरण। आरोग्य सुख में बाधा।
मिथुन – कार्ययोजना में असन्तोष। व्यावसायिक पक्ष से चिन्ता। पारिवारिक मतभेद। जोखिम से नुकसान। विरोधी प्रभावी।
कर्क- नवयोजना का श्रीगणेश। ग्रहस्थिति पक्ष में। उपहार या सम्मान का लाभ। राजकीय पक्ष से लाभान्वित। नवसमाचार से खुशी।
सिंह- विचारित कार्यों में बाधा। आलस्य की अधिकता। व्यय की अधिकता। स्वास्थ्य प्रभावी। नेत्र विकार की स्थिति।
कन्या – स्वास्थ्य शिथिलता। क्रोध की अधिकता। धनागम में बाधा। विश्वासघात की आशंका। वाहन से कष्ट। आर्थिक हानि।
तुला – ग्रहयोग आशा के विपरीत। उलझनें प्रभावी। कर्ज की चिन्ता। चोट-चपेट की संभावना। व्यय की अधिकता।
वृश्चिक – परिस्थितियाँ भाग्य के पक्ष में। आकस्मिक लाभ। स्वास्थ्य में सुधार। कर्ज की निवृत्ति। यात्रा से लाभ।
धनु-कार्य योजना में प्रगति। प्रेम सम्बन्धों में प्रगाढ़ता। यात्रा सार्थक। कर्ज अदायगी का प्रयास। मनोरंजन में रुचि।
मकर-समस्याओं से मन अशांत। आपसी सम्बन्धों में कटुता। आलस्य की अधिकता। विचारों में उग्रता। प्रतिष्ठा पर आघात।
कुम्भ- कार्यों में निराशा। व्यय की अधिकता। व्यर्थ भ्रमण। वाहन से चोट-चपेट दुर्घटना की आशंका।
मीन-कार्य व्यवसाय में परेशानी। मित्रों-परिजनों से मतभेद। विश्वासघात की आशंका। सुख-साधन में कमी। विचारों में उग्रता।
जिनकी व्यक्तियों की जन्मकुण्डली में सूर्यग्रह शुभ फलकारी न हो, या शनिग्रह की अढैया अथवा साढ़ेसाती चल रही हो, उन्हें अपने दैनिक जीवन में समस्त कार्य सूझ-बूझ व सावधानी के साथ करनी चाहिए। वर्तमान समय में सिंह व धनु राशि में शनिग्रह की अढैया तथा कुम्भ-मीन व मेष राशि वालों को शनिग्रह की साढ़ेसाती का प्रभाव है। उन्हें सूर्यग्रह के साथ ही शनिग्रह की भी आराधना करनी चाहिए।
विशेष– सूर्यग्रह की अनुकूलता के लिए अपने आराध्य देवी-देवता की अर्चना के साथ सूर्यग्रह की भी नियमित रूप से विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए। प्रातःकाल स्नान के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करके सूर्य भगवान की पूजा के पश्चात् सूर्यग्रह के मन्त्र का जप, श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्रनाम आदि का पाठ भी करना चाहिए।
सूर्यग्रह को ताम्रपात्र में रोली, अक्षत, लाल फूल डालकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। रविवार के दिन पूर्ण शुचिता के साथ व्रत या उपवास रखकर दिन में 12 बजे से 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार करना चाहिए तथा मध्याह्न के समय ब्राह्मण को सूर्यग्रह से सम्बन्धित लाल रंग की वस्तुएँ जैसे-लाल वस्त्र, गेहूँ, गुड़, ताँबा, लाल फूल, चन्दन आदि विविध वस्तुएँ नगद दक्षिणा सहित संकल्प के साथ दान करना चाहिए। बताते चलें कि व्रत के दिन परअन्न ग्रहण न करें।
ज्योतिर्विद् विमल जैन
(विमल जैन हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न-परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिषी एवं वास्तुविद् बस. 2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टैगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी-221002)