Sawan : सावन माह में भगवान शिव की आराधना उत्तम मानी गई है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह श्रेष्ठ माह माना जाता है। पूरे माह भक्त पूरी श्रद्धा से भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा की जाती है।
सावन Saavn के सभी सोमवार का अपना महत्व होता है। इस साल सावन 25 जुलाई से शुरू होकर 22 अगस्त तक रहेगा। इस दौरान कुल 4 सोमवार पड़ेंगे। मान्यता है कि सावन मास में भोलेनाथ की अराधना करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि शिव पुराण के अनुसार भस्म सभी प्रकार के मंगलों को देने वाला है। यह दो प्रकार का होता है। पहला-महाभस्म और दूसरा- स्वल्पभस्म। महाभस्म के तीन प्रकार श्रौत, स्मार्त और लौकिक हैं। श्रौत और स्मार्त द्विजों के लिए और लौकिक भस्म सभी लोगों के उपयोग के लिए होता है।
द्विजों को वैदिक मंत्र के उच्चारण से भस्म धारण करना चाहिए। दूसरे लोग बिना मंत्र के ही इसे धारण कर सकते हैं। शिव पुराण में बताया गया है कि जले हुए गोबर से बनने वाला भस्म आग्नेय कहलाता है। वह भी त्रिपुंड का द्रव्य है। शरीर के सभी अंगों में जल के साथ भस्म को मलना या तिरछा त्रिपुंड लगाना आवश्यक बताया गया है। भगवान शिव और विष्णु ने भी तीर्यक त्रिपुंड धारण करते हैं।
त्रिपुंड क्या है What is Tripund
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार ललाट आदि सभी स्थानों में जो भस्म से तीन तिरछी रेखाएं बनायी जाती हैं, उनको त्रिपुंड कहा जाता है। भौहों के मध्य भाग से लेकर जहां तक भौहों का अंत है, उतना बड़ा त्रिपुंड ललाट पर धारण करना चाहिए।
मध्यमा और अनामिका अंगुली से दो रेखाएं करके बीच में अंगुठे से की गई रेखा त्रिपुंड कहलाती है। या बीच की तीन अंगुलियों से भस्म लेकर भक्ति भाव से ललाट में त्रिपुंड धारण करें।
त्रिपुंड की हर रेखा में 9 देवता
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास के अनुसार शिव पुराण में बताया गया है कि त्रिपुंड की तीनों रेखाओं में से प्रत्येक के नौ नौ देवता हैं, जो सभी अंगों में स्थित हैं। त्रिपुंड की पहली रेखा में प्रथम अक्षर अकार, गार्हपत्य अग्नि, पृथ्वी, धर्म, रजोगुण, ऋृग्वेद, क्रियाशक्ति, प्रात:सवन तथा महादेव 9 देवता होते हैं।
दूसरी रेखा में प्रणव का दूसरा अक्षर उकार, दक्षिणाग्नि, आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद, मध्यंदिनसवन, इच्छाशक्ति, अंतरात्मा तथा महेश्वर ये 9 देवता हैं। तीसरी रेखा के 9 देवता प्रणव का तीसरा अक्षर मकार, आहवनीय अग्नि, परमात्मा, तमोगुण, द्युलोक, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तृतीय सवन तथा शिव हैं।
कहां धारण करें त्रिपुंड
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि शरीर के 32, 16, 8 या 5 स्थानों पर त्रिपुंड लगाना चाहिए। मस्तक, ललाट, दोनों कान, दोनों नेत्र, दोनों नासिका, मुख, कंठ, दोनों हाथ, दोनों कोहनी, दोनों कलाई, हृदय, दोनों पाश्र्वभाग, नाभि, दोनों अंडकोष, दोनों उरु, दोनों गुल्फ, दोनों घुटने, दोनों पिंडली और दोनों पैर ये 32 उत्तम स्थान हैं। समयाभाव के कारण इतने स्थानों पर त्रिपुंड नहीं लगा सकते हैं तो पांच स्थानों मस्तक, दोनों भुजाओं, हृदय और नाभि पर इसे धारण कर सकते हैं।
अगस्त में तीन बड़े ग्रहों का होगा राशि परिवर्तन अगस्त में सिंह राशि में बनेगा बुधादित्य योग अगस्त माह में बदलेगी तीन ग्रहों की चाल
अब आने वाला अगस्त का महीना
ज्योतिष और ग्रहों की दृष्टि से बहुत ही खास रहने वाला है अगस्त माह 2021 में तीन ग्रह अपनी राशि बदलेंगे। इस महीने में बुध, सूर्य और शुक्र ग्रह अपनी राशि परिवर्तन करेंगे। इसके साथ ही शनि अपनी मकर राशि में, राहु वृषभ राशि में और केतु वृश्चिक राशि में गोचर करते हुए सभी राशियों को प्रभावित करेंगे। चंद्रमा हर सवा 2 दिन के बाद अपनी चाल बदलते रहते हैं।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इनमें बुध ग्रह अगस्त माह में दो बार अपनी राशि बदलेंगे। माह की शुरूआत में पहले तो बुध सूर्य ग्रह की राशि सिंह में प्रवेश करेंगे फिर इसी माह बुध देव अपनी उच्च राशि कन्या में प्रवेश कर जाएंगे।
इन तीनों ग्रहों का राशि परिवर्तन सभी राशियों पर शुभ-अशुभ प्रभावकारी रह सकता है। सूर्य देव इस महीने अपनी उच्च राशि सिंह में जाएंगे, तो वहीं शुक्र ग्रह कन्या राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के राशि परिवर्तन को संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की चाल का असर व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष के नजरिए से भी ये माह बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस माह में 3 ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। वैदिक ज्योतिष के सिद्धांत के अनुसार मनुष्य के जीवन में जो भी घटनाएं घटित होती हैं। उ
नका कारण ग्रहीय दशा, गोचर, उनकी चाल है। सौरमंडल में बैठे ग्रह ही यह निर्धारित करते हैं कि आने वाला समय कैसा होगा और मनुष्य जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
Horoscope in Saavn : 3 ग्रह बदलेंगे राशि
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि आषाढ़ महीने के दौरान सूर्य, बुध और शुक्र ग्रह राशि बदलेंगे। इन 3 ग्रहों की चाल में बदलाव का असर देश-दुनिया सहित 12 राशियों पर भी होगा। इन ग्रहों के अलावा बृहस्पति, मंगल, शनि और राहु-केतु की चाल में बदलाव नहीं होगा।
गुरु कुंभ राशि में वक्री ही रहेंगे। शनि अपनी ही राशि यानी मकर में वक्री रहेंगे। इन दो ग्रहों की टेढ़ी चाल की वजह से कुछ लोगों को अनचाहे बदलाव का सामना करना पड़ेगा।
बुध का सिंह राशि में गोचर
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि अगस्त माह में पहला गोचर बुध ग्रह का होने जा रहा है। बुध देव इस महीने की 09 तारीख को देर रात 01:23 मिनट पर कर्क से सिंह राशि में गोचर करेंगे।
इस राशि में बुध 26 अगस्त 2021 सुबह 11:08 मिनट तक रहेंगे। बुध के सिंह राशि में गोचर से सभी राशियों पर शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र में बुध देव मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं। बुध ग्रह कन्या राशि में उच्च के तो वहीं मीन राशि में नीच के माने जाते हैं।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर
विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि अगस्त माह में दूसरा ग्रह परिवर्तन शुक्र का है। शुक्र देव 11 अगस्त सुबह 11:20 मिनट सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। शुक्र इस राशि में 06 सितंबर 2021 को देर रात 12:39 मिनट तक रहेंगे।
इसके बाद ये तुला राशि में चले जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र देव को इस संसार के समस्त भौतिक सुखों का कारक माना जाता है। ये वृष और तुला राशि का स्वामी हैं। शुक्र देव कन्या राशि में नीच के तो मीन राशि राशि में उच्च के माने जाते हैं।
सूर्य का सिंह राशि में गोचर
विख्यात कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य देव हर महीने अपनी राशि बदलते हैं। अगस्त माह में सूर्य देव 17 तारीख को देर रात 01:05 मिनट पर कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करेंगे।
सूर्य इस राशि में 17 सितंबर 2021 शुक्रवार देर रात 01:02 मिनट तक रहेंगे और फिर कन्या राशि में चले जाएंगे। सूर्य ग्रह को सिंह राशि का स्वामी माना जाता है। मेष राशि में ये उच्च भाव में होते हैं, तो वहीं तुला राशि में ये नीच के माने जाते हैं। उच्च भाव में ग्रह अधिक मजबूत और बलशाली होते हैं। जबकि नीच राशि में ये कमजोर हो जाते हैं।
बुध का कन्या राशि में गोचर
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि इस माह बुध ग्रह दो बार अपनी राशि बदलेंगे। सिंह राशि के बाद अब बुध ग्रह कन्या राशि में जाएंगे। बुध ग्रह 26 अगस्त 2021 की सुबह 11:08 मिनट पर कन्या राशि में गोचर करेंगे।
इस राशि में ये 22 सितंबर 2021 बुधवार शाम 07:52 मिनट तक रहेंगे। इसके बाद तुला राशि में प्रवेश कर जाएंगे जाएंगे। बुध ग्रह के राशि परिवर्तन से कन्या राशि के जातकों को शानदार परिणाम मिलेंगे।
सिंह राशि में बनेगा बुधादित्य योग सिंह राशि में सूर्य और बुध के मिलने से बुधादित्य योग बनेगा। 09 अगस्त को बुध का और 17 अगस्त को सूर्य का सिंह राशि में गोचर होगा। जिससे 17 से 26 अगस्त तक सिंह राशि में बुधादित्य योग बनेगा।
शनिदेव मकर राशि में ही रहेंगे विराजमान
विख्यात कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि कि न्याय देवता कहे जाने वाले शनि इस साल 2021 में कोई राशि परिवर्तन नहीं करेंगे। इस वर्ष मकर राशि में ही विराजमान रहेंगे। शनिदेव को कर्म का देवता माना जाता है। शनि जातक के कर्म के हिसाब से फल देते हैं।
ग्रहों के गोचर का प्रभाव
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि जुलाई में ग्रहों की जो स्थिति बनने जा रही है वह बड़े परिवर्तनों की ओर इशारा कर रही है। शुक्र बुध और सूर्य के राशि परिवर्तन से व्यापार में तेजी आएगी। देश में कई जगह ज्यादा बारिश होगी। प्राकृतिक घटनाएं होगी। भूकंप आने की संभावना है। तूफान, बाढ़, भूस्खलन, पहाड़ टूटने, सड़के और पुल भी टूटने की घटनाएं हो सकती हैं। यातायात से जुड़ी बड़ी दुर्घटना होने की भी आशंका है।
बीमारियों का संक्रमण बढ़ सकता है। शासन-प्रशासन और राजनैतिक दलों में तेज संघर्ष होंगे। सामुद्रिक तूफान और जहाज-यान दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं। खदानों में दुर्घटना और भूकंपन से जन-धन हानि होने की आशंका बन रही है। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आय में इजाफा होगा। राजनीति में बड़े स्तर पर परिवर्तन देखने को मिलेगा।
राजस्थान पर असर
विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि 4 बड़े ग्रहों के परिवर्तन से राजस्थान की राजनीति में हलचल दिखाई देगी। साथ ही फेरबदल की संभावना बनेगी। जन आंदोलन या जनाक्रोश होगा। प्राकृतिक घटनाएं होगी। कोरोना महामारी के संक्रमण में कमी आयेगी।
व्यापारिक गतिविधियां बढ़ेगी। बड़ी दुर्घटना होने की भी आशंका है। जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य होगा। सोने चांदी के भाव में तेजी रहेगी। कोई अप्रिय घटना होने की संभावना बन रही है।
क्या करें उपाय
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि हं हनुमते नमः, ऊॅ नमः शिवाय, हं पवननंदनाय स्वाहा का जाप करें। प्रतिदिन सुबह और शाम हनुमान जी के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
लाल मसूर की दाल शाम 7:00 बजे के बाद हनुमान मंदिर में चढ़ाएं। हनुमान जी को पान का भोग और दो बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। ईश्वर की आराधना संपूर्ण दोषों को नष्ट एवं दूर करती है। महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए। माता दुर्गा, भगवान शिव और हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए।
सावन में करें भगवान शिव का रुद्राभिषेक और पाएं ग्रह बाधाओं से मुक्ति
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