मकर राशि का सूर्य कैसा रहेगा आपके लिए
– सूर्य धनु से मकर राशि में (15 जनवरी से 13 फरवरी)
– मकर राशि में बनेगा सूर्य
-मंगल-बुध एवं शुक्र से चतुग्र्ही योग
– विश्वपटल पर दिखेंगी अनेकानेक अप्रत्याशित घटनाएँ
– मेष, सिंह, वृश्चिक एवं मीन राशि वालों को होगा विशेष लाभ
-ज्योतिषविद् विमल जैन
नवग्रहों में सूर्यग्रह की मान्यता सर्वोपरि है। सूर्यग्रह के राशि परिवर्तन का प्रभाव व्यापक रूप से देखने को मिलता है। ज्योतिष की गणना के अनुसार मेष राशि से मीन राशि तक सूर्यग्रह प्रत्येक मास अपनी राशि बदलते हैं। जिसका असर पूरे विश्वपटल पर पड़ता है।
प्रख्यात ज्योर्तिवद् विमल जैन ने बताया कि सूर्यग्रह धनु से मकर राशि में 14 जनवरी, रविवार को अद्र्धरात्रि के पश्चात् 2 बजकर 43 मिनट से 13 फरवरी, मंगलवार को दिन में 3 बजकर 44 मिनट तक रहेंगे। इस बार शुभयोग का अनुपम संयोग बन रहा है। रेवती नक्षत्र 14 जनवरी, रविवार को दिन में 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। तत्पश्चात अश्विन नक्षत्र प्रारम्भ हो जाएगा। एक माह की अवधि मकर संक्रान्ति के नाम से जानी जाएगी।
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ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि संक्रान्ति के दिन सूर्य, मंगल, बुध-धनु राशि में, चन्द्रमा, शनि-कुम्भ राशि में, गुरु-मेष राशि में, शुक्र-वृश्चिक राशि में, राहु-मीन राशि में, केतु-कन्या राशि में विराजमान रहेंगे। मकर राशि में सूर्य-मंगल-बुध एवं शुक्र ग्रह से चतुग्र्ही योग बनेगा। जिसके फलस्वरूप विश्व पटल पर अनेकानेक अप्रत्याशित घटनाओं से जनमानस को रूबरू होना पड़ेगा।
विश्व के कई देशों में राजनैतिक उथल-पुथल रहेगी जिससे भारत भी अछूता नहीं रहेगा। इसके साथ ही राजनैतिक हलचल बढ़ेगी। सत्तापक्ष व विपक्ष में किसी मुद्दे विशेष को लेकर वैचारिक विषमता देखने को मिलेगी। देश-विदेश में सत्ता-परिवर्तन का भी योग रहेगा। कहीं-कहीं पर राजनैतिक अस्थिरता बनी रहेगी। व्यक्ति विशेष की सेवा से वंचित होना पड़ेगा। धाॢमक गतिविधियों को लेकर भी लोग जागरूक रहेंगे।
सूर्यग्रह की पूजा का विधान
सूर्यग्रह की प्रसन्नता के लिए अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के साथ सूर्यग्रह की भी आराधना नियमित करनी चाहिए। प्रात:काल स्नान, ध्यान के पश्चात् सूर्य भगवान को ताम्रपात्र में स्वच्छ जल में लाल फूल, रोली, गुड़ या चीनी मिलाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके अघ्र्य अर्पित करना चाहिए। साथ ही सूर्यग्रह का मन्त्र ‘ॐ आदित्याय नम:’, ‘ॐ सूर्याय नम:’, ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:’ का जप, श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्रनाम तथा सूर्य चालीसा आदि का पाठ भी करना लाभकारी रहेगा।
रविवार के दिन काला, नीला व हरे रंग का वस्त्र प्रयोग में नहीं लेना चाहिए। रविवार के दिन 12 बजे से 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार करना चाहिए। रविवार के दिन संकल्प के साथ व्रत या उपवास रखकर मध्याह्न के समय सूर्यग्रह से सम्बन्धित लाल रंग की वस्तुएँ जैसे—लाल वस्त्र, गेहूँ, गुड़, ताँबा, लाल फूल, चन्दन आदि वस्तुएँ नगद दक्षिणा सहित सुयोग्य ब्राह्मण को देनी चाहिए।