NEET- 2020 : नीट यूजी टॉपर आकांक्षा सिंह ने कहा खुद के लिये समर्पित होकर पढ़ो, कामयाबी जरूर मिलेगी

नीट-यूजी में 720 में से 720 अंक लाने वाली गल्र्स टॉपर आकांक्षा सिंह का कोटा पहुंचने पर भव्य स्वागत

कोटा। इस वर्ष मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी (NEET- 2020)में पहले प्रयास में ही 720 में से 720 अंक हासिल करने वाली (NEET Topper Akanksha Singh)छात्रा आकांक्षा सिंह गल्र्स कैटेगरी में ऑल इंडिया टॉपर रही। उत्तरप्रदेश के खुशीनगर जिले में छोटे से गांव अभिनायकपुर में रहने वाली आकांक्षा की उम्र अभी मात्र साढे़ 17 वर्ष है।

बुधवार को कोटा पहुंची आकांक्षा व उसके माता-पिता का आकाश इंस्टीट्यूट में पुष्पवर्षा व आतिशबाजी से स्वागत हुआ। बातचीत में आकांक्षा ने बताया कि वह छोटे से गांव से है, उम्र में बहुत छोटी है, इसलिए जो सोचा, उसे मेहनत से सच कर दिखाया। 8वीं तक गांव में पढ़ते हुए वह आईएएस बनने का ख्वाब देखती थी। उसकी मौसी डॉक्टर है, वो गांव के गरीब मरीजों की सेवा करती थी, उनसे प्रेरित होकर खुद ने भी डॉक्टर बनने का सोच लिया। पिता राजेन्द्र कुमार राव एयरफोर्स सेवा से रिटायर हुए हैं। मां रुचि सिंह ने बताया कि आकांक्षा रोज 70 किमी दूर गोरखपुर में बस से पढ़ाई करने जाती थी। 10वीं बोर्ड में 97.6 प्रतिशत और 12वीं बोर्ड परीक्षा में 96.4 प्रतिशत अंकों से उसने खुद की मेहनत को साबित कर दिखाया।

आकांक्षा ने बताया कि 11वीं व 12वीं में उसने आकाश इंस्टिट्यूट, नईदिल्ली से क्लास रूप कोचिंग ली। रिजल्ट में ऑल इंडिया रैंक-1 हो या 2 मेडिकल कॉलेज तो एक ही रहेगा, इसलिए 100 प्रतिशत माक्र्स के बाद भी एआईआर-2 मिलने का उसे कोई अफसोस नही है। वह न्यूरो सर्जन बनकर मेडिकल साइंस में रिसर्च करना चाहती है। गाँवों में सरकारी अस्पतालों के बदतर हालात उसकी आँखों मे नजर आए, उसने कहा कि गरीब को कैसे समय पर सस्ता व सही इलाज मिल सके, उसके लिए भविष्य में कुछ नया करेगी।

3 घंटे का पेपर 2 घंटे में हल करना सीखा

एनटीएसई स्कॉलर आकांक्षा ने केवीपीवाय में भी एआईआर-34 प्राप्त की थी। उसने कहा कि शीर्ष रैंक से सलेक्ट होने के लिए टीचर्स की सही गाइडेंस जरूरी है, जो मुझे आकाश में मिली। मैने टीचर्स की बातों पर अमल किया। एनटीएसई बुक्स में नीट से जुड़े टॉपिक्स ज्यादा पढ़े। नियमित क्वेश्चन पेपर हल करने की प्रेक्टिस बहुत काम आई। एग्जाम से पहले मैं 3 घन्टे के पेपर को 2 घन्टे 15 मिनट में हल कर देती थी, इससे आंसर शीट को दोबारा चेक करने का समय मिला। पेपर हल करते समय जीरो एरर होने से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा। यही वजह है कि मार्क्स की चिंता किये बना पेपर दिया और पूरे 100ः मार्क्स मिल गए। हर स्टूडेंट को खुद ऐसी प्रेक्टिस अवश्य करनी चाहिए।

स्मार्ट फोन व सोशल मीडिया से दूर रही

अपने लक्ष्य को सामने रखने वाली आकांक्षा की मां रुचि सिंह ने बताया कि उसने 12वीं तक मोबाइल नही लिया, सोशल मीडिया, फेसबुक, वाट्सअप, ट्विटर से वह बिल्कुल दूर रही, जिससे उसे कोचिंग क्लास के बाद पढ़ने के लिए पर्याप्त समय मिलता था। रोज 5-6 घन्टे नींद लेने वाली आकांक्षा फुर्सत में म्यूजिक सुन लेती या डांस कर लेती थी। अभी तक उसके पास स्मार्ट फोन नही है। संस्थान के स्टूडेंट्स ने उससे वर्चुअल संवाद कर रोचक सवाल-जवाब किये। अंत मे उसने कहा कि जो मैने किया, वो हर स्टूडेंट कर सकता है, खुद पर पूरा विश्वास होना चाहिए।

आकाश इंस्टीट्यूट कोटा सेंटर के क्षेत्रीय निदेशक अखिलेश दीक्षित ने कहा कि इस वर्ष जेईई-एडवांस्ड में संस्थान के क्लासरूम छात्र चिराग फलोर ने एआईआर-1 और नीट में आकांक्षा सिंह ने एआईआर-2 से सफलता का नया इतिहास रच दिया है। सफलता का कारवां भविष्य में भी इसी तरह कोटा को आगे बढ़ाता रहेगा। बुधवार को एक वेबिनार में उसने आकाश नेशनल टैलेंट हंट एग्जाम पर चर्चा की।

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