जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) में (Corona Infection) कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को मध्यनजर रखते हुए राज्य के जनप्रतिनिधियों, सरकारी व निजी चिकित्सक प्रतिनिधियों व सामाजिक संगठनों से आपात बैठक बुलाई जाए। राजस्थान विधानसभा में (Rajender Rathore) उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने (CM Ashok Gehlot) मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसकी मांग की है।
उन्होने कहा कि विगत एक सप्ताह से कोरोना के लगातार बढ़ते सामाजिक संक्रमण के प्रकोप से प्रतिदिन 1500 से ज्यादा नए संक्रमित रोगी आने, कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 1 लाख के आंकड़े पार करने तथा लगातार कोरोना एक्टिव मरीजों की संख्या के इजाफे के सामने आने और सरकारी व निजी क्षेत्र के चिकित्सालयों में मरीजों के इलाज में कम पड़ते चिकित्सकीय संसाधनों के कारण सरकार की कोरोना नियंत्रण के लिए पूर्व में बनी कार्यनीति में आमूलचूल परिवर्तन करने की जरुरत है।
राठौड़ ने कहा कि वर्तमान में कोरोना संक्रमित रोगी की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग नहीं होने से तथा संक्रमित रोगी के संपर्क में आये व्यक्तियों व परिवार की कोरोना जांच नहीं करने की चिकित्सा विभाग की नीति ने आज प्रदेश में कोरोना संक्रमण के सामाजिक फैलाव को विस्फोटक स्थिति में ला दिया है।
राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार अगर समय रहते दूसरे राज्यों में बढ़ते संक्रमण से सावचेत हो जाती तो प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा आज 1 लाख तक नहीं पहुंचता। राज्य सरकार ने बीते 3 महीनों में अपनी टेस्ट क्षमता दोगुनी 15000 से 30000 की जबकि लगभग सभी बड़े राज्यों ने यह क्षमता दस गुना तक बढ़ाई है, अकेले उत्तर प्रदेश में एक से डेढ़ लाख टेस्ट प्रतिदिन हो रहे हैं। सरकार को कोरोना संक्रमण के आंकड़ों को छुपाने के बजाय जिला स्तर पर आई.ई.सी. (प्म्ब्) कर सही आंकड़े जनता के सम्मुख वास्तविकता से रखने चाहिए ताकि जनचेतना के माध्यम से बचाव हो सके। सरकार मात्र कोरोना की जांच क्षमता को बढ़ाने के आंकड़े प्रस्तुत कर जनता को बरगलाना चाहती है। सरकार को विचार करना चाहिए कि प्रदेश में प्रतिदिन कितनी जांच सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी गाइडलाइन से रेंडम सैंपलिंग से हो रही है तथा जांच के परिणाम कितने समय में जारी किये जा रहे हैं। प्रायः सभी जिलों में कोरोना की जांच रिपोर्ट 48 से 72 घंटे विलंब से मिलने के कारण लगातार संक्रमण फैल रहा है। दिल्ली और महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना संक्रमित केसों की संख्या के बावजूद भी राज्य सरकार इसी मुगालते में रही कि राजस्थान में कोरोना स्थिति नियंत्रण में है लेकिन संक्रमित मरीजों की संख्या का आंकड़ा अब एक लाख पार होना राज्य सरकार की नाकाम चिकित्सकीय व्यवस्था व कोरोना कुप्रबंधन का प्रत्यक्ष प्रमाण है। सरकार की अस्पष्ट नीति के कारण अब तक एक भी निजी चिकित्सालय ने प्रदेश में अपने चिकित्सालयों के साथ किसी भी होटल में कोरोना के लगातार बढ़ रहे संक्रमित रोगियों की संख्या के कारण भर्ती कर इलाज प्रारंभ नहीं किया है। वर्तमान में इलाज हेतु संक्रमित रोगी दर-दर ठोकरें खाते घूम रहे हैं।
उन्होने कहा कि राजधानी जयपुर में कोरोना के इलाज के लिए 2000 ऑक्सीजन युक्त शैय्याओं की आवश्यकता थी तथा 300 विभिन्न चिकित्सालयों में वेंटीलेटर की आवश्यकता थी जिस पर सरकार ध्यान न देकर जयपुरिया चिकित्सालय में कोरोना के लिए 500 बैड की उपलब्धता की थोथी घोषणा कर रही है। जबकि वस्तुतः वहां भी मरीजों के लिए 50 से भी कम बैडस की उपलब्धता भी विधिवत अब तक तैयार नहीं होना चिंताजनक है।
राठौड़ ने कहा कि प्रदेशवासी वैश्विक महामारी कोरोना संकट के साथ ही मौसमी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं लेकिन राज्य सरकार की घोर लापरवाही के कारण इन्हें मौसमी बीमारियों के समुचित इलाज की पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पा रही है। प्रदेश में मौसमी बीमारियां पांव पसार रही है ऐसे में हालात ज्यादा बदतर होने से पहले ही राज्य सरकार को मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए।
उन्होने बताया कि कोरोना के इलाज में सर्वाधिक काम में आने वाली ऑक्सीजन की मुनाफाखोरी में 40-50: प्रति सिलेण्डर राशि अधिक वसूलने वाले व्यापारियों पर भी सख्त कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि वर्तमान के विकट हालात में सरकार को 30: से अधिक रिक्त चिकित्सा अधिकारियों व पैरामेडिकल स्टाफ की आपात भर्ती करने, सर्वोच्च न्यायालय की गाइडलाइन्स की पालना करने व सभी सार्वजनिक स्थान पर व्यापक स्तर पर सैनेटाइज करने तथा इस संकट के समय फैलाव कर रही मौसमी बीमारियों स्क्रब टाइफस के लिए चिकित्सा विभाग व पशुपालन विभाग द्वारा सामूहिक योजना बनाने तक कीटनाशक दवाइयों के छिड़काव सहित मच्छरजनित मौसमी बीमारी डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए तत्काल क्रेश प्रोग्राम बनाकर व आवश्यक कार्यवाही की मांग कर चिकित्सा सेवाओं को दुरुस्त करने की मांग की है।