‘चित्रांगदा’ एक सशक्त नारी के अविश्वसनीय शक्ति की कहानी
जयपुर। चित्रांगदा, सशक्त नारी की अविश्वसनीय शक्ति को दर्शाती एक संगीतमय नृत्य नाटिका का मंचन जयपुर में स्थित महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम में आज किया गया। नोबेल पुरस्कार विजेता, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा सन 1892 में लिखित पुस्तिका ‘चित्रांगदा’ से प्रेरित यह नृत्य और नाटक का रूपांतरण था। जिसे पूरे भारत और जयपुर में पहेली बार प्रस्तुत किया जा रहा है।
नाटक में मुख्य भूमिका सुहासी धामी, संदीप सोपारकर, मौमिता पाल निभा रहे हैं और इस नाटक का निर्देशन और कोरियोग्राफी मधुमिता चक्रवर्ती द्वारा किया गया है। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 163वें जन्मदिन पर यह उनको सच्ची श्रद्धांजलि है, एक दूरदर्शी जिन्होंने एक सदी पहले ही महिलाओं की शक्ति को देखा था, जो शक्ति पिछले कुछ दशकों में धुंधली हो गई है।
यह संगीतमय नृत्य नाटिका चित्रांगदा को सम्मानित करती है, जो एक प्रेमी की सुंदरता और एक योद्धा की वीरता दोनों को एक साथ दर्शाती है। यह लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत के एक मंत्रमुग्ध करने वाले मिश्रण के साथ, एक मनोरंजक नाटक में सुंदरता, पवित्रता और शक्ति का सार है।
यह नाटिका मणिपुर राज्य की राजकुमारी चित्रांगदा की वो अनकही कहानी पर आधारित थी; जो अर्जुन की पत्नियों में से एक थी। वह एक रानी, एक योद्धा, एक प्रेमिका, एक माँ और इसके अलावा एक साहसी राजकुमारी जिसने रूढ़ियों को चुनौती दी और अपने राज्य पर शालीनता से शासन किया और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बानी।