बीकानेर। वेटरनरी विश्वविद्यालय (Rajasthan University of Veterinary & Animal Science) की राज्य स्तरीय ई-पशुपालक चौपाल (E- Chaupal) बुधवार को आयोजित की गई।
पशुओं में फुराव की समस्या और समाधान विषय पर पशुचिकित्सा विशेषज्ञ एवं राजुवास के पूर्व अधिष्ठाता स्नातकोत्तर अध्ययन डॉ. जी.एन. पुरोहित ने पशुपालकों से संवाद किया। प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने विषय प्रवर्तन करते हुए बताया कि पशुओं का हीट में आने के बावजूद ग्याभिन नहीं होना एक गंभीर समस्या है जिसे फुराव कहा जाता है। यह दुधारू पशुओं में ज्यादा होती है।
विषय विशेषज्ञ डॉ. जी.एन. पुरोहित ने बताया कि गर्भाधान से पूर्व और बाद में बरते जाने वाली सावधानियों और संतुलित पशु आहार से फुराव की समस्या में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि अधिक दूध उत्पादन पर ही ध्यान न देकर पशुओं का पोषण और प्रबंधन सही रखना जरूरी है क्योंकि पशु की बच्चेदानी और वीर्य में कमी या वंशानुगत के चलते फुराव की समस्या उत्पन्न होती है। अधिक गर्मी या सर्दी का प्रजनन पर विपरीत असर होता है अतः उनको धूप या सर्दी में बचाव के उपयुक्त उपाय करने चाहिए। 8 से 12 प्रतिशत पशुओं में बिना कारण भी फुराव हो सकता है। दो से ढाई वर्ष की बछिया का ही गर्भाधान करवायें। पशु के ब्यात के समय पर साफ-सफाई नहीं रखने पर बच्चेदानी में संक्रमण हो सकता है जिससे बाद में फुराव की समस्या उत्पन्न हो सकती है। ई-पशुपालक चैपाल में राज्य भर के पशुपालक-किसान विश्वविद्यालय के अधिकारिक फेसबुक पेज से जुडे़।