बीकानेर (Bikaner News)। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (SKRAU) का 17वां (Convocation) दीक्षांत समारोह 28 अगस्त को वर्चुअल प्लेटफाॅर्म आयोजित होगा। समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र राजभवन-जयपुर से समारोह से जुड़ेंगे। दीक्षंात अतिथि के रूप में पद्मभूषण डाॅ. रामबदन सिंह, नई दिल्ली से भागीदारी निभाएंगे। दीक्षांत समारोह के दौरान उपाधियां एवं पदक लेने के लिए देश के 16 राज्यों और राजस्थान के 25 जिलों के विद्यार्थी भी वर्चुअल प्लेटफार्म पर जुड़ेंगे। वहीं एक विद्यार्थी अफगानिस्तान से भी जुड़ेगा। यह दीक्षांत समारोह राज्य का पहला वर्चुअल दीक्षांत समारोह होगा।
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विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने बुधवार को कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान के सभागार में पत्रकारों से वार्ता के दौरान यह जानकारी दी। प्रो. सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा अब तक सोलह दीक्षांत समारोहों में 15 हजार 753 विद्यार्थियों को स्नातक उपाधि, 3 हजार 685 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर उपाधि तथा 705 विद्यार्थियों को विद्या वाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। वहीं 17वें दीक्षांत समारोह में 783 विद्यार्थियों को स्नातक, 110 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर तथा 13 विद्यार्थियों को विद्या वाचस्पति की उपाधि सहित कुल 906 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की जा रही हैं। समारोह के दौरान 5 मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, एक विद्यार्थी को कुलाधिपति स्वर्ण पदक तथा दो विद्यार्थियों को चौधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि दीक्षांत समारोह दोपहर 12ः30 बजे राज्यपाल श्री मिश्र के आॅनलाइन जुड़ने के साथ शुरू होगा।
संविधान पार्क का ई-शिलान्यास, पुस्तकों का ई-विमोचन
कुलपति ने बताया कि समारोह के दौरान राज्यपाल, विश्वविद्यालय में बनने वाले संविधान पार्क का ई-शिलान्यास और प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रकाशित ‘किसानों की प्रेरणादायी सफलता की कहानियां’ एवं अनुंसधान निदेशालय द्वारा प्रकाशित ‘ए डिकेड आॅफ रिसर्च के ई-संस्करणों का विमोचन भी करेंगे। उन्होंने बताया कि समारोह की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है।
कुलपति ने बताई एक साल की उपलब्धियां
पत्रकारों से चर्चा करते हुए कुलपति प्रो. सिंह ने बतौर कुलपति एक साल की उपलब्धियां भी बताईं। उन्होंने कहा कि 23 अगस्त 2019 को उन्होंने विश्वविद्यालय के 23वें कुलपति के रूप में पदभार संभाला। इसके बाद कृषि एवं कृषक कल्याण को प्राथमिकता देते हुए अनेक नवाचार किए गए। उन्होंने बताया कि गत वर्ष के दौरान विश्वविद्यालय का आइसीएआर के साथ पांच वर्ष के लिए एक्रीडेशन, कृषि विज्ञान केन्द्रों के मूल्यांकन के लिए क्यूआरटी टीम का भ्रमण तथा राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया।
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विश्वविद्यालय द्वारा स्तरीय संस्थाओं के साथ एमओयू किए गए। हाल ही में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के साथ किए एमओयू की बदौलत विश्वविद्यालय में म्यामांर के तीन विद्यार्थियों के पढ़ने का रास्ता खुला है। इस दौरान विश्वविद्यालय की पांच इकाईयों को आइएसओ प्रमाण पत्र प्राप्त हुए। विश्वविद्यालय की सभी इकाईयों को सौर ऊर्जा से जोड़ने की दिशा में प्रभावी काम हुआ है। इन संयंत्रों की स्थापना के बाद प्रतिवर्ष विश्वविद्यालय को 50 लाख रुपये की बचत होगी। समन्वित प्रयासों की बदौलत विश्वविद्यालय को श्रीगंगानगर में नया कृषि महाविद्यालय मिल सका है। इस महाविद्यालय को इसी सत्र में प्रारम्भ करने की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गई है।
गुसाईसर में स्थापित किया कृषि ज्ञान संसाधन केन्द्र
कुलपति ने बताया कि किसानों तक नई तकनीकें पहुंचाने और मार्गदर्शन के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है। कोरोना की प्रतिकूल परिस्थितियों में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से किसानों से सतत संपर्क बनाए रखा है। वहीं विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांव गुसाईसर में कृषि ज्ञान संसाधन केन्द्र स्थापित किया गया है। जहां बैठकर कृषि वैज्ञानिक किसानों की समस्याओं के त्वरित समाधान का प्रयास करते हैं। इसी प्रकार विश्वविद्यालय सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत गुसाईसर में पौधारोपण, स्वच्छता, मास्क-सेनेटाइजर और ग्लब्ज वितरण, काढा एवं इम्यूनिटी बूस्टर दवा वितरित की गई। खाद्य एवं पोषण विभाग द्वारा बेकरी यूनिट स्थापित की गई है। कोरोना काल के दौरान 14 वेबिनार आयोजित किए गए। इनसे लगभग चालीस हजार किसानों, कृषि वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों को ई-प्लेटफाॅर्म पर जोड़ा गया। उन्होंने बताया कि इस इस दौरान अनुसंधान निदेशालय द्वारा उन्नत बीजों की चार नई किस्में विकसित की गई हैं। इनमें कपास की आरएस 2817 एवं आरएस 2827, चना की केशव, बजारा की बीएचबी 1202 सम्मिलित हैं।
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अगले वर्ष का ‘रोडमैप’ तैयार
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा आगामी वर्ष में किए जाने वाले कार्यों की प्राथमिकताएं तय कर ली गई हैं। इनमें सोलर संयंत्र स्थापना का काम समयबद्ध पूर्ण करना, विश्वविद्यालय की वेबसाइट को मोबाइल फ्रेंडली बनाना, ई-म्यूजियम एवं ई-नर्सरी विकसित करना, दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन करना, अधिक से अधिक किसानों को समन्वित खेती प्रणाली इकाई की स्थापना के लिए प्रेरित करना, एग्री टूरिज्म हब के रूप में विश्वविद्यालय को विकसित करना, करणी औद्योगिक क्षेत्र से आने वाले अपशिष्ट पानी के निराकरण के प्रयास तथा नए पदों की भर्ती, पदौन्नतियां और पेंशन से जुड़े मुद्दों पर विशेष फोकस रखा जाएगा।
इस दौरान आइएबीएम निदेशक डाॅ. मधु शर्मा, परीक्षा नियंत्रक डाॅ. योगेश शर्मा, विशेषाधिकारी इंजी. विपिन लढ्ढा मौजूद रहे। संचालन सहायक निदेशक (जनसंपर्क) हरि शंकर आचार्य ने किया।
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