बीकानेर। राज्य मानवाधिकार आयोग (Rajasthan State Human Rights Commission) के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण व्यास ने कहा कि मानवाधिकारों के संरक्षक के रूप में आयोग की भूमिका प्रोएक्टिव रहेगी। मानव अधिकारों का संरक्षण करना प्रत्येक विभाग की जिम्मेदारी है। विभागीय अधिकारी अपनी इस जिम्मेदारी को समझते हुए मानव अधिकार से जुड़े मामलों का प्राथमिकता से निस्तारण करें।
शुक्रवार को सर्किट हाउस में आयोजित जनसुनवाई और बैठक में राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष व्यास ने यह बात कही। मानव अधिकार मानव को सुरक्षित और सम्मानजनक परिस्थितियां प्रदान करने से जुड़े हैं और ऐसी परिस्थितियों का निर्माण जनकल्याणकारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था का प्रथम दायित्व है, इसे ध्यान में रखते हुए सभी कार्यकारी एजेंसियां यह प्रयास करें कि मानव अधिकारों से जुड़े मामलों में जांच रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत की जाए। व्यास ने कहा कि सभी अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि आयोग द्वारा जो भी पत्र और नोटिस विभागों को भेजे जाते हैं उनका निर्धारित समय में जवाब भिजवाया जाए।
व्यास ने कहा कि मानव अधिकारों के संरक्षक के रूप में आयोग किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं करेगा। यदि कोई प्रकरण संबंधित विभाग का नहीं है अथवा प्रकरण में तुरंत राहत संभव नहीं है ऐसी परिस्थितियों में भी पत्रावली का जवाब तुरंत भिजवाएं। उन्होंने कहा कि जवाब मिलने से पब्लिक को एक राहत मिलती है और उनका भरोसा मजबूत होता है।
व्यास ने कहा कि वे स्वयं हर जिले में जाकर विभिन्न विभागों में लंबित मानवाधिकार प्रकरणों की समीक्षा करेंगे और इस मामले में किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं होगी।
जनसुनवाई में आए 70 से अधिक प्रकरण
राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने सर्किट हाउस में आमजन के मानव अधिकारों से जुड़े 70 से अधिक प्रकरणों की सुनवाई की और मौके पर ही अधिकारियों से जवाब मांगे। विभिन्न प्रकरणों में अलग-अलग विभागों को समय सीमा देते हुए जवाब भिजवाने के निर्देश दिए। जन सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से संबंधित प्रकरणों में सुनवाई करते हुए व्यास ने कहा कि जिस भी स्तर पर प्रकरण लम्बित है वहां संबंधित को फोन कर जवाब मांगा जाए।
निजी कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं के विकास और क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने की प्रकरण पर आयोग अध्यक्ष व्यास ने जिला कलक्टर कार्यालय को 2 सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने को कहा। इस प्रकरण में जिला कलेक्टर ने बताया कि निजी डेवलपर्स द्वारा विकतिस काॅलोनियों में मूलभूत सुविधाएं विकसित करने के संबंध में प्रयास किए जा रहे हैं। इस सम्बंध में रिपोर्ट भिजवा दी जाएगी। बलात्कार व हत्या के एक प्रकरण में आयोग के अध्यक्ष ने पुलिस अधीक्षक को चार्जशीट शीघ्रता से न्यायालय में पेश करने के निर्देश दिए। आत्महत्या के एक प्रकरण में जांच पुनः खुलवाते हुए 6 सप्ताह में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। मनरेगा में काम करने के बाद भुगतान नहीं होने के मामले में सीईओ जिला परिषद से रिपोर्ट लेते हुए व्यास ने कहा कि यदि समय पर ई मस्टरोल जारी नहीं होने के कारण भुगतान रोका है तो जिस कार्मिक की कमी रही है उसकी जिम्मेदारी तय करते हुए रिपोर्ट दें।
जनसुनवाई के दौरान नगर विकास न्यास द्वारा पट्टे जारी नहीं किए जाने के प्रकरण में आयोग अध्यक्ष ने 4 सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए। जनसुनवाई के दौरान जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, नगर निगम, सीएमएचओ, जिला शिक्षा अधिकारी सहित विभिन्न विभागों से संबंधित प्रकरण प्रस्तुत किए गए।
जवाब नहीं दिया तो बनेगा अवमानना प्रकरण
व्यास ने कहा कि यदि कोई प्रकरण हाईकोर्ट स्तर पर लंबित है तो विभाग तथ्यों की जांच के लिए जल्द निस्तारण का आवेदन करें। यदि समय पर जवाब नहीं दिया जाएगा तो इसे अवमानना मानते हुए सम्बंधित के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा भी की जा सकती है । इसके मद्देनजर प्रकरणों की गंभीरता को समझें और समयबद्ध जवाब दिए जाएं। निदेशक माध्यमिक शिक्षा में तथ्य छुपाकर अनुकंपा नियुक्त के प्रकरण में व्यास ने कहा कि यदि यह मामला हाई कोर्ट में पेंडिंग है तो माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा इस प्रकरण के निस्तारण के जल्द निस्तारण के लिए आवेदन किया जाए। जनसुनवाई में सुनीता गौड़ ने सार्वजनिक पार्क से बिजली पोल को अन्यत्र शिफ्ट करने, हनुमान प्रसाद शर्मा ने परिवहन विभाग में दिव्यांगों हेतु रैम्प खुलवाने,पुष्पा देवी ने मकान मुक्त करवाने सहित विभिन्न प्रकरण प्रस्तुत किए गएं।
इस दौरान जिला कलेक्टर नमित मेहता ने बताया कि मानव अधिकार संरक्षण से जुड़े मामलों पर वे स्वयं और अन्य सभी विभाग अतिरिक्त गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ जवाब प्रस्तुत करेंगे। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक प्रीति चंद्रा, माध्यमिक शिक्षा सौरव स्वामी, ओमी पुरोहित सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।