विश्व डाक दिवस पर एमबीए विद्यार्थियों ने जाना ई कॉमर्स और बिजनेस पार्सल सीओडी

MBA students know e commerce and business parcel COD on World Post Day

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बीकानेर। इंस्टिट्यूट ऑफ एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट ने विद्यार्थियों (MBA students ) के लिए अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस (World Post Day) एवं राष्ट्रीय डाक सप्ताह पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया। इसमें (MBA) एमबीए व पीएचडी विधार्थियों ने कृषि स्टार्टअप व उद्यम, में डाक विभाग की ई कॉमर्स व बिजनेस पार्सल के स्कोप के बारें में जाना।

अधिष्ठाता डॉ आई पी सिंह ने बताया कि (Agri Business Management) एग्री बिजनेस मैनेजमेंट विद्यार्थियों के लिए कृषि शिक्षा व कृषि उद्यमों के विकास में पोस्टल सर्विसेस की उपयोगिता की जानकारी होना आवश्यक है।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता सतीश सोनी जनसंपर्क अधिकारी जो कि पूर्व में डाक विभाग में मार्केटिंग व जनसंपर्क का अनुभव रखते हैं ने संबोधित किया।

उन्होने कहा की पिन कोड, डाक टिकट और फिलेटेली हॉबी से जुड़े सवाल कभी, जनरल नॉलेज के हिस्सा हुआ करते थे और अब इनके बारें में सुनने को भी नही मिलता है। आजकल चिट्ठी, पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय कार्ड का चलन ना के बराबर है लेकिन पैकेट्स, पार्सल, ई-कॉमर्स, बैंक, इंस्योंरेंस, मुच्यूल फंड नोटिस सामाजिक पत्र, पत्रिकाएं बेहिसाब बढ़ गई है। आज भी नर्सरी और प्राईमरी स्तर के स्कूलों में बच्चे ‘ड’ से डाकिया, ‘पी’ से पोस्टमैन और डाकिया पर कविताएं याद करते है।

कोरोना सख्त लॉकडाउन व कंटेनमेंट जोन में पोस्टमैन ने घर-घर जाकर दवाइयां के पार्सल और मोबाईल एप के जरिये कैश बांटा था। नोटबंदी के समय, शहरों व गांवों में ईमानदारी और ज़िम्मेदारी के साथ कैश वितरण का काम संभाला था।

विशेषज्ञों की माने तो विश्व के किसी भी देश को आपातकाल या युध्द जैसे हालत में लॉकडाउन जैसा ही दीर्घावधि नेटडाउन, भी झेलना पड़ सकता है और ऐसे में हमारे देश का मजबूत संचार तंत्र- डाक विभाग जो की संदेश और कैश दोनों बाँट सकता है, हमारे समानान्तर खड़ा है।

Post office in Bollywood : डाकघर को फिल्मों में भी मिली जगह

डाकघर वही है लेकिन इनका काम बदल गया है, काम डाक बांटना, जोकि उनकी असली पहचान थी। डाकघर का समाज से सीधा जुड़ाव होने कारण ही सिनेमा और कहानियों में इसे खास जगह मिली।

बाबुल फिल्म में दिलीप कुमार मधुबन गाँव के पोस्टमास्टर, राजेश खन्ना का “डाकिया डाक लाया” गाना, “दुश्मन’’ फिल्म में पोस्टमैन आशुतोष राणा और थ्री ईडियट में पोस्टमास्टर का बेटा शर्मन जोशी। डाक टिकट पर महापुरुषों के फोटो देखकर सभी चाहते है की “एक दिन नाम के अपने, डाक टिकट जारी होगी’’।

लेकिन डाक टिकट के ग्राहक मुश्किल से मिलेंगे क्योंकि अब उन्हे डाक टिकट खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है, पोस्ट ऑफिस में बुकिंग के लिए कैश, फ्रेंकिंग और ‘बुक नाव पे लेटर’ जैसी सुविधाएं जो मिलती है। ये अंग्रेजों के जमाने के पोस्टमास्टर नही है।

इस दौरान डॉ विवेक व्यास, अमिता शर्मा, डॉ अदिति माथुर सहित इंस्टिट्यूट के संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

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