बीकानेर जनसंघर्ष समिति ने पब्लिक ऑडिट की रिपोर्ट सौंपी जिला कलेक्टर को

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बीकानेर। कोरोना संक्रमण (CoronaVirus) के बीच बीकानेर जिले (Bikaner) के सरकारी व गैर सरकार (Government/Private Hospital) अस्पतालों में कोविड मरीजों (Covid Patient) को आ रही परेशानी के बीच इन संस्थाओं का पब्लिक ऑडिट (Public Audit) किया गया।

यह कार्य बीकानेर जनसंघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने किया और सोमवार को इसकी रिपोर्ट जिला कलक्टर को सौंपी।

इस दौरान बीकानेर जनसंघर्ष समिति ने जिला कलक्टर को सरकारी व गैर सरकार अस्पतालों में मरीजों को आ रही परेशानी, अस्पताल की स्थिति सहित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की।

बीकानेर जनसंघर्ष समिति ने कोविड महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं एव अस्पतालों की सात दिवसीय पब्लिक ऑडिट की रिपोर्ट जिला कलेक्टर नमित मेहता को विधायक बिहारीलाल बिश्नोई के नेतृत्व में सुरेंद्रसिंह शेखावत , एडवोकेट अशोक भाटी , विक्रम सिंह भाटी , सुभाष बाल्मीकि ने सौंपी।

सरकारी चूक मानी –

समिति ने देश के स्वास्थ्य सेवाओं के विशेषज्ञों द्वारा दूसरी लहर की आशंका के बावजूद ऑक्सीजन की संभावित जरूरत का आंकलन नहीं करके नए प्लांट लगाने में देरी, सम्भावित मरीजों के अनुपात में वेंटिलेटर की बढ़ोतरी न करने ,
केंद्र द्वारा भेजे गए वेंटिलेटर का राजनीतिक द्वेषतावश उपयोग न करने , राज्य भर में जरूरी डॉक्टर, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टाफ के खाली पदों को न भरने , जीवन रक्षक दवाइयों की जरूरी खरीद न करने जैसे मामलों में सरकारी स्तर पर भारी चूक रिपोर्ट में मानी है ।

पीबीएम अस्पताल पर रिपोर्ट –

कोविड सेंटर में सफाई व्यवस्था , वेंटिलेटर चलाने वाले एक्सपर्ट का अभाव , सुरक्षा व्यवस्था में कमी , पीपीई किट पहनने अनुभवहीन , रेमिडिसिवर टीकों और वेंटिलेटर आवंटन में राजनीतिक दखलन्दाजी , पीबीएम में ऑक्सीजन और टीकों की कालाबाजारी करने वाले कर्मिकों के संगठित गिरोह आदि के मसले पर रिपोर्ट में ध्यान आकर्षित किया है ।

ऑक्सीजन मित्र के प्रयोग , अस्पताल में लगाए गए प्रशासनिक अधिकारियों और सीनियर डॉक्टर्स की कार्यशैली की प्रशंसा रिपोर्ट में की गई है ।

निजी अस्पतालों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह – उपलब्ध चिकित्सकों एवं सहायक स्टाफ के मुकाबले अधिक मरीज भर्ती करने , सरकार द्वारा निर्धारित दर के बावजूद अधिक वसूली , ऑक्सीजन की कमी के बावजूद अधिक मरीज भर्ती करने , चिरंजीवी योजना का लाभ न देने जैसे मामलों में निजी अस्पतालों को दोषी माना है वहीं एक निजी अस्पताल में हुई मौतों के मामले में प्रशासनिक लापरवाही की शिकायत की है ।

ग्रामीण क्षेत्रों पर रिपोर्ट – रिपोर्ट में सीएचसी पीएचसी और सब सेंटर के नेटवर्क को उपयोग में न लेने, ग्रामीण क्षेत्र में जांच एवम पर्याप्त दवाओं की उपलब्धता न होने , ऑक्सीजन की व्यवस्था न करने और जरूरी मानव संसाधन की भर्ती न करने के मामले में चूक मानी है ।

ब्लेक फंगस और तीसरी लहर पर सुझाव – रिपोर्ट में सम्भावित तीसरी लहर से बचाव के लिए सीएचसी पीएचसी के नेटवर्क को उपयोग में लेने , पीएचसी पर न्यूनतम पांच ऑक्सीजन बेड उपलब्ध कराने, सीएचसी पर आईसीयू और वेंटिलेटर उपलब्ध करवाने , जरूरी स्टाफ की भर्ती करने एवं ब्लेक फंगस के लिए आवश्यक दवाओं का स्टॉक करने का सुझाव रिपोर्ट में दिया गया है ।

समिति ने कलेक्टर से आग्रह किया है कि राज्य सरकार से सम्बंधित मसलों को उच्चाधिकारियों को भेजे एवम स्थानीय स्तर के मसलों पर खुद प्रभावी मोनिटरिंग करें ।

दरअसल भारतीय जनता पार्टी के नेता सुरेंद्र सिंह शेखावत को कोविड मरीजों को अस्पतालों में आ रही समस्याओं की जानकारी मिली। जिसके बाद उन्होने नोखा विधायक (Nokha MLA) सहित अन्य जागरुक नागरिकों से बात कर बीकानेर जनसंघर्ष समिति का गठन किया। इसके साथ सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों की पब्लिक ऑडिट (Public Audit) करने का निर्णय लिया गया।

बीकानेर जनसंघर्ष समिति की टीम ने कोरोना गाइडलाइन(Corona Guideline) का पालन करते हुए सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में पब्लिक ऑडिट के दौरान मरीजों, स्टाफ व अन्य लोगों से बातचीत कर पूरी जानकारी ली। जिसके बाद रिपोर्ट बनाकर जिला कलक्टर को सौंपी गई।

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