बीकानेर। बीकानेर जिले (Bikaner) में अब पर्यटन (Tourism) के क्षेत्र हर दिन विकास होता जा रहा है। रसगुल्ला और भुजिया, पापड़ के साथ ऐतिहासिक किला व रेतीले धोरों के लिए यह क्षेत्र पूरी दुनियां में जाना जाता है। अब (eco tourism ) इको टूरिज्म डेस्टिनेशन के लिए नापासर (Napasar) के पास वन विभाग (Forest) की भूमि को विकसित किया जा रहा है। जिससे बीकानेर में पर्यटन व्यवसाय (Tourism) और अधिक विकसित होगा।
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वन विभाग की जमीन पर इको टूरिज्म डेस्टिनेशन
बीकानेर जिले के नापासर स्थित वन विभाग की जमीन को इको टूरिज्म डेस्टिनेशन (Eco tourism destination) के रूप में विकसित किया जा रहा है। जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (Bikaner-Jaipur National Highway) से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर नापासर रोही में स्थित वन विभाग की करीब 1000 हेक्टेयर जमीन पर डेजर्ट सफारी सहित अन्य एडवेंचर्स गतिविधियां विकसित करने के लिए कार्य किया जा रहा है।
संभागीय आयुक्त डॉ नीरज के पवन ने उप वन सरंक्षक रंगास्वामी ई एवं वन विभाग की टीम के साथ मिलकर रविवार को नापासर वन खंड का दौरा किया।
उप वन संरक्षक बताया कि रंगास्वामी ई ने बताया कि इको टूरिज्म सेंटर में वाकिंग ट्रेक, इको नॉलेज ट्रेन्स, स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट के लिए गाइडेड विजिट, धोरों पर कल्चरल नाइट्स व अन्य एडवेंचर एक्टिविटीज विकसित करने के साथ-साथ इसे (Camel Festival) कैमल फेस्टिवल के दौरान ऊंट दौड़ आदि के आयोजन मे भी शामिल किया जाएगा।
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उन्होंने बताया कि यहां घुड़दौड़ घुड़सवारी, कैमल सफारी जैसी गतिविधियां भी विकसित की जाएंगी।
उपवन संरक्षक ने बताया कि संभागीय आयुक्त ने निरीक्षण के दौरान इस वन क्षेत्र में उपलब्ध स्थानीय फ्लोरा और फौना की सराहना की और कहा कि इस क्षेत्र को टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किए जाने से बीकानेर के टूरिज्म को एक नया आयाम मिल सकेगा। इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा हर संभव सहयोग दिया जाएगा।
उन्होंने वन क्षेत्र में लगभग 10 किमी की ट्रेकिंग की और यहाँ मौजूद फ्लोरा और फौना के बारे में जानकारी ली। उन्होंने यहाँ वॉच टावर, ट्रैकिंग प्वाइंट विश्राम गृह आदि बनाने की आवश्यकता जताई ।
जिला कलक्टर के प्रयास ला रहे रंग
उल्लेखनीय है कि जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने इको टूरिज्म के लिए इस स्पाट को चिन्हित कर वन एवं पर्यटन विभाग को यहां सफारी सहित अन्य इको फ्रेंडली गतिविधियों को शुरू करने के निर्देश दिए थे।
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