कोलकाता। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ( President Draupadi Murmu) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) में कोलकाता (Kolkata) के खिदिरपुर में हुगली नदी के तट पर गुरुवार को गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) के स्वदेश निर्मित तीसरे युद्धपोत (INS Vindhyagiri ) ‘आईएनएस विंध्यागिरी’ लॉन्च किया। मुर्मू भारतीय नौसेना के लिए उन्नत स्टील युद्धपोत का उद्घाटन करने के लिए सुबह पहुंची।
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विंध्यागिरी का प्रक्षेपण भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ने का प्रतीक
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि विंध्यागिरी का प्रक्षेपण भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ने का प्रतीक है। इस स्वदेशी जहाज का निर्माण आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में भी एक कदम है। विंध्यागिरी, प्रोजेक्ट 17ए का हिस्सा है जो आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह परियोजना अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए स्वदेशी नवाचार को प्रदर्शित करती है।
भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हम निकट भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बढ़ती अर्थव्यवस्था का मतलब है समुद्र के माध्यम से अधिक मात्रा में व्यापार और हमारी व्यापार की वस्तुओं के बड़े हिस्से का आवागमन होता है जो हमारे विकास और कल्याण के लिए महासागरों के महत्व को रेखांकित करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र और बड़े हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा से जुड़े कई पहलू हैं तथा सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए नौसेना को हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
‘आईएनएस विंध्यगिरि’ युद्धपोत का नाम कर्नाटक में स्थित पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया। विंध्यगिरि प्रोजेक्ट 17ए युद्धपोत का छठा जहाज है। इस अवसर पर युद्धपोत को नवीनतम उपकरणों से सुसज्जित किया जाएगा और सेवा में शामिल करने के लिए भारतीय नौसेना को सौंपे जाने से पहले व्यापक परीक्षणों से गुजरना होगा।
पी17ए युद्धपोत का विस्थापन लगभग 6,670 टन और गति 28 समुद्री मील है। जीआरएसई के अधिकारी ने बताया कि ये युद्धपोत बेहतर स्टेल्थ सुविधाओं, उन्नत हथियारों और सेंसर तथा प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणालियों के साथ शिवालिक क्लास प्रोजेक्ट 17 युद्धपोत के अनुवर्ती हैं और हवा, सतह एवं उपसतह के सभी तीन आयामों में खतरों को बेअसर करने में सक्षम हैं।
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