श्रीहरिकोटा। इसरो ने चंद्रयान—3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिग के बाद शनिवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेश सेंटर से PSLV-C57 के XL वर्जन राकेट के जरिए (Aditya L1 Mission) आदित्य एल वन मिशन को लॉंच कर दिया है। XL वर्जन राकेट पीएसएलवी आदित्य को पृथ्वी के निचले कक्ष में छोड़ेगा।
वहीं चार माह बाद करीब 63 मिनट 19 सैकेंड के बाद आदित्य 235 19500 किलोमीटर की ऑर्बिट में पहुंच जाएंगा। इस प्वांट पर ग्रहण का कोई प्रभाव नही पड़ता। जिसके चलते सूरज पर आसानी से रिसर्च के कार्य हो सकेंगे। आदित्य एल वन मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपए है।
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आदित्य एल वन 16 दिनों तक पृथ्वी के कक्ष में रहेगा और 5 बार थ्रस्टर फायर कर अपनी आर्बिट बढ़ाएगा। इसके बाद फिर से आदित्य एल वन मिशन के थ्रस्टर फायर किए जाएंगे और ये एलवन की और निकल जाएगा। 110 दिन का सफर पूरा करने के बाद एल वन पॉंइट के पास पहुंच जाएगा। थ्रस्टर के रास्ते आदित्य को एलवन पाइंट की आर्बिट में डाला जाएगा और ये अपना काम शुरु कर देगा।
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